सिर में लगी चोट पर एडिलेड में ठोंक दिया शतक, सोबर्स और ब्रैडमैन ने थपथपाई पीठ- क्रिकेटर, एक्टर, सिंगर संदीप पाटिल को हैप्पी बर्थडे!

साल 1981 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में संदीप पाटिल ने सिडनी टेस्ट में बिना हेलमेट खेलते हुए गंभीर चोट झेली, लेकिन एडिलेड में 174 रनों की शतकीय पारी खेलकर भारतीय क्रिकेट इतिहास में नई पहचान बनाई. उनकी इस पारी ने भारत को पहली बार एडिलेड में हार से बचाया. डॉन ब्रैडमैन और गैरी सोबर्स जैसे दिग्गजों ने भी उनकी बल्लेबाज़ी की सराहना की.;

( Image Source:  Rupa & Co. )
By :  अभिजीत श्रीवास्तव
Updated On : 18 Aug 2025 8:01 AM IST

साल 1981. जगह ऑस्ट्रेलिया का एडिलेड ओवल का मैदान. वही एडिलेड, जहां 33 साल पहले 1948 में खेले गए टेस्ट मैच की दोनों पारियों में विजय हज़ारे के शतक के बावजूद भारत वो मैच एक पारी और 16 रनों से हार गया. पर 1981 में टेस्ट की दुनिया में क़दम रखे इस नए होनहार युवा क्रिकेटर को अभी महज़ एक साल ही हुआ था और घरेलू मैदान पर पाकिस्तान के ख़िलाफ़ अर्धशतक जमाने के बाद ऑस्ट्रेलिया पहुंच कर सिडनी के पहले टेस्ट में सबसे अधिक 65 रनों की नाबाद पारी खेलते हुए डेनिस लिली, लेन पास्को जैसे तेज़ गेंदबाज़ों के सामने उसने अपने ड्राइव, पुल और कट जैसे शॉट्स के जबरदस्त हुनर दिखा दिए, पर रिटायर्ड हर्ट हो गए थे.

फिर बारी आई एडिलेड के अगले टेस्ट की जहां इसने ऑस्ट्रेलिया के नामची गेंदबाज़ों को कोई रियायत नहीं दी और 174 रनों की पहली शतकीय पारी खेलते हुए भारतीय क्रिकेट में अपनी ख़ास जगह बना ली. पूरी दुनिया ने एक ऐसे ‘सैंडी स्टॉर्म’ का आगाज़ देखा जिसकी आंधी क्रिकेट के पिच पर आगे भी कई बार देखी जानी थी.

हम बात कर रहे हैं 6 फ़ीट 1 इंच लंबे, घनी दाढ़ी के साथ शानदार कपड़े पहनने की आदत वाले संदीप पाटिल की, जो न केवल भारतीय क्रिकेट टीम के एक शानदार बल्लेबाज़ थे बल्कि उन्होंने बॉलीवुड में भी ख़ुद को आजमाया, मैग्ज़ीन के संपादक रहे, होटल के डायरेक्टर और सफल व्यावसायी बने, तो गाने के बेहद शौकीन और वाइल्ड लाइफ़ से भी गहरा लगाव रखते हैं.

बिना हेलमेट पहले सिडनी में रिटायर्ड हर्ट होने की कहानी

सिडनी में खेले गए पहले टेस्ट में जब भारत की पहली पारी में संदीप पाटिल 65 रन बनाकर बल्लेबाज़ी कर रहे थे तो रॉडनी हॉग की गेंद से उनके गले पर एक गंभीर चोट लगी थी. वह बिना हेलमेट के बल्लेबाज़ी कर रहे थे.

अपनी किताब सैंडी स्टॉर्म में संदीप पाटिल लिखते हैं, “डेनिस लिली, रॉडनी हॉग और लेन पास्को की तिकड़ी के सामने मैं बग़ैर हेलमेट शॉर्ट गेंदों को अच्छे से डक कर रहा था, यानी छोड़ रहा था. पर टी ब्रेक से पहले रॉडनी हॉग ने एक शॉर्ट पिच गेंद डाली जो काफ़ी तेज़ थी और वो सीधे मेरे गले के दाहिने हिस्से पर जा लगी. मैं गिर पड़ा. गेंद जिस तेज़ी से आई मुझे उसकी दिशा से हिलने तक का मौक़ा नहीं मिला. मुझे टीम के सभी सदस्यों ने सलाह दी कि मैं टी ब्रेक के बाद हेलमेट पहन कर बैटिंग के लिए जाऊं पर मैंने ऐसा नहीं किया. फिर पास्को की एक गेंद बहुत तेज़ी से मेरी ओर आई और मैं झुकुं या हटूं ये फ़ैसला नहीं कर सका. गेंद सीधे मेरे दाहिने कान के बीचों बीच जा लगी. वो गेंद इतनी तेज़ थी कि मैं पिच पर ही बेहोश हो गया.”

