Kartik Maas Niyam: इस महीने में क्या करना है और किन चीजों से बचना चाहिए, जानें सभी नियम

कार्तिक मास का आरंभ 18 अक्टूबर 2024 से हो चुका है. इस महीने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक होता है, विशेषकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए. मान्यता है कि इस पवित्र महीने में सही नियमों का पालन करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है.;

Kartik Maas Niyam: कार्तिक मास का आरंभ 18 अक्टूबर 2024 से हो चुका है. इस महीने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक होता है, विशेषकर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए. मान्यता है कि इस पवित्र महीने में सही नियमों का पालन करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है. आइए जानते हैं कि कार्तिक मास के दौरान किन चीजों का पालन करना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए/

कार्तिक मास में क्या नहीं करना चाहिए?

  • तेल का इस्तेमाल: इस महीने में शरीर पर तेल लगाने से बचना चाहिए. हालांकि, नरक चतुर्दशी*पर तेल लगाना शुभ माना जाता है.
  • खाद्य परहेज: उड़द, मूंग, मसूर की दाल, चना, मटर, बैंगन और करेला जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन वर्जित माना गया है. साथ ही, मांस-मदिरा का सेवन भी वर्जित है.
  • बाल कटवाना: इस महीने में बाल कटवाना, नाखून काटना और पेड़ काटना भी अशुभ माना गया है, जिससे पूजा का फल नहीं मिलता है.

कार्तिक मास में क्या करना चाहिए?

  • स्नान-दान: इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है। इससे चंद्र दोष का निवारण होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • तुलसी की पूजा: तुलसी का पूजन कार्तिक मास में विशेष फलदायी माना गया है। रोजाना तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने से शुभ फल मिलते हैं।
  • दीपदान और ब्रह्मचर्य: कार्तिक मास में दीपदान का भी महत्व है। साथ ही, ब्रह्मचर्य का पालन करने से आत्मिक शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
  • पवित्र नदियों में स्नान: इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने से जीवन में पवित्रता और शांति आती है।

कार्तिक मास में बाल कटवाने की मनाही

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस महीने में बाल और नाखून काटने से पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है. इसलिए, कार्तिक मास में इन नियमों का पालन करने से विशेष पुण्य और भगवान की कृपा प्राप्त होती है.

डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.

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