पितरों के निमित्त गाय-कौवा और कुत्ते को ही क्यों खिलाया जाता है भोजन?

पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए उन्हें तो पिंडदान किया ही जाता है, गाय, कौआ और कुत्ते को भी स्वादिष्ट भोग परोसा जाता है. शास्त्रीय परंपरा में इसके कई कारण बताए गए हैं.;

पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण और पिंडदान बड़े स्तर पर किया जा रहा है. पितृतीर्थ गया में तो बड़ा सा मेला लगा है. वहीं काशी, मथुरा, अयोध्या, हरिद्वार आदि पवित्र धामों में भी लोगा पितरों को तर्पण कर रहे हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गाय, कुत्ता और कौवे को भोजन करा रहे हैं. ऐसे में यह सवाल लाजमी है कि आखिर पितृपक्ष में क्यों गाय, कुत्ता या कौवे को ही भोजन देकर तृप्त करने की कोशिश की जाती है? कहीं इन जीवों से हमारें पितरों का कोई संबंध तो नहीं?. इस सवाल के लेकर काशी के विद्वान आचार्यों ने बड़ा रहस्य बताया है.

काशी में अध्यन और अध्यापन करने वाले आचार्य पंडित संजय उपाध्याय के मुताबिक पितृपक्ष में पंचबलि का विधान हमारे शास्त्रों में है. इस बलि में किसी की हत्या नहीं है, बल्कि इस पंच बलि में गाय, कौवा और कुत्ते को भोजन कराकर तृप्त करने की बात कही गई है. उन्होंने कहा कि अक्सर लोग पूछते हैं कि शास्त्रों में गाय, कौआ या कुत्ते को ही क्यों, और जानवर क्यों नहीं? इसका जवाब भी सनातन धर्म के विभिन्न शास्त्रों में मिलता है. उन्होंने बताया कि गाय को शास्त्रों में देवी कहा गया है. यह बहुत ही पवित्र जीव है. मान्यता है कि गाय के शरीर में 33 कोटि के देवता वास करते है.

कौआ और कुत्ता यम के प्रतीक

इसी लिए पितरों को प्रसन्न करने के लिए गाय की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश की जाती है. जहां तक कौवे की बात है तो, कौवे को संचार वाहक माना गया है. इसके अलावा उसे यम का भी प्रतीक कहा गया है. ऐसी मान्यता है कि कौआ हमारे संदेश को पितरों तक पहुंचाते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो पितर कौए से ही हमारी खोजखबर लेते हैं. इसी लिए मान्यता है कि यदि भोजन देते समय कौवा मुंह मोड़ ले, तो इसका सीधा सा मतलब आपके पितर नाराज हैं. ठीक इसी प्रकार कुत्ते के लिए भी मान्यता है. कुत्ता भी यम का प्रतिनिधित्व करता है. इसे दंडाधिकारी भैरव की सवारी भी है. पौराणिक कथाओं में श्याम और सबल नाम के दो स्वान (कुत्ते) का जिक्र मिलता है. इन कथाओं में इन कुत्तों को यमराज के मार्ग का अनुसरण करने वाला बताया गया है. कहा गया है कि यह कुत्ते ही मृतात्मा को यमलोक का मार्ग दिखाते हैं. 

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