क्यों चुन रहे हैं आज के पेरेंट्स जेलीफिश पेरेंटिंग? जानिए इसके पीछे की वजहें
हर बच्चे की ज़रूरत अलग होती है. इसलिए हर पेरेंटिंग स्टाइल भी अलग हो सकता है. कभी सख्त, कभी नरम, तो कभी बैलेंस. मॉर्डन टाइम में जहां लाइफस्टाइल तेज़ और कॉम्प्लेक्स होती जा रही है, वहीं एक सही, समझदार और लचीली पेरेंटिंग पहले से कहीं ज्यादा ज़रूरी हो गई है. आजकल पेरेंट्स जेलीफिश पेरेंटिंग फॉलो कर रहे हैं. चलिए जानते हैं इसके बारे में.;
क्यों चुन रहे हैं आज के मां-बाप जेलीफिश पेरेंटिंग? जानिए इसके पीछे की वजहेंपेरेंटिंग का मतलब बच्चों की देखभाल, उनका पालन-पोषण करना, उन्हें सही रास्ता दिखाना और उनकी ज़रूरतों का ध्यान रखना है. इसमें बच्चे को बड़ा करने, उसे अच्छी आदतें सिखाने और सही संस्कार देने का काम आता है. हर पेरेंट्स का बच्चों को पालने का तरीका अलग होता है. आजकल माता-पिता जेलीफिश पेरेटिंग का तरीका अपना रहे हैं.
जेलीफिश पेरेटिंग एक ऐसा तरीका है, जिसमें माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश बहुत ज्यादा कंट्रोल या सख्ती नहीं करते हैं. इसे ‘फ्लेक्सिबल पेरेंटिग’ भी कहा जा सकता है. इसका मतलब है कि बच्चे को खुद से सीखने और गलतियां करने का मौका दिया जाता है, बजाय कि हर कदम पर उन्हें काबू में रखना.
क्यों पड़ा ‘जेलीफिश’ नाम?
जेलीफिश यानी समुद्री जेली मछली, जो बहुत लचीली होती है. वह पानी के बहाव के साथ बह जाती है और अपने आप को कठोर या सख्त नहीं बनाती है. इसी तरह इस पेरेटिंग स्टाइल में पेरेंट्स भी ज्यादा दबाव नहीं बनाते, बल्कि बच्चे को कंफर्टेबल और स्वाभाविक तरीके से बड़ा होने देते हैं.
जेलीफिश पेरेटिंग की खास बातें
- कम सख्ती, ज्यादा आज़ादी: बच्चे को अपनी पसंद और फैसले खुद लेने की छूट होती है.
- गलतियों से सीखने का मौका: माता-पिता बच्चे को गलती करने से नहीं रोकते बल्कि उसे सही करने में मदद करते हैं.
- प्रेम और समर्थन: बच्चे को बिना डांटे, प्यार और समझदारी से गाइड किया जाता है.
- कम नियम, ज्यादा संवाद: ज्यादा नियम नहीं होते, लेकिन बच्चे से खुलकर बात की जाती है.
- बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है: बच्चे में खुद पर भरोसा और जिम्मेदारी की भावना आती है.
जेलीफिश पेरेटिंग के फायदे
बच्चे में क्रिएटिविटी और फ्रीडम बढ़ती है. इसके अलावा, कॉन्फिडेंस और फैसले लेने की क्षमता मजबूत होती है. सबसे खास बात पेरेंट्स और बच्चे के बीच अच्छा रिश्ता बनता है. बच्चे ज्यादा खुशमिजाज और सोशलाइज बनते हैं.
जेलीफिश पेरेटिंग के नुकसान
इस पेरेंटिंग के कई नुकसान भी हैं. अगर सीमाएं बिलकुल ना हों तो बच्चे अनुशासनहीन हो सकते हैं. कुछ बच्चे ज्यादा आज़ादी पाकर गलत रास्ता भी पकड़ सकते हैं. हर बच्चे के लिए ये तरीका सही नहीं होता, कुछ बच्चों को थोड़ी सख्ती की जरूरत होती है.
जेलीफिश पेरेटिंग में माता-पिता बच्चे को प्यार और सहारा देते हैं, लेकिन ज़्यादा नियंत्रित या सख्त नहीं करते हैं. वे बच्चे को अपने अनुभवों से सीखने और स्वतंत्र बनने देते हैं. यह तरीका मॉर्डन जमाने में काफी पसंद किया जाता है क्योंकि यह बच्चे के मेंटल डेवलपमेंट के लिए अच्छा माना जाता है.