Dev Diwali 2024: कैसे भगवान शिव बने त्रिपुरांतक? जानें देव दीपावली का जुड़ा दिलचस्प रहस्य
भगवान शिव का एक प्रसिद्ध नाम त्रिपुरांतक है, जो उन्हें त्रिपुरासुर का वध करने के बाद मिला. महाभारत के कर्णपर्व में त्रिपुरासुर के अंत की कथा विस्तार से बताई गई है. त्रिपुरासुर कोई एक राक्षस नहीं था, बल्कि यह नाम राक्षसराज तारकासुर के तीन पुत्रों - तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली को दिया गया था.;
Dev Diwali 2024: भगवान शिव का एक प्रसिद्ध नाम त्रिपुरांतक है, जो उन्हें त्रिपुरासुर का वध करने के बाद मिला. महाभारत के कर्णपर्व में त्रिपुरासुर के अंत की कथा विस्तार से बताई गई है. त्रिपुरासुर कोई एक राक्षस नहीं था, बल्कि यह नाम राक्षसराज तारकासुर के तीन पुत्रों - तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली को दिया गया था.
त्रिपुरासुर को मिला ब्रह्मा का वरदान
जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया, तो उसके तीनों पुत्र बदला लेने के लिए ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या करने लगे. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने वरदान दिया कि उनके लिए तीन अद्भुत पुरियां बनाई जाएंगी, जो सिर्फ अभिजित् नक्षत्र में एक सीध में आएंगी. इन पुरियों को नष्ट करने के लिए किसी शांतचित्त व्यक्ति को असंभव रथ पर सवार होकर अमोघ बाण से वार करना होगा.
त्रिपुरासुर का आतंक और देवताओं की पुकार
वरदान मिलने के बाद त्रिपुरासुर ने संपूर्ण संसार में हाहाकार मचा दिया. देवताओं को उनके लोक छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. त्रस्त देवताओं ने भगवान शिव की शरण ली और उनसे त्रिपुरासुर के अंत की प्रार्थना की.
भगवान शिव ने किया असंभव रथ का निर्माण
देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने पृथ्वी को रथ, सूर्य और चंद्रमा को उसके पहिए, मेरुपर्वत को धनुष और वासुकी नाग को धनुष की डोर बनाया. उन्होंने इस असंभव रथ पर सवार होकर अमोघ बाण का संधान किया. भगवान शिव ने अपनी शक्ति से तीनों पुरियों को एक पंक्ति में लाकर अभिजित् नक्षत्र में अमोघ बाण चलाया, जिसमें विष्णु, वायु, अग्नि और यम की शक्ति समाहित थी। बाण ने तीनों पुरियों को जलाकर भस्म कर दिया.
कार्तिक पूर्णिमा और देव दीपावली का रहस्य
त्रिपुरासुर का वध कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ, जिसे देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देवताओं ने राहत की सांस ली और अपने लोक में लौटे. त्रिपुरासुर का अंत भगवान शिव की शक्ति और धैर्य का अद्वितीय उदाहरण है.
डिस्क्लेमर: यह लेख सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. हम इसके सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करते.v