पास्को ने लिया संन्यास

संदीप पाटिल को स्ट्रेचर पर अस्पताल ले जाया गया. हालांकि वो चोटिल थे, लेकिन कप्तान सुनील गावस्कर के अनुरोध पर वह दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी के लिए लौटे, क्योंकि भारत को पारी की हार से बचाना ज़रूरी था. पाटिल को गेंद से लगी चोट की इस घटना के बाद ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ पास्को बहुत विचलित हो गए थे, वो केवल तीन टेस्ट मैच खेले और 32 साल की उम्र में क्रिकेट से संन्यास ले लिया.

यादगार शतक और एडिलेड में पहली बार नहीं हारा भारत

सिडनी में लगी चोट से उबरने के बाद संदीप पाटिल एडिलेड में हेलमेट पहन कर उतरे. पाटिल ने बाद में एक इंटरव्यू में बताया, “सिडनी में चोट लगने के बाद मैंने टीम में हेलमेट की ज़रूरत को बताया. उस दिन के बाद से, सुनील (गावस्कर) को छोड़कर बाकी सभी भारतीय खिलाड़ी हेलमेट पहनने लगे. एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए 528 रन बना दिए. भारत के 130 रन बनने तक चार बल्लेबाज़ आउट हो चुके थे. यहां से पाटिल ने एक छोर संभाल लिया और 174 रनों की बेमिसाल पारी खेली जिसकी बदौलत भारत पहली बार एडिलेड में टेस्ट मैच ड्रॉ कराने में कामयाब हुआ.

ब्रैडमैन, सोबर्स ने थपथपाई पीठ

पाटिल के लिए यह शतक इसलिए भी ख़ास था क्योंकि डॉन ब्रैडमैन भी दर्शकों में मौजूद थे, जो परंपरा के अनुसार एडिलेड में हर टेस्ट मैच देखने आते थे. संदीप पाटिल ने लिखा, “सर डॉन ब्रैडमैन ने मेरी 174 रन की पारी स्टेडियम में देखी, और उन्होंने इससे पहले दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मेरा शतक भी यहीं देखा था. जब मैं एडिलेट टेस्ट में 150 रन पर था, वो हमारे ड्रेसिंग रूम में आए और मुझसे बोले, ‘तुम्हें फ़िर से बल्लेबाज़ी करते देखना बहुत अच्छा लगा.’ यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी.”

पाटिल ने इसके बाद लिखा, “सिडनी में जब मैं 65 पर था, तब सर गारफ़ील्ड सोबर्स ने चाय के समय मुझसे मुलाक़ात की और मेरी बल्लेबाज़ी की तारीफ़ की. लेकिन अगली ही गेंद पर मैं चोटिल हो गया. दो हफ़्ते में ही मुझे क्रिकेट के दो महान 'सर' से मिलने और प्रशंसा पाने का अवसर मिला.” एडिलेट टेस्ट मैच जहां शतक जमा कर संदीप पाटिल ने न केवल टीम में जगह पक्की की बल्कि भारतीय क्रिकेट में उनकी एक छोटी पर खूबसूरत यात्रा की शुरुआत हुई जो बाद में 1983 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम में भी शामिल हुए.

संदीप पाटिल के पहले कप्तान सुनील गावस्कर क्या कहते हैं?

अधिकांश मैचों में संदीप पाटिल के कप्तान रहे सुनील गावस्कर ने संदीप पाटिल को क्रिकेट के मैदान पर बड़ा होते देखा है. पहली बार जब दिल्ली ने बॉम्बे को हराया था तब ये संदीप ही थे जिन्होंने बॉम्बे के लिए मैच बचाने की भरपूर कोशिश की थी और बहुत थोड़े अंतर से हम हारे थे पर देश को यह युवा बल्लेबाज़ मिल गया था. जब संदीप पाटिल पहली बार टेस्ट क्रिकेट में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ उतरे थे तब सुनील गावस्कर ही उनके कप्तान थे. पहली बार भारत और पाकिस्तान की टीमें पहली बार छह टेस्ट मैचों की सिरीज़ खेल रही थीं. 1978 के अक्टूबर-नवंबर में खेली गई तीन टेस्ट मैचों की सिरीज़ पाकिस्तान अपने घर में 2-0 से जीत चुका था. नवंबर 1979 में पाकिस्तान की टीम भारत आई. शुरुआती दो टेस्ट मैच ड्रॉ रहने के बाद मुंबई टेस्ट में भारत ने 131 रनों से जीत हासिल की और फिर जिस मैच में संदीप पाटिल ने डेब्यू किया वो मैच भी भारत 10 विकेट से जीत गया. सिरीज़ का अंतिम टेस्ट मैच ड्रॉ रहा जिसमें संदीप पाटिल ने अर्धशतक जमाया और भारत ने टेस्ट सिरीज़ पर 2-0 से क़ब्ज़ा जमा लिया.

