बृहस्पति और राहु की चाल से क्या आ सकता है कोई बड़ा संकट, जानिए क्या कहती है ज्योतिषीय गणनाएं

साल 2025 में शनि, गुरु, राहु-केतु के गोचर और चाल में बड़े बदलावों से भारत-पाकिस्तान में युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं. 14 मई से 14 जून के बीच प्राकृतिक आपदाएं, महामारी और राजनीतिक उथल-पुथल की आशंका है. राहु और गुरु के प्रभाव से भारतीय उपमहाद्वीप में तनाव, युद्ध और आंतरिक संघर्ष की संभावनाएं तेज हो सकती हैं.;

By :  State Mirror Astro
Updated On : 5 May 2025 12:15 AM IST

22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर बना हुआ है. भारत आतंकवाद के खिलाफ लगातार सख्त फैसले लेता जा रहा है. पहलगाम हमले के बाद संभावित भारत-पाकिस्तान युद्ध के चलते ग्रहों-नक्षत्रों की ज्योतिषीय गणनाएं काफी खास मानी जा रही है। साल 2025 कई महत्वपूर्ण ग्रहों के गोचर और चाल में बदलाव के कारण खास माना जा रहा है. आपको बता दें कि साल 2025 में चार बड़े परिवर्तन से देश-दुनिया में अस्थिरता का माहौल बना हुआ है. इस वर्ष शनि, गुरु और राहु-केतु जैसे असरकारी ग्रहों का राशि परिवर्तन होने जा रहा है. 29 मार्च 2025 को न्याय और कर्मफलदाता शनि कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश कर चुके हैं.

14 मई को देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि की अपनी यात्रा को विराम देते हुए बुध के स्वामित्व वाली राशि मिथुन में प्रवेश करेंगे। गुरु के मिथुन राशि में प्रवेश करते ही ये अतिचारी हो जाएंगे. यहां अतिचारी होने का मतलब गुरु अपनी सामान्य चाल से कई गुना तेज गति से चलेंगे. गुरु का अतिचारी होना अच्छा नहीं माना जाता है. गुरु राशि राशि परिवर्तन के बाद पापी ग्रह राहु और केतु भी अपनी चाल बदलेंगे. राहु कुंभ राशि से मीन राशि में और केतु कन्या से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेंगे. साल 2025 में गुरु के अतिचारी होने और शनि के मीन राशि में प्रवेश से दुनिया में भारी उथल-पुथल देखने को मिल सकता है. कुछ ग्रहों की चाल में हुए बदलाव और कुछ के आने वाले दिनों में परिवर्तन से 14 मई से लेकर 14 जून के बीच कोई बड़ी घटना घट सकती है. आइए करते हैं इसका ज्योतिषीय विश्लेषण.

14 मई को गुरु का गोचर और अतिचारी होना

वैदिक ज्योतिष में गुरु के गोचर का विशेष महत्व होता है. गुरु करीब 13 महीनों में राशि परिवर्तन करते हैं. इस बार गुरु 14 मई को मिथुन राशि में गोचर करते हुए अतिचारी चाल से चलेंगे. गुरु की अतिचारी चाल यानी गुरु तेज चाल से चलते हुए राशि परिवर्तन और अपनी चाल में बदलाव करेंगे. गुरु 8 वर्षों तक अतिचारी रहेंगे। 14 मई को देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि की अपनी यात्रा को विराम देते हुए मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे और यहां ये अतिचार होंगे. गुरु का अतिचारी होना अच्छा नहीं माना जाता है.

गुरु के अतिचारी होने के बाद 18 मई को राहु मीन से निकलकर कुंभ राशि में और केतु कन्या से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेंगे. प्रमुख ग्रहों का इतने कम अंतराल पर राशि परिवर्तन दुनिया खासतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता. ज्योतिष शास्त्र की गणनाओं के मुताबिक ग्रहों की ऐसी स्थितियों के चलते भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध या फिर कोई बड़ी प्राकृतिक घटनाएं घट सकती हैं.

वार्षिक भविष्यफल पंचांग के गहन अध्ययन से भारतीय महाद्वीप में खासतौर पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हो सकता है. इसके अलावा बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में आतंक और गृहयुद्ध जैसे हालात बन सकते हैं. वहीं वार्षिक भविष्यफल पंचांग में खप्पर योग के चलते भी तनाव चरम पर रह सकता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर एक चंद्रमास में 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 मंगलवार आए तो खप्पर योग का निर्माण होता है. इस तरह से 15 मार्च से लेकर 11 जून तक खप्पर योग बना रहा है. इससे बाद 11 जुलाई से लेकर 7 अक्टूबर के बीच में भी खप्पर योग रहेगा. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार 14 मई से लेकर 14 जून के बीच का समय भारत के लिए चुनौतियों से भरा रहेगा. इस दौरान कई तरह की प्राकृतिक आपदाएं, महामारी और युद्ध जैसे हालातों का सामना करना पड़ सकता है.

राहु गोचर का प्रभाव

ज्योतिष में राहु के गोचर का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. राहु के चलते दो देशों में युद्ध, आगजनी और प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। आपको बता दें कि जब से राहु ने 30 अक्टूबर 2023 को मीन राशि में प्रवेश किया था तब से देश-दुनिया में युद्ध के की मोर्चे खुल गए है. अब एक बार फिर से राहु 18 मई 2025 को देवगुरु बृहस्पति की राशि मीन से निकल शनि की राशि कुंभ में प्रवेश किया है. शनि की राशि कुंभ में जाने से राहु देश-दुनिया में एक अलग तरह का राजनीति हलचल ला सकता है.

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