Khatu Shyam Baba: राजस्थान में खाटू श्याम का शीश, पर कहां है शरीर? जानिए अनकही कहानी!
खाटू श्याम जी, जिन्हें बर्बरीक के नाम से भी जाना जाता है, महाभारत के युद्ध से जुड़े हैं। वे भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र हैं महाभारत युद्ध में बर्बरीक कमजोर पक्ष का साथ देने का संकल्प लेकर आए थे, जिससे युद्ध में उनकी भूमिका निर्णायक हो सकती थी.;
Khatu Shyam Baba: खाटू श्याम जी, जिन्हें बर्बरीक के नाम से भी जाना जाता है, महाभारत के युद्ध से जुड़े हैं। वे भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र हैं महाभारत युद्ध में बर्बरीक कमजोर पक्ष का साथ देने का संकल्प लेकर आए थे, जिससे युद्ध में उनकी भूमिका निर्णायक हो सकती थी.
श्रीकृष्ण ने मांगा बर्बरीक का शीश
युद्ध में भाग लेने से पहले, भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से उनका शीश दान में मांगा और बदले में वरदान दिया कि कलियुग में वे कृष्ण के ही नाम से पूजे जाएंगे. बर्बरीक ने यह वरदान स्वीकार किया और शीश दान कर दिया. उन्होंने श्रीकृष्ण से महाभारत युद्ध का अवलोकन करने की इच्छा व्यक्त की, जिसे कृष्ण ने पूरा किया.
राजस्थान के खाटू में कैसे पहुंचा शीश?
कथा के अनुसार, युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक का शीश पीपल के पेड़ से उतारकर रूपवती नदी में बहा दिया. यह शीश बहते हुए राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गांव में पहुंच गया. यहां एक दिन जब गाय उस स्थान से गुजरी, तो उसके थनों से दूध बहने लगा. खाटू के राजा को सपना आया जिसमें कृष्ण ने उस स्थान पर शीश की स्थापना का निर्देश दिया। राजा ने वहीं मंदिर का निर्माण करवाया, जो आज खाटू श्याम के नाम से प्रसिद्ध है.
हरियाणा में है बर्बरीक का धड़
पौराणिक मान्यता के अनुसार, बर्बरीक का धड़ हरियाणा के हिसार जिले के बीड़ गांव में पूजित है. यहां भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और मान्यता है कि बाबा के दर्शन से सभी कष्ट समाप्त होते हैं.
बाबा खाटू श्याम का यह अनोखा इतिहास और उनकी पूजा की परंपरा उनके भक्तों में आस्था का प्रतीक है, जो राजस्थान के खाटू से लेकर हरियाणा तक फैली हुई है.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.