महाभारत युद्ध के साक्षी थे ये भगवान, कटे सिर के साथ देखी थी ऐतिहासिक लड़ाई

महाभारत एक बहुत बड़ा युद्ध था. जहां पर धर्म, नीति और जीवन के गहरे पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया था. महाभारत के युद्ध में सैकड़ों नायक और वीर योद्धा शामिल थे, लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो इस युद्ध के बाद भी जीवित रहे. महाभारत के युद्ध ने न केवल ऐतिहासिक घटनाओं का रूप लिया, बल्कि यह जीवन और मृत्यु, धर्म और अधर्म के बीच के संघर्ष का प्रतीक भी बना.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 8 Dec 2024 11:50 AM IST

महाभारत के युद्ध का इतिहास ना केवल भारत के इतिहास का बड़ा हिस्सा है, बल्कि यह धर्म, नीति और जीवन के गहरे पहलुओं पर भी प्रकाश डालता है. जब द्वापर युग में कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध हुआ था, तब उस युद्ध में लगभग सवा करोड़ योद्धाओं की मृत्यु हुई थी. इस विशाल युद्ध में पांडव और कौरव दोनों पक्षों ने अपनी पूरी शक्ति और वीरता दिखाई थी, लेकिन कुछ ही लोग थे जो इस युद्ध के साक्षी बने. आइए जानते हैं उन व्यक्तियों के बारे में जिन्होंने महाभारत के इस विनाशक युद्ध का दर्शन किया था.

महाभारत युद्ध के साक्षी कौन थे?

महाभारत के युद्ध में सैकड़ों नायक और वीर योद्धा शामिल थे, लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो इस युद्ध के बाद भी जीवित रहे. सबसे पहले, पांडव पक्ष की बात करें तो, पांडवों के पांचों भाई, साथ ही साथ सात्यकि, युयुत्सु, धृष्टद्युम्न और शिखंडी जैसे महापुरुष युद्ध के अंत तक जीवित रहे. इन सभी ने युद्ध के दौरान वीरता का प्रदर्शन किया था और युद्ध के साक्षी बने.

वहीं कौरव पक्ष से बात करें तो, कौरवों का नेतृत्व दुर्योधन और उसके अन्य भाइयों ने किया था. इनमें से केवल कुछ ही लोग युद्ध के अंत तक जीवित रहे, जैसे अश्वत्थामा, कृतवर्मा, और कृपाचार्य. कौरवों के पुत्रों में से केवल वृषकेतु जीवित बचा था.

वो कौन थे जिन्होंने युद्ध में भाग तो नहीं लिया लेकिन फिर भी बने इसके साक्षी?

महाभारत युद्ध में कई ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने युद्ध में भाग नहीं लिया, फिर भी वे इस ऐतिहासिक युद्ध के साक्षी बने. इनमें प्रमुख थे श्री कृष्ण, हनुमान जी, बर्बरीक (खाटू श्याम बाबा) और काकभुशुंडि.

बर्बरीक (खाटू श्याम बाबा) - बर्बरीक, जो कि भीम के पोते थे, ने भी महाभारत युद्ध के हर एक दृश्य को देखा. वे युद्ध के अंत में यह सब देख रहे थे और बाद में उन्हें खाटू श्याम बाबा के नाम से पूजा जाता है. महाभारत के योद्धा बर्बरीक के कटे सिर के बारे में मान्यता है कि उन्होंने ही कटे सिर के साथ महाभारत का पूरा युद्ध देखा था.

श्री कृष्ण - श्री कृष्ण पांडवों के सबसे बड़े समर्थक थे और अर्जुन के सारथि के रूप में युद्ध में उपस्थित रहे. हालांकि उन्होंने शस्त्र नहीं उठाए, लेकिन वे इस युद्ध के हर पहलू के साक्षी बने.

हनुमान जी - हनुमान जी अर्जुन के रथ पर ध्वजा के रूप में मौजूद थे, और उन्होंने भी इस युद्ध को देखा. उनका आशीर्वाद अर्जुन को मिलता रहा था.

काकभुशुंडि - काकभुशुंडि, जिन्होंने रामायण काल में राम-रावण युद्ध के साक्षी बने थे, वे महाभारत युद्ध के भी साक्षी थे. काकभुशुंडि को एक अमर पंछी के रूप में माना जाता है, जो महाभारत युद्ध के समस्त घटनाओं को देखता रहा.

महाभारत के युद्ध ने न केवल ऐतिहासिक घटनाओं का रूप लिया, बल्कि यह जीवन और मृत्यु, धर्म और अधर्म के बीच के संघर्ष का प्रतीक भी बना. जिन व्यक्तियों ने इस युद्ध को देखा, उनका इतिहास में बड़ा स्थान है.

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