Ramadan 2025: क्यों उमराह पर होती है दुआ कुबूल? जानें इस दौरान क्यों पहना जाता है एहराम

उमराह इस्लाम की एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है, जिसे मुस्लिम धर्म के अनुयायी मक्का, सऊदी अरब में स्थित काबा को देखने के लिए करते हैं. यह हज से छोटा और कम समय लेने वाला होता है, लेकिन इसके बावजूद इसका महत्व बहुत ज्यादा है. उमराह को छोटा हज भी कहा जाता है.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 2 March 2025 11:17 AM IST

रमजान इस्लाम का नौवां महीना होता है. यह सबसे पवित्र दिन होते हैं. रमजान का महीना आम तौर पर 29 या 30 दिन का होता है. रमजान में पहले 10 दिनों को रहमत कहा जाता है. वहीं, अगले दस दिनों को बरक और आखिर 10 दिनों को मगफिरत नाम दिया गया है.

उमराह एक छोटा हज है, जिसे साल के किसी भी समय किया जा सकता है. रमजान के महीने का महत्व इस्लाम में बहुत अधिक है, क्योंकि यह वह महीना है, जब कुरान पहली बार नाजिल हुई था. इस महीने में मुस्लिम रोजा रखते हैं और विशेष रूप से इबादत और तौबा की कोशिश करते हैं. माना जाता है कि इस महीने में उमराह पर दुआ कुबूल हो जाती है.

क्यों होती है दुआ कुबूल

रमजान के आखिरी दस दिनों में एक रात होती है, जिसे लाइलतुल कद्र (कद्र की रात) कहा जाता है. माना जाता है कि यह एक ऐसी रात होती है, जब दुआएं जल्दी कुबूल हो जाती हैं. इस रात को सच्चे दिल से इबादत करने और दुआ करने से विशेष रूप से अल्लाह का रज़ा हासिल होता है.

उमराह का महत्व

हजरत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने रमजान में उमराह करने को हज के बराबर सवाब (पुण्य) बताया है. इस समय उमराह करना अच्छा माना जाता है. उमराह के दौरान किए गए दुआएं, नफ्ल इबादतें और तौबा को अल्लाह द्वारा विशेष रूप से स्वीकार किया जाता है.

क्या होता है एहराम?

एहराम इस्लाम में हज और उमराह के दौरान पहनने जाने वाला एक कपड़ा है. पुरुषों के लिए एहराम दो सफेद रंग के बिना सिले हुए कपड़े होते हैं. इसमें एक लंबा कपड़ा शरीर के नीचे लपेटने के लिए (इज़ार) और एक दूसरे कपड़े (रिदा) से ऊपर के शरीर को ढकने के लिए होता है. यह बिना सिले हुए कपड़े इस्लामिक परंपरा में पवित्रता, समानता और एकता का प्रतीक हैं, क्योंकि इसमें सभी व्यक्ति एक जैसे दिखते हैं, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति कुछ भी हो.

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