आखिर दरगाह पर चढ़ाई जाने वाली चादर का रंग हरा क्यों होता है? क्या सच में कुबूल होती है दुआ
मुस्लिम धर्म में दरगाह पर चादर चढ़ाई जाती है. माना जाता है कि चादर चढ़ाने से सारी दुआएं कबूल होती है. भारत में इस्लाम धर्म के मुताबिक अजमेर शरीफ की दरगाह पर चादर चढ़ाने का महत्व अधिक माना जाता है.;
इस्लाम धर्म में मजार पर चादर चढ़ाने की परंपरा बेहद पुरानी है. यह मुख्य रूप से सूफी परंपरा से जुड़ी हुई है. मुस्लिम धर्म में सूफियों का मानना था कि जब कोई व्यक्ति किसी धार्मिक पीर या सूफी की मजार पर जाता है, तो उसे दुआ मिलती है. साथ ही, सूफी को सम्मान देने के लिए भी दरगाह पर चादर चढ़ाने का रिवाज है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर चादर का रंग हरा ही क्यों होता है? साथ ही, इस पर क्या लिखा जाता है. क्या यकीनन चादर चढ़ाने से दुआएं कुबूल होती हैं. चलिए जानते हैं इस्लाम में मजार पर चादर चढ़ाने के महत्व के बारे में.
कब शुरू हुई थी परंपरा?
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, जिसे अजमेर शरीफ दरगाह भी कहा जाता है. यह दरगाह भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर शहर में स्थित है. कहा जाता है कि उनके समय में ही चादर चढ़ाने की यह परंपरा प्रचलित हुई. हालांकि, मजार पर महिलाएं चादर नहीं चढ़ाती हैं. चादर चढ़ाने का तरीका बहुत साधारण होता है, जिसमें लोग एक बड़ी चादर को मजार के ऊपर रखते हैं और साथ ही वहां फूल और अगरबत्ती चढ़ाते हैं.
हरे रंग की ही क्यों होती है चादर?
आपके भी दिमाग में यह सवाल आता होगा कि आखिर चादर का रंग हरा ही क्यों होता है? हरे रंग को खुशहाली का प्रतीक माना जाता है. साथ ही, अगर आपने गौर किया होगा तो इस्लाम धर्म में झंडे का रंग भी हरा ही होता है. वहीं, माना जाता है कि पैगंबर मोहम्मद को भी यह रंग पसंद था.
चादर पर क्या लिखा होता है?
मज़ार पर चढ़ाई जाने वाली चादर पर आमतौर पर कुरान की आयतें, पंजेतन पाक के नाम और मक्का-मदीना व गरीब नवाज के दर के तस्वीरें होती हैं. चादर पर कुरान के आयतों को लिखा या छापा जाता है. चादर पर हज़रत अली, हज़रत फ़ातिमा, हज़रत हसन और हज़रत हुसेन के नाम लिखे होते हैं.
क्या चादर चढ़ाने से होती है दुआ कुबूल?
मुस्लिम धर्म के लोगों का मानना है कि चादर चढ़ाने से अल्लाह से मांगी हुई दुआ कबूल होती है. जीवन में सुख शांति बनी रहती है. यही कारण है कि इस्लाम में चादर चढ़ाने का रिवाज है. वली, पीर या संत की कब्र पर दरगाह बनाई जाती है. जहां लोग जियारत करते हैं और चादर चढ़ाते हैं.