कब है आंवला नवमी, क्यों होती है इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा, माता लक्ष्मी से जुड़ी है कथा

आंवला नवमी हिंदू धर्म में एक विशेष और शुभ तिथि मानी जाती है, जो हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इसे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का प्रिय वृक्ष माना गया है.;

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By :  State Mirror Astro
Updated On : 29 Oct 2025 6:00 AM IST

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है. हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व होता है. आंवला नवमी पर भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है. इस वर्ष आंवला नवमी का पर्व 31 अक्तूबर को मनाया जाएगा. आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है. अक्षय नवमी का संबंध आंवले के वृक्ष से होता है.

इसके अलावा ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन ही सतयुग की शुरुआत हुई थी. इस दिन आंवले का सेवन करना और इसके वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर खाने से सुख-समृद्धि और लंबी आयु की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं अक्षय नवमी तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.

अक्षय नवमी तिथि 2025

पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत, 30 अक्टूबर गुरुवार को सुबह 10 बजकर 07 मिनट पर होगी, जिसका समापन 31 अक्टूबर, शुक्रवार को सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस बार अक्षय नवमी 31 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी.

पूजा का शुभ मुहूर्त

अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का विशेष महत्व होता है. साथ ही इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन, भजन और कीर्तन का खास महत्व होता है. आंवला नवमी पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 31 अक्तूबर को सुबह 06 बजकर 37 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 04 मिनट तक रहेगा.

आंवला नवमी का महत्व

आंवला नवमी पर भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी. अक्षय नवमी पर आंवले का दान करना भी बहुत ही शुभ साबित होता है.

क्यों होती है आंवले के पेड़ की पूजा?

अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा करने का खास महत्व होता है. इसके साथ इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करने और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. आंवला के पेड़ को हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है. भगवान विष्णु को आंवला बहुत ही प्रिय होता है.

किसने शुरू की थी पूजा?

हिंदू धर्म में आंवले के पेड़ की पूजा के बारे में बहुत ही रोचक कथा है. यह कथा माता लक्ष्मी से जुड़ी हुई है. एक बार की बात है माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण कर रही थीं, तभी उनके मन में भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने की इच्छा जागृति हुई. तब माता के मन में एक साथ दोनों की पूजा कैसे संभव हो इस बात को लेकर सवाल पैदा हुआ. तब उन्होंने सोचा तुलसी में भगवान विष्णु और बेलपत्र में महादेव के रूप के दर्शन होते हैं. उसी तरह आंवले के पेड़ भगवान विष्णु और भोलेनाथ दोनों के ही स्वरूप मौजूद होंगे. यह बात सोचकर माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ की पूजा भगवान विष्णु और शिव के संयुक्त प्रतीक के रूप में मानकर पूरे भक्ति भाव से करने लगी. माता की पूजा से प्रसन्न होकर उसी समय भगवान विष्णु और शिव जी प्रकट हुए. तब माता लक्ष्मी ने उस आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन बनाकर दोनों देवताओं को भोग अर्पित किया और स्वयं भोजन ग्रहण किया. तभी से अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा और भोजन करने का महत्व है.

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