Tulsi Vivah 2025: नहीं हो रही शादी, तो जरूर निभाएं तुलसी विवाह की परंपरा, जानें शुभ तिथि, विवाह मुहूर्त और धार्मिक महत्व

यदि अभी तक आपकी शादी नहीं हो पाई है, तो तुलसी विवाह की परंपरा निभाना आपके लिए शुभ फलकारी साबित हो सकता है. यह धार्मिक अनुष्ठान न केवल घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है, बल्कि जीवनसाथी की प्राप्ति और वैवाहिक सुख के लिए भी माना जाता है.;

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By :  State Mirror Astro
Updated On : 24 Oct 2025 6:00 AM IST

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पूजनीय और पवित्र माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि तुलसी में माता लक्ष्मी का वास होता है जो धन और सुख-समृद्धि का प्रतीक होता है. तुलसी के पौधे की रोजाना पूजा करने और दीपक जलाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है सुख-शांति की प्राप्ति होती है. कार्तिक माह में तुलसी विवाह का पर्व बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है. हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व होता है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विवाह संपन्न कराया जाता है. ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह से वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और संपन्नता आती है जीवन में सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं. आइए जानते हैं कब है तुलसी विवाह की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व.

तुलसी विवाह 2025 शुभ तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 02 नवंबर 2025 को है.

विवाह का शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत 2 नवंबर को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर होगी और इसका समापन 03 नवंपर को सुबह 5 बजकर 7 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार तुलसी विवाह 2 नवंबर को मनाया जाएगा.

महत्व

हिंदू धर्म में जितना महत्व तुलसी पूजन का होता है उतना ही महत्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का होता है. हिंदू धर्म में तुलसी विवाह को बहुत ही पवित्र और शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराता है उसको कन्यादान के बराबर का पुण्य फल मिलता है. माता तुलसी को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. तुलसी पूजा और विवाह करने से व्यक्ति के जीवन में सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं. वहीं एक दूसरी मान्यताओं के अनुसार तुलसी विवाह कराने से अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन में प्रेम और स्थिरता बनी रहती है.

क्या है पूजन विधि

तुलसी विवाह की तिथि पर सबसे पहले सुबह स्नान करके पूजा स्थल पर तुलसी के पौधे को स्थापित करें. फिर इसके बाद तुलसी के पौधे के चारों तरफ एक छोटा सा मंडप तैयार करें. फिर भगवान शालिग्राम को तुलसी माता के दाहिने तरफ बैठाएं. इसके दोनों को गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद शालिग्राम को चंदन और तुलसी माता को रोली से तिलक लगाएं. पूजा में शामिल होने वाली फल, मिठाई, गन्ना, सिंघाडे और पंचामृत का भोग अर्पित करें. इसके बाद धूप और दीपक जलाएं. फिर इसके बाद मंत्रोचार के साथ माता तुलसी और शालिग्राम भगवान के सात फेरे लगाएं. विवाह संपन्न के बाद प्रसाद वितरित करके तुलसी और शालिग्राम का आशीर्वाद ग्रहण करें.

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