Maha Kumbh 2025: त्रिवेणी संगम, अखाड़ों और नागा साधुओं से जुड़ी ये बातें नहीं जानते होंगे आप

महाकुंभ, सामान्य कुंभ मेले से कहीं बड़ा और अलग होता है. इस मेले में साधू संत, तीर्थयात्री और लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं. यहां पर कई धार्मिक अनुष्ठान, भजन कीर्तन, प्रवचन और साधना की जाती है.;

( Image Source:  Instagram/roshagulla )
Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 23 Dec 2024 5:18 PM IST

सनातन धर्म का सबसे बड़ा समागम महाकुंभ 2025 में देश-विदेश से करीब 40-45 करोड़ श्रद्धालु जुटेंगे, जो त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान करने आएंगे. साल 2025 में महाकुंभ मेला 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा स्नान के साथ शुरू होगा और 26 फरवरी को महा शिवरात्रि के साथ समाप्त होगा. महाकुंभ के मेले में तपस्वी, संत, साधु, साध्वी, कल्पवासी और सभी क्षेत्रों के तीर्थयात्री शामिल होते हैं.

महाकुंभ एक प्रमुख हिंदू धार्मिक आयोजन है जो हर 12 वर्षों में आयोजित होता है. यह विशेष रूप से भारत के चार पवित्र स्थानों पर आयोजित किया जाता है. इनमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शामिल है. चलिए जानते हैं अखाड़ा, नागा साधुओं और महाकुंभ में होने वाले रीति-रिवाजों के बारे में.

क्या है महाकुंभ?

माना जाता है कि समुद्र मंथन से अमृत प्राप्त हुआ था. जहां देवताओं और असुरों के बीच लड़ाई में अमृत प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरा था. इस कारण से इन जगहों पर महाकुंभ का मेला लगाया जाता है.

कहां-कहां होता है महाकुंभ?

हरिद्वार में गंगा के तट पर महाकुंभ आयोजित होता है. वहीं, उज्जैन में शिप्रा के तट पर भव्य महाकुंभ का मेला लगाया जाता है. इसके अलावा, नासिक में गोदावरी के तट पर महाकुंभ होता है. प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक अदृश्य सरस्वती के संगम पर मेला लगाया जाता है.

अखाड़ों के बारे में जानकारी

बता दें कि 13 अखाड़ों को मान्यता प्राप्त है. हालांकि, किन्नर अखाड़ा को परिषद द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त नहीं है. यह जूना अखाड़े से जुड़ा हुआ है. साथ ही, अखाड़ों के भी प्रकार होते हैं. इनमें शैव अखाड, जो भगवान शिव के उपासक होते हैं. इसके अलावा, वैष्णव अखाड़े भगवान विष्णु के भक्त हैं. वहीं, उदासीन अखाड़ा मुख्य रूप से गुरु नानक की शिक्षाओं के अनुयायी से जुड़ा है.

अखाड़ों के नाम

जूना अखाड़ा,निरंजनी अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, पंचाग्नि अखाड़ा, नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा, वैष्णव अखाड़ा, उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा, उदासीन नया अखाड़ा और निर्मल पंचायती अखाड़ा

अखाड़ों में प्रमुख पद

आचार्य महामंडलेश्वर अखाड़े में सर्वोच्च पद पर हैं. इसके अलावा, आचार्य के बाद दूसरा सबसे बड़ा पद महामंडलेश्वर का होता है. वहीं, श्रीमहंत अखाड़े के प्रशासनिक कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं.

कौन हैं नागा साधु?

नागा साधु सांसारिक आसक्तियों का त्याग करते हैं और खुद को पूरी तरह से मोक्ष और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने के लिए समर्पित कर देते हैं. वे कपड़ों सहित सभी भौतिक सुखों का त्याग कर देते हैं और आमतौर पर कुंभ/महाकुंभ के आयोजनों में देखे जाते हैं.

क्या होता है हठ योग?

हठ योग में गहन आध्यात्मिक अनुशासन शामिल है, जैसे कि भक्ति और तपस्या के रूप में वर्षों तक एक हाथ को ऊपर उठाए रखना या लंबे समय तक एक पैर पर खड़े रहना.

कल्पवास क्या है?

कल्पवास आम लोगों के लिए एक आध्यात्मिक अभ्यास है, जो सांसारिक सुखों को त्याग कर पौष और माघ के शुभ महीनों के दौरान संगम के तट पर रहते हैं. इसे व्यक्तियों द्वारा भक्ति और तपस्या के माध्यम से मोक्ष प्राप्त करने का एक तरीका माना जाता है.

Similar News