धनतेरस पर क्यों खरीदते हैं बर्तन, कौन हैं भगवान धन्वंतरि और इस दिन क्यों होती है इनकी पूजा?
धनतेरस दीपोत्सव की शुरुआत का प्रतीक है और इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर की पूजा होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन उनकी आराधना से उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना की जाती है. धनतेरस पर सोना-चांदी और बर्तन खरीदने की परंपरा इसी से जुड़ी है, क्योंकि धन्वंतरि सोने के कलश सहित प्रकट हुए थे.;
सनातन धर्म में धनतेरस के त्योहार का विशेष महत्व होता है. पांच दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव पर्व की शुरुआत इस दिन से होती है. इस दिन घरों की विशेष रूप से साफ-सफाई करते हुए पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव किया जाता है. फिर शाम को दीपक जलाकर आयुर्वेद के जनक और देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है, साथ ही इस दिन कुबरे और माता लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी तिथि के दिन आयुर्वेद के जनक और देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. इस कारण से इस दिन इनके प्राकट्य पर्व के रूप में धनतेरस का त्योहार मनाय जाता है.
कौन हैं भगवान धन्वंतरि?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब देवताओं औ दानवों के बीच समुद्र मंथन शुरू हुआ तब समुद्र मंथन से 14 प्रमुख रत्नों की उत्पत्ति हुई जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए जो अपने हाथों में अमृत कलश लिए हुए थे. भगवान धन्वंतरि विष्णुजी का ही अंशावतार हैं. समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि के एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ, दूसरे में औषधि कलश, तीसरे में जड़ी बूटी और चौथे में शंख विद्यमान है. इन्हे देवताओं का वैद्य और औषधियों का स्वामी माना जाता है. इस कारण से हर वर्ष धनतेरस पर केवल धन प्राप्ति की कामना और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए धनवंतरि भगवान की पूजा होती है.
धनतेरस पर सोना-चांदी और बर्तन की खरीदारी का महत्व
धनतेरस पर सोना-चांदी, आभूषण और बर्तन खरीदनें की परंपरा होती है. दरअसल समुद्र मंथन के दौरान जब धन्वंतरि जी प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में सोने का कलश था यही कारण है कि धनतेरस पर बर्तन और सोना-चांदी समेत अन्य धातुओं के खरीदने की भी परंपरा है. इस दिन सोना, चांदी, पीतल और तांबे के बर्तन विशेष रूप से कलश खरीदना काफी शुभ माना गया है.