कैसे हुआ स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सरा उर्वशी का जन्म, जिनका बद्रीनाथ के पास है मंदिर?

हाल ही में एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला ने कहा था कि बद्रीनाथ के पास उनके नाम का मंदिर है. बता दें कि बामणी गांव में एक पवित्र मंदिर है, जो मां उर्वशी को समर्पित है. बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन करने के बाद भक्त मां के दरबार में माथा टेकते हैं.;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 20 April 2025 6:00 AM IST

उत्तराखंड के चमोली जिले में एक छोटा सा गांव है, जिसका नाम बामणी है. यह गांव बद्रीनाथ धाम से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो कि हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है.

बामणी गांव में एक पवित्र मंदिर है, जो मां उर्वशी को समर्पित है. बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन करने के बाद भक्त मां के दरबार में माथा टेकते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर कौन हैं मां उर्वशी? चलिए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाओं के बारे में. 

विष्णु की जांघों से हुआ जन्म

भगवान विष्णु बद्रीनाथ की गुफाओं में गहरे ध्यान में लीन थे. उनकी साधना इतनी प्रबल थी कि वे संसार की हर हलचल से परे केवल अपने लक्ष्य में डूबे हुए थे. इसी अलौकिक क्षण में एक अद्भुत घटना घटी. विष्णु के ध्यान की ऊर्जा से उनकी जांघों से एक अनुपम सुंदरता का अवतरण हुआ. एक अप्सरा जिसका नाम उर्वशी रखा गया . माना जाता है कि वह कुछ दिन बामणी गांव में रही, जहां लोगों ने उनके नाम का मंदिर बनाया.

जब शिव ने सती को दिलाई मुक्ति

सती के वियोग से शिव का हृदय शोक और क्रोध से भर उठा. वे सती को मुक्ति दिलाने के लिए उनके शरीर को अपने कंधों पर उठाए पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे. उनका क्रोध इतना प्रचंड था कि देवता, ऋषि, और समस्त प्राणी भयभीत हो उठे. ऐसा प्रतीत होने लगा कि सृष्टि का अंत निकट है.

होती है सती के अंग की पूजा

इस विनाशकारी स्थिति को देखकर भगवान विष्णु ने एक उपाय निकाला. उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र का प्रयोग किया, जिससे सती के शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए और वे पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरने लगे. कहा जाता है कि उन्हीं टुकड़ों में से एक बामणी गांव के निकट गिरा. माना जाता है कि यहां सती के शरीर के उस दिव्य अंश की पूजा होती है. 

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