धरती पर वो 52 स्थान जहां गिरे देवी के अंग, जो बन गए शक्तिपीठ

देवी सती के शरीर को लेकर जब भगवान शिव सृष्टि में घूमने लगे थे, उस समय भगवान नारायण ने सुदर्शन चलाकर सती के 52 टुकड़े कर दिए थे. यह टुकड़े धरती पर जहां भी गिरे, उन स्थानों को आज शक्तिपीठ के नाम से पूजा जाता है.;

विशालाक्षी शक्तिपीठ वाराणसी

देवी के 51 शक्तिपीठों की मान्यता है. यह शक्तिपीठ देवी भागवत में वर्णित हैं. हालांकि तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठों के नाम हैं. यहां हम किसी विवाद में पड़ने के बजाय प्रसिद्ध 52 शक्तिपीठों की चर्चा करेंगे. इनमें पहला शक्तिपीठ विशालाक्षी देवी का है. यह शक्तिपीठ वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर है. यहां माता के मणिकर्णिका गिरी थी. इसी प्रकार दूसरा शक्तिपीठ प्रयागराज में माता ललिता देवी के नाम से प्रसिद्ध है. कुछ लोग अलोप शंकरी को भी मानते हैं. यहां देवी सती की हाथ की उंगली का हिस्सा गिरा था. चित्रकूट के रामगिरी में माता सती का दाहिना स्तन गिरा और यहां माता शिवानी के रूप में पूजी जाती हैं.वहीं वृंदावन में देवी के बाल गुच्छ और चूड़ामणि गिरी थी. यहां पर माता उमा के नाम से विराजमान हैं. इसे कात्यायनी शक्तिपीठ भी कहा गया है.

देवी भागवत की कथा के मुताबिक बलरामपुर के देवी पाटन में माता का बायां स्कंध गिरा था. यहां पर माता को मातेश्वरी के रूप में पूजा जाता है. वहीं मध्य प्रदेश के हरसिद्धि में माता की कोहनी गिरी थी. मध्य प्रदेश के ही अमरकंटक स्थित शोणदेव नर्मता शक्तिपीठ में माता का दाहिना नितंब गिरा था. चूंकि यहीं से नर्मदा का उद्गम है, इसलिए माता को नर्मता भी कहा जाता है. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में नैना देवी के मंदिर में सती की आंख गिरी थी. यहां देवी महिष मर्दिनी कही जाती हैं. हिमाचल प्रदेश के ही कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी. यहां माता ज्वाला जी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. यहां माता का नाम सिधिदा और अंबिका भी है.

पंजाब में हैं त्रिपुरमालिनी

पंजाब में एक मात्र शक्तिपीठ त्रिपुरमालिनी है. यहां माता का बायां स्तर गिरा था. इसी प्रकार कश्मीर में अमरनाथ के पहलगांव में माता का गला गिरा और यहां पर माता की पूजा महामाया के रूप में होती है. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में सावित्री शक्तिपीठ है. यहां माता की ऐड़ी गिरी थी. इसी प्रकार राजस्थान के पुष्कर में माता सती की दो पहुंचियां गिरी थी. यहां माता गायत्री के रूप में विराजमान हैं. राजस्थान के ही बिरात में अंबिका देवी का मंदिर है. यहां पर माता के बाएं पैर की उंगलियां गिरी थीं. गुजरात के अंबाजी मंदिर में माता का दिल गिरा था. इसी प्रकार गुजरात के ही जूनागढ़ में माता का आमाशय गिरा. यहां माता को चंद्रभागा के नाम से जानते हैं. माता की ठोढ़ी महाराष्ट्र के जनस्थान में गिरी, यहां माता को भ्रामरी कहा जाता है. वहीं माताबाढ़ी पर्वत शिखर शक्तिपीठ त्रिपुरा में उदरपुर के राधाकिशोरपुर गांव में है. यहां माता का दाहिना पैर गिरा था. यहां माता का एक नाम त्रिपुर सुंदरी भी है.

बंगाल में सबसे ज्यादा अंग गिरे

बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर में देवी कपालिनी के मंदिर में बायीं ऐड़ी तो हुगली में रत्नावली में माता का दाहिना कंधा गिरा था. यहां माता को देवी कुमारी कहा जाता है. बंगाल के ही मुर्शीदाबाद के किरीटकोण में देवी का मुकुट गिरा और यहां माता विमला देवी के नाम से प्रतिष्ठित हैं. जलपायी गुड़ी के सालबाढ़ी में माता का बायां पैर गिरा और यहां माता भ्रामरी देवी के रूप की पूजी जाती है. वर्धमान के बहुला देवी शक्तिपीठ में बायां हाथ गिरा और वर्धमान के ही मंगल चंद्रिका माता शक्तिपीठ में दायीं कलाई गिरी थी. बंगाल के ही वक्रेश्वर में सती का भ्रूमध्य गिरा था. यहां माता महिषमर्दिनी के नाम से प्रतिष्ठित हैं. जबकि बीरभूम स्थित नलहाटी शक्तिपीठ में माता के पैर की हड्डी गिरी थी. इसके बाद फुल्लारा देवी शक्तिपीठ में होंठ, नंदीपुर शक्तिपीठ में हार, युगाधा शक्तिपीठ में दाहिने हाथ का अंगूठा गिरा था.

दक्षिण भारत में ये शक्तिपीठ

वहीं कलिका देवी शक्तिपीठ में दाहिने पैर की अंगूठा गिरा था. यहां कांची देवगर्भ शक्तिपीठ में देवी की अस्थि गिरी थीं. वहीं तमिलनाडु की भद्रकाली शक्तिपीठ में पीठ गिरी थी. यहां माता का कन्याश्रम, भद्रकाली मंदिर और कुमारी मंदिर स्थित है. तमिलनाडु के ही कन्या कुमारी में शुचि शक्तिपीठ है. यहां माता की उपरी दाढ़ गिरी थी. ओडिशा के विमला देवी शक्तिपीठ में माता की नाभि, आंध्र प्रदेश के सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ में गाल और श्रीशैलम शक्तिपीठ में दाहिने पैर की पायल गिरी थी. इसी प्रकार कर्नाटक के कर्नाट शक्तिपीठ में माता के दोनों कान गिरे थे. गोहाटी के नीलांचल पर्वत पर माता की योनि गरी थी. यहां माता कामाख्या देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. वहीं हरियाणा के कुरुक्षेत्र स्थित मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर में दायां टखना गिरा था.

विदेशों में भी हैं शक्तिपीठ

  • चट्टल भवानी शक्तिपीठ- बांग्लादेश के चिट्टागौंग में
  • सुगंधा शक्तिपीठ- बांग्लादेश के शिकारपुर में
  • जयंती शक्तिपीठ -बांग्लादेश के सिलहट में
  • श्रीशैल महालक्ष्मी -बांग्लादेश के सिलहट में
  • यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ -बांग्लादेश के खुलना में
  • इन्द्राक्षी शक्तिपीठ- श्रीलंका के जाफना में
  • गुहेश्वरी शक्तिपीठ- नेपाल मे पशुपतिनाथ मंदिर के पास
  • आद्या शक्तिपीठ- नेपाल में गंडक नदी के पास आद्या शक्तिपीठ
  • दंतकाली शक्तिपीठ- नेपाल के बिजयापुर गांव में
  • मनसा शक्तिपीठ- तिब्बत में मानसरोवर नदी के पास 
  • मिथिला शक्तिपीठ- भारत नेपाल सीमा पर 
  • हिंगुला शक्तिपीठ-पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 

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