गावस्कर उस टेस्ट मैच और फिर ऑस्ट्रेलिया में संदीप पाटिल के प्रदर्शन पर उनकी किताब सैंडी स्टॉर्म की प्रस्तावना में लिखा, “जिस तरह से संदीप पाटिल ने इमरान ख़ान और उनकी टीम के तेज़ गेंदबाज़ों का सामना किया था मुझे उनकी बल्लेबाज़ी को लेकर कोई चिंता नहीं थी क्योंकि संदीप टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए ही पैदा हुए थे. अगले ही साल संदीप ने डेनिस लिली जैसे गेंदबाज़ का सामना करते हुए 174 रनों की पारी खेली थी, और वो भी तब जब उससे पहले के टेस्ट में उनके गले में चोट लगी थी.”

ओल्ड ट्रैफर्ड में शतक, एक ओवर में छह चौके क्रिकेट करियर का सफ़र

इसके बाद इंग्लैंड के दौरे पर ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट में संदीप पाटिल ने एक और यादगार प्रदर्शन किया. उन्होंने नाबाद 129 रन बनाए और उस पारी के दौरान बॉब विलिस के एक ओवर में 24 रन (4, 4, 4, 0, 4, 4, 4) ठोंक डाले (इसमें तीसरी गेंद नो बॉल थी). यह उस दौर की विस्फ़ोटक बल्लेबाज़ी का बेहतरीन उदाहरण था.

1983 विश्व कप की जीत में पाटिल भी भारत के नायकों में शामिल थे. लेकिन उसके बाद 1983-84 में पाकिस्तान और वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़ में वो आक्रामक बल्लेबाज़ी के चक्कर में रन नहीं बटोर सके और इस वजह से टीम में अपनी जगह बरकरार नहीं रख सके.

अगले सीज़न में उन्होंने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ ठीकठाक प्रदर्शन किया, लेकिन दो टेस्ट खेलने के बाद टीम से बाहर कर दिए गए, फिर कभी उन्हें टेस्ट टीम में नहीं चुना गया. हालांकि, 1986 में इंग्लैंड दौरे पर टीम में उन्हें फिर शामिल किया गया पर केवल वनडे मैचों में ही खेलने का मौक़ा मिला.

क्रिकेट का इतिहास उन्हें एक बेहतरीन बल्लेबाज़ के रूप में याद करता है, पर संदीप पाटिल एक उपयोगी गेंदबाज़ भी थे. हालांकि टेस्ट में 9 और वनडे में 15 विकेट उनकी गेंदबाज़ी प्रतिभा को रिकॉर्ड बयां नहीं करते. पर कई बार उन्हें कपिल देव के साथ नई गेंद से टेस्ट मैचों में गेंदबाज़ी की शुरुआत करनी पड़ी, तो जब कपिल टीम में नहीं होते, कप्तान अक्सर पाटिल की ओर देखते, और वे हर बार कप्तान की उम्मीदों पर खरे भी उतरते. जब भी उन्हें गेंदबाज़ी सौंपी जाती, वे दिल से उसका आनंद लेते और पूरी ज़िम्मेदारी से गेंदबाज़ी करते.

घरेलू क्रिकेट और कोचिंग करियर

संदीप पाटिल लंबे समय तक बॉम्बे (अब मुंबई) के लिए क्रिकेट खेला और अपने फ़र्स्ट क्लास करियर के अंतिम वर्षों में मध्य प्रदेश की कप्तानी भी की और उन्हें अच्छी सफलता भी मिली. क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद संदीप पाटिल पहले भारत 'ए' टीम के कोच बने, फ़िर टीम इंडिया के कोच बने और बाद में केन्या की राष्ट्रीय टीम के कोच बन गए. जब केन्या की टीम 2003 के वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल में पहुंची तो संदीप पाटिल ही उसके कोच थे. इसके बाद फिर संदीप पाटिल भारत ‘ए’ टीम के साथ जुड़े. यह जुड़ाव क़रीब 18 महीनों तक चला पर अनिश्चित भविष्य को देखते हुए संदीप पाटिल ओमान के हेड कोच बन गए. आईसीसी इंटरकॉन्टिनेंटल कप और एसीसी ट्रॉफ़ी में ओमान ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. संदीप पाटिल कुछ समय के लिए विवादास्पद इंडियन क्रिकेट लीग की मुंबई चैंप्स टीम के साथ भी जुड़े पर 2009 में वो वापस मुख्य धारा क्रिकेट में लौट आए. बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में कोचिंग दी. इसके बाद 2012 में उन्हें एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपी गई जब भारत की राष्ट्रीय टीम की चयन समिति का उन्हें अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

संदीप पाटिल का नाता केवल क्रिकेट से ही नहीं रहा. उन्होंने मराठी फ़िल्म ‘कभी अजनबी थे’ में मुख्य अभिनेता की भूमिका निभाई तो गाने का इतना शौक कि उनके छह कैसेट बाज़ार में आए. इतना ही नहीं, बहुमुखी प्रतिभा के धनी संदीप पाटिल मराठी पत्रिका ‘एकच शत्कार’ के एडिटर भी थे और अपनी आत्मकथा ‘सैंडी स्टॉर्म’ भी उन्होंने लिखी.

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