पितृपक्ष 2024: कर्मों के हिसाब के लिए बनें हैं 10 नरक, जान लीजिए उनके नाम
मनु स्मृति में 21 नरकों का उल्लेख है. वहीं श्रीमद भागवत पुराण, विष्णु पुराण और देवी भागवत में 28 नरक बताए गए हैं. इसी प्रकार गरुड़ पुराण तो 36 तरह के नरकों का विधान करता है. हालांकि इन सभी ग्रंथों में 10 प्रमुख नरकों का जिक्र मिलता है.;
पितृपक्ष चल रहा है. लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए तर्पण और श्राद्ध कार्य कर रहे हैं, लेकिन गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं कि 'अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्। नाभुक्तं क्षीयते कर्म कल्पकोटिशतैरपि।।'. मतलब आदमी जैसा कर्म करता है उसे जीवन जीते हुए या फिर मरने के बाद उसका फल तो भोगना ही पड़ता है. अब यदि कर्म अच्छे होंगे तो स्वर्ग की प्राप्ति होगी और यदि बुरे होंगे तो फिर नरक जाना होगा. ऐसे में यह सवाल जरूर उठता है कि ये नरक होता क्या है और इस नरक में जाने के बाद आदमी को कौन से फल भोगने होते हैं. इस प्रसंग में हम इन्हीं सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश करेंगे.
सनातन धर्म के कई प्रमाणिक ग्रंथों में नरक की कल्पना की गई है.मनु स्मृति में 21 नरकों का उल्लेख है. वहीं श्रीमद भागवत पुराण, विष्णु पुराण और देवी भागवत में 28 नरक बताए गए हैं. इसी प्रकार गरुड़ पुराण तो 36 तरह के नरकों का विधान करता है. हालांकि इन सभी ग्रंथों में 10 प्रमुख नरकों का जिक्र मिलता है और इस प्रसंग में हम इन्हीं 10 नरकों के बारे में जानेंगे. गरुड़ के मुताबिक सबसे कठिन नरक महारौरव होता है. यह नरक एक बड़ी सी भट्ठी की तरह होता है. इसमें चारों ओर आग ही आग होती है. इस नरक में उन लोगों को भेजा जाता है जो दूसरों के घर, खेत, खलिहान या गोदाम इत्यादि में आग लगाते हैं.
महावीचि में जाते हैं गोहत्या या कन्या भ्रूण की हत्या करने वाले
इसी प्रकार दूसरे नरक का नाम महावीचि बताया गया है. यह नरक खून से लबालब होता है. इसमें बड़े-बड़े कांटे लगे होते हैं. इस नरक में उन लोगों को डाला जाता है जो गोहत्या, कन्या भ्रूण की हत्या करते हैं. गरुड़ पुराण के मुताबिक तीसरे नरक का नाम कुंभीपाक है. अपने नाम के मुताबिक यह नरक एक कुंभ यानी घड़े की तरह होता है. इसमें तेल भरा होता है और इसके नीचे आग सुलगती रहती है. इस नरक में दूसरों की जमीन, जायदादा या अधिकार हड़पने वालों को डाला जाता है. ब्रह्महत्या के दोषी को भी इसी नरक में जगह मिलती है. इस नरक में घुसते ही लोग गर्म तेल में पकौड़ी की तरह तले जाते हैं और हाय हाय करके चिल्लाते हैं.बावजूद इसके, इन्हें बचाने वाला कोई नहीं होता.नरकों में अगला नाम रौरव नरक का आता है. इस नरक की खासियत होती है कि इसमें आत्मा को जलते हुए तीरों पर चलना होता है. इस नरक में उन लोगों को भेजा जाता है, जो झूठी गवाही देते हैं.
शराब पीने वाले ब्राह्मणों के लिए विलेपक नरक
इसी प्रकार मंजूष नरक के बारे में कहा गया है कि तपती रेत की तरह ही यह अंगारों की धरती है. यहां ऐसे लोगों को भेजा जाता है जो निरपराध को बंदी बनाते हैं, कैद में रखते हैं और उन्हें सजा देते हैं. अगले नरक का नाम अप्रतिष्ठ बताया गया है. यह पीब, मूत्र और उल्टी आदि गंदगी से भरा होता है. इसमें गो-ब्राह्मण और सद्पुरुषों को कष्ट देने वालों को भेजा जाता है. इसी प्रकार विलेपक नरक ब्राह्मणों के लिए बनाया गया है. इस नरक में हमेशा लाखों की संख्या में शोले जलते रहते हैं. जो भी ब्राह्मण मांस और मदिरा का सेवन करता है, इस नरक में उसे जलाया जाता है. वहीं किसी के दांपत्य जीवन में फूट डालने वाले, पति पत्नी के बीच झगड़ा कराकर मजे लेने वालों के लिए महाप्रभ नरक है. इसमें प्राणी को बड़े-बड़े नुकीले तीर पर चलना पड़ता है. इसी प्रकार पराई स्त्री से संभोग करने वाले प्राणियों को जयंती नरक में लाया जाता है, जहां उन्हें बड़ी-बड़ी चट्टानों के नीचे दबाकर सजा दी जाती है. यदि कोई महिला चरित्रहीन हो जाए और कई पुरुषों के साथ संभोग करती है तो उसे शाल्मलि नरक में जाना होता है. इस नरक में उसे जीवन का शेष भाग नुकीले कांटों के ऊपर गुजारना होता है.