10 वर्षों तक चलती है चंद्रमा की महादशा, जानिए कब मिलता है लाभ और कब आती है परेशानियां?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा की महादशा 10 वर्षों तक चलती है और यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य, धन, माता के संबंध, सुख-शांति और जीवनसाथी पर गहरा असर डालती है. कुंडली में चंद्रमा शुभ हो तो धन, मान-सम्मान और मानसिक शक्ति मिलती है, जबकि अशुभ स्थिति में तनाव, भय और आर्थिक परेशानियां आती हैं. चंद्रमा का शुभ-अशुभ प्रभाव उसकी स्थिति और राशि पर निर्भर करता है.;

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By :  State Mirror Astro
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वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति के ऊपर ग्रहों और नक्षत्रों की चाल और पोजिशन का विशेष प्रभाव पूरे जीवन भर रहता है. ग्रह एक निश्चित अंतराल पर एक से दूसरी राशि में गोचर होते हैं जिससे जातकों के ऊपर शुभ और अशुभ दोनों ही तरह का प्रभाव देखने को मिलता है. ग्रहों की चाल के अलावा सभी नवग्रहों की दशाएं भी समय-समय पर बदलती रहती हैं, जिनका शुभ और अशुभ दोनों ही तरह का प्रभाव व्यक्ति को मिलता है. ग्रहों की दशाओं का फल इस बात पर निर्भर करता है ग्रह जन्मकुंडली में किस स्थिति में हैं, अगर ग्रह कुंडली में शुभ स्थिति में हैं तो संबंधित ग्रहों की दशाएं चलने पर शुभ फल और अगर कुंडली में ग्रहों की स्थिति अशुभ है तो दशाएं चलने पर व्यक्ति अशुभ फल की प्राप्ति होती है.

सभी नवग्रहों की दशाएं अलग-अलग होती हैं. आज हम आपको चंद्रमा की महादशा के बारे में बताने जा रहे हैं. ज्योतिषशास्त्र में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है. यह मन का कारक ग्रह होता है. चंद्रमा की महादशा 10 वर्षों तक रहती है. ज्योतिष में चंद्रमा मन, माता, पानी, यात्रा, सुख-शांति, धन-संपत्ति और छाती आदि का कारक ग्रह होता है. जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा अगर कमजोर है या फिर अशुभ प्रभावों से घिरा हुआ है, तो चंद्रमा की महादशा चलने पर व्यक्ति को तरह-तरह की मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. धन के मामले में व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आइए जानते हैं चंद्रमा की 10 वर्षों तक महादशा चलने पर जीवन पर कैसा प्रभाव होता है.

कुंडली में चंद्रमा शुभ हो तो महादशा का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब चंद्रमा अपनी नीच राशि जो वृश्चिक राशि होती है वहां पर विराजमान होते हैं तो यह कुंडली में कमजोर माने जाते हैं. चंद्रमा के कमजोर होने पर व्यक्ति कई तरह के मानसिक रोगों से पीड़ित होता है. जातक चीजों को जल्दी जल्दी भूलता है. इसके अलावा चंद्रमा माता का भी कारक होता है जिससे माता के साथ संबंध खराब होता है और माता का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं होता है. व्यक्ति सिरदर्द, तनाव, डिप्रेशन, भय और घबराहट का सामना करना पड़ता है.

चंद्रमा कुंडली में शुभ स्थिति होने पर

जब किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा शुभ स्थानों पर या फिर उच्च का होगा यानी चंद्रमा वृषभ राशि में या फिर अपनी स्वराशि कर्क में हो तो व्यक्ति मानसिक रूप से मजबूत होता है. व्यक्ति दूरदर्शी और अच्छी कल्पनाशक्ति वाला होता है. व्यक्ति देखने में सुंदर और आकर्षक होता है. व्यक्ति का माता के साथ संबंध अच्छा रहता है. चंद्रमा की महादशा चलने पर व्यक्ति का धन-दौलत और मान-सम्मान की प्राप्ति करता है. इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा सातवें भाव में अच्छी स्थिति में होता है व्यक्ति को सुंदर जीवन साथी मिलता है.

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