Ganesh Chaturthi 2025: गणेश जी प्रथम पूज्य देवता कैसे बने ? शुभ कार्यों में सबसे पहले क्यों पूजे जाते हैं गणपति?

भगवान गणेश हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं. उन्हें "विघ्नहर्ता" (अर्थात् बाधाओं को दूर करने वाले) और "सिद्धिदाता" (सफलता प्रदान करने वाले) कहा जाता है. गणेश जी का पूजन किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में सर्वप्रथम किया जाता है, जिससे कार्य निर्विघ्न संपन्न हो.;

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By :  State Mirror Astro
Updated On : 28 Aug 2025 6:00 AM IST

आज ( 27 अगस्त 2025) से गणेशोत्सव शुरू हो गया है. हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन घरों और बड़े-बड़े पांडालों में गणेश प्रतिमा की स्थापना करके विधि-विधान के साथ पूजा होती है.

हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान गणपति को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है. किसी भी शुभ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है, फिर दूसरे देवी-देवताओं का पूजन करने का विधान होता है. शादी हो, मुंडन संस्कार हो, मकान में गृह प्रवेश हो, किसी प्रतिष्ठान का उद्धाटन हो या फिर कोई बड़ा धार्मिक आयोजन हो सबसे पहले गणेशी जी की पूजा होती है. आइए जानते हैं आखिरकार ऐसा क्यों होता है और कैसे बने भगवान गणपति प्रथम पूज्य देवता ? क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा?

देवी-देवताओं के बीच हुआ सबसे श्रेष्ठ होना का विवाद

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार सभी देवी-देवताओं के बीच इस बात को लेकर बहस और विवाद छिड़ गया कि धरती पर सबसे पहले किसी पूजा होनी चाहिए. ऐसे में बारी-बारी से सभी देवता अपने को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए अपना-अपना पक्ष रखते गए. लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके. तब सभी देवताओं को नारदजी ने भगवान शिव की शरण में जाने की सलाह दी. तब सभी देवी-देवता कैलाश पर्वत पर शिवजी और पार्वती के पास पहुंचें. फिर भगवान शिव ने इस विवाद को सुलझाने में एक खास तरह की प्रतियोगिता रखी जिसमें कहा गया कि सभी देवता अपने-अपने वाहन में बैठकर पूरे ब्रह्राांड के चक्कर लगाएं और जो परिक्रमा करके सबसे पहले उनके पास आएगा धरती पर उसकी पूजा-अर्चना सबसे पहले की जाएगी और बाद में दूसरे देवी-देवता पूजे जाएंगे.

इस बात पर सभी देवताओं ने अपनी सहमति देते हुए अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर ब्रह्रांड के चक्कर लगाने शुरू कर दिए. लेकिन भगवान गणेश अपने वाहन मूषक के साथ वहीं कैलाश में ही खड़े रहें और ब्रह्राांड के चक्कर लगाने के बजाए अपने माता-पिता के चारों ओर हाथ जोड़कर परिक्रमा करने लगे. भगवान गणेश ने कुल 7 बार भगवान शिव और माता पार्वती की 7 बार परिक्रमा लगाते हुए उनके सामने खड़े रहें.

शिव जी ने कही ये बात

जब सभी देवतागण ब्रह्राांड के चक्कर लगाकर जब बारी-बारी लौटे तो वहां सबसे पहले गणेश जी को वहां खड़ा पाया. भगवान गणेश ने कहा कि मेरे लिए मेरे माता-पिता है सृष्टि के समान है तो फिर पूरे ब्राह्रांड के चक्कर लगाने का क्या फायदा. यह बात सुनकर भगवान शिव, माता पार्वती समेत सभी देवता बहुत ही प्रसन्न हुए. तब इस प्रतियोगिता में गणेश जी विजय हुए और भगवान शिव ने कहा कि पूरे ब्राह्रांड में माता-पिता का स्थान सबसे सर्वश्रेष्ठ है और गणेशजी ने अपने माता-पिता की परिक्रमा की. इसलिए सभी देवताओं में सबसे पहले पूजनीय भगवान गणेश जी ही हैं. तभी से किसी भी पूजा और शुभ कार्यों में सबसे पहले गणेश जी पूजा होती है, फिर उसके बाद दूसरे देवी-देवताओं की पूजा होती है.

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