Holashtak 2025: इस साल कब से शुरू है होलाष्टक? जानें इस दौरान शुभ काम करने से होती है मनाही?

होलाष्टक हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होली से ठीक आठ दिन पहले शुरू होने वाला एक विशेष समय है. यह समय होली के त्योहार की तैयारी और धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ा होता है. "होलाष्टक" शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, होला (जो होली से संबंधित है) और अष्टक (जो आठ दिनों को दर्शाता है).;

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Edited By :  हेमा पंत
Updated On : 2 March 2025 4:35 PM IST

होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. होली के करीब आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है. इसकी शुरुआत फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होती है. यह होली से पहले आठ दिनों का समय है, जब शुभ काम करने से मनाही होती है. ये दिन मंगल कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या नया कारोबार शुरू करना अशुभ होता है.

इस साल होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दिनों में शुभ काम करने से मनाही क्यों होती है? साथ ही, होलाष्टक के दौरान क्या नहीं करना चाहिए. चलिए जानते हैं इस बारे में.

होलिका दहन और प्रह्लाद की कथा

होलाष्टक का संबंध होलिका दहन से है, जो होली के साथ जुड़ा हुआ प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान है. यह कथा हिरण्यकश्यप और उनके बेटे प्रह्लाद से संबंधित है. हिरण्यकश्यप एक अत्यंत क्रूर और अहंकारी राजा था, जिसने भगवान विष्णु के खिलाफ युद्ध की योजना बनाई थी और स्वयं को सर्वशक्तिमान मानता था. वह चाहता था कि सभी लोग उसकी पूजा करें, लेकिन उसका बेटा प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था. इस कारण, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने की कई कोशिशें की.

बुराई पर हुई अच्छाई की जीत

होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान होता है. ऐसे में एक दिन हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रह्लाद को अपनी गोदी में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन चमत्कारी रूप से होलिका जलकर राख हो गई, जबकि प्रह्लाद बच गए. यह घटना अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक बन गई.

क्यों नहीं किए जाते हैं शुभ काम?

होलाष्टक में शुभ कार्यों से परहेज करने की परंपरा है. इसका कारण यह है कि होलाष्टक का समय शुद्धि और आत्म-संस्कार का होता है. इस अवधि में कोई भी महत्वपूर्ण या शुभ कार्य जैसे विवाह, घर की नवीनीकरण, नए कारोबार की शुरुआत आदि नहीं किए जाते. इसे आध्यात्मिक साधना और मन की शांति के लिए एक समय माना जाता है.

होलाष्टक में क्या होता है?

होलाष्टक के दिन से कुछ काम शुरू किए जाते हैं. इस दिन से ही होलिका दहन के लिए जगह चुनी जाती है. साथ ही, रोजाना लकड़ी इकट्ठा की जाती है, जिसे होलिका दहन के दिन जलाया जाता है. 


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