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Ganesh Chaturthi 2025: घर-घर इस शुभ मुहूर्त में विराजेंगे भगवान गणपति, जानिए स्थापना विधि और महत्व

इस वर्ष गणेशोत्सव 27 अगस्त को शुरू होगा और समापन 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा. इस पर्व को मुख्य रूप से महाराष्ट्, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत देश के कई हिस्सों में बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी पर लोग बप्पा की मूर्ति को स्वयं बनाकर या फिर बाजार से खरीदकर घर पर स्थापित करते हैं.

Ganesh Chaturthi 2025: घर-घर इस शुभ मुहूर्त में विराजेंगे भगवान गणपति, जानिए स्थापना विधि और महत्व
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
State Mirror Astro
By: State Mirror Astro

Updated on: 19 Oct 2025 6:49 PM IST

27 अगस्त, बुधवार से घरों, दफ्तरों, दुकानों, मंदिरों और पंडालों में भगवान गणपति की मूर्ति स्थापना की जाएगी. हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था. ऐसे में हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लेकर अनंत चतुर्दशी तिथि तक 10 दिनों के लिए गणेशोत्सव का पर्व मनाया जाता है.

इस बार गणेश चतुर्थी पर बहुत ही सुंदर शोभ योगों का निर्माण हुआ है जिसमें बुधवार के दिन चित्रा नक्षत्र के संयोग में प्रीति, सर्वार्थ सिद्धि, रवि योग के साथ इंद्र और ब्रह्रा योग बनेगा. आइए जानते हैं गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्व.

गणेश चतुर्थी तिथि 2025

वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 53 मिनट पर होगी और समापन 27 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 43 मिनट पर. उदया तिथि के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा.

गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यताओं और गणेश पुराण के अनुसार देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ ने भाद्पद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और चित्रा नक्षत्र के संयोग में दोपहर के समय गणपति की मूर्ति बनाई थी और उसमें प्राण डाले थे. तभी से इस दिन गणपति स्थापना का विशेष महत्व होता है. भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना और उनकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 27 अगस्त को सुबह 11 बजकर 04 मिनट से लेकर 01 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा गणेश स्थापना के लिए दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 45 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 45 मिनट तक रहेगा. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति को सिद्धि विनायक के रूप में पूजन का विशेष विधान होता है.

गणेश स्थापना विधि

धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, सोमवार, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था. ऐसे में हर साल इस तिथि पर विशेष रूप से गणेशोत्सव मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी पर गणपति की मूर्ति की स्थापना करके उनका पूजन और फिर कुछ दिनों तक घर पर विराजित रहते हुई उनकी विदाई की जाती है. गणेश चतुर्थी तिथि पर सूर्योदय होने से पहले स्नान करें और नए कपड़े पहनकर गणपति की स्थापना और पूजा का संकल्प लें. फिर घर के मंदिर के सामने चौकी पर सफेद या पीला कपड़ा बिछाकर उस पर चावल रखें. फिर चांबे के बर्तन पर चंदन या कुमकुम से स्वास्तिक का शुभ निशान बनाएं. फिर इसके बाद इस बर्तन में गणेश की मूर्ति को स्थापित करें. फिर पूजा आरंभ करें और गणेश मंत्रों का जाप करते हुए घी का दीपक जलाएं और गणेश जी का ध्यान करें. इसके बाद गणपति की मूर्ति को गंगाजल, दूध और पंचामृत से स्नान करवाएं, मौली और जनेऊ व वस्त्र अर्पित करें. फिर इसके अक्षत, गुलाल, फूल, फल और दूर्वा चढ़ाकर मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. अंत में गणेश आरती करें.

गणेश जी की आरती

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।

लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।

बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।

कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

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