हरितालिका तीज पर भूलकर भी ना करें ये 5 काम, वरना टूट सकता है व्रत
हरितालिका तीज हिन्दू धर्म की प्रमुख व्रत परंपराओं में से एक है, जिसे विशेष रूप से विवाहित और कुंवारी महिलाएं बड़े श्रद्धा-भाव से मनाती हैं. यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा को समर्पित होता है.;
हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. यह व्रत सुहागिन और अविवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था.
तभी से इस व्रत का प्रारंभ हुआ और यह परंपरा चली आ रही है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से व्रत और पूजा करने पर महिलाओं को अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और परिवार में सुख.शांति और समृद्धि प्राप्त होती है. शास्त्रों में इस दिन करने और न करने योग्य नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना धार्मिक दृष्टिकोण से इस व्रत में आवश्यक है.
हरितालिका तीज पर क्या करें
- सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर महिलाएं स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें. व्रत संकल्प करते समय शिव.पार्वती का ध्यान करना चाहिए.
- इस दिन मिट्टी से शिव.पार्वती बनाने का विधान है,लेकिन यह संभव न हो तो चित्र स्थापित कर उनकी पूजा करना अनिवार्य माना गया है. बेलपत्र, धतूरा, पुष्प, अक्षत, रोली, कुमकुम, सुहाग की वस्तुएं अर्पित करनी चाहिए.
- हरितालिका तीज की कथा सुनना व सुनाना इस व्रत का महत्वपूर्ण अंग है. कथा श्रवण से व्रत पूर्ण माना जाता है. महिलाएं भजन.कीर्तन भी कर सकती हैं.
- व्रती महिलाओं को इस दिन संपूर्ण श्रृंगार करना चाहिए. चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, सिंदूर और आभूषण धारण करना शुभ और मंगलकारी माना जाता है.
- सुहागिन स्त्रियों को इस दिन अन्य महिलाओं को सुहाग सामग्री जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, वस्त्र, काजल आदि दान करना चाहिए. इससे सौभाग्य की वृद्धि होती है.
- कन्याएं यदि यह व्रत करती हैं तो उन्हें योग्य पति की प्राप्ति होती है. इसलिए उन्हें भी पूरी श्रद्धा और नियम से पूजा करनी चाहिए.
हरितालिका तीज पर क्या न करें
- इस व्रत को निर्जल रखना सर्वोत्तम माना गया है. महिलाएं दिनभर अन्न और जल का सेवन न करें.
- व्रत के दिन महिलाओं को क्रोध, झगड़ा और कटु वचन का प्रयोग करने से बचना चाहिए. ऐसा करने से व्रत का फल कम हो जाता है.
- इस दिन श्रृंगार की वस्तुओं का अनादर या अपवित्र स्थान पर रखना अशुभ माना जाता है. इन्हें सम्मानपूर्वक उपयोग करें.
- व्रत के दिन झूठ बोलना, छल करना या किसी का दिल दुखाना वर्जित है. व्रती को सच्चाई और पवित्रता का पालन करना चाहिए.
- शाम को शिव.पार्वती की पूजा और कथा सुनने के बाद ही व्रत का समापन करना चाहिए. इससे पहले व्रत तोड़ना शास्त्रों के विरुद्ध है.
- व्रत के दिन नकारात्मक विचार, बुरे कर्म और अपवित्र कार्य करने से दूर रहना चाहिए. व्रती को मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना चाहिए.