Genpact की नई पॉलिसी पर मचा हंगामा, अब हर दिन 10 घंटे काम, बदले में मिलेंगे 150 रुपये!

कई रिसर्च और उदाहरणों से पता चला है कि यह सोच हमेशा सही नहीं होती. दरअसल, जब कर्मचारियों को समझा जाता है, उनका ख्याल रखा जाता है और उन्हें सम्मान दिया जाता है.;

Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 21 Jun 2025 11:37 AM IST

देश की जानी-मानी आईटी कंपनी Genpact ने हाल ही में एक ऐसी पॉलिसी लागू की है जिसने सोशल मीडिया से लेकर कॉर्पोरेट गलियारों तक हलचल मचा दी है. कंपनी ने अपने कर्मचारियों के लिए रोजाना 10 घंटे काम करने की नई व्यवस्था शुरू की है. जाहिर है, इस अनाउंसमेंट ने बहुत से कर्मचारियों को निराश और परेशान कर दिया है. Genpact ने फैसला किया है कि उसके कर्मचारी अब हर दिन 9 घंटे की बजाय 10 घंटे काम करेंगे. इसके साथ ही कंपनी ने एक नई मॉनिटरिंग सिस्टम भी शुरू की है, जिसमें कर्मचारियों की ‘प्रोडक्टिविटी’ और ‘एक्टिव वर्किंग ऑवर्स’ को एक इंटरनल पोर्टल के ज़रिए ट्रैक किया जाएगा.

कंपनी का कहना है कि हर घंटे के लिए कर्मचारियों को 150 रुपये प्रतिदिन दिए जाएंगे. यानी अगर कोई कर्मचारी महीने के 22 दिनों तक एक्स्ट्रा एक घंटे काम करता है, तो उसे लगभग 3,300 मिलेंगे. कई कर्मचारियों ने इस पॉलिसी को असंतुलित, थकाऊ और गलत बताया है. उनका कहना है कि 150 रुपये रोज़ाना की यह राशि उस मेंटली और शारीरिक थकावट की भरपाई नहीं कर सकती जो हर दिन एक एक्स्ट्रा घंटे तक काम करने से होती है.

कंपनी की पॉलिसी ने छोड़ी बहस 

आज के दौर में जब वर्क-लाइफ बैलेंस की बात हर जगह हो रही है, ऐसे में कर्मचारियों का सवाल है क्या 150 रुपये में हम अपने परिवार, स्वास्थ्य और मानसिक शांति का त्याग करें?. Genpact की यह पॉलिसी इस बहस को फिर से ज़िंदा कर देती है कि क्या ज्यादा घंटों तक काम करने से वास्तव में प्रोडक्टिविटी बढ़ती है?. कई रिसर्च और उदाहरणों से पता चला है कि यह सोच हमेशा सही नहीं होती. दरअसल, जब कर्मचारियों को समझा जाता है, उनका ख्याल रखा जाता है और उन्हें सम्मान दिया जाता है, तो वे कम समय में भी ज्यादा काम कर सकते हैं.

 4-दिन का वर्क वीक

जर्मनी में किए गए एक परीक्षण में कर्मचारियों को हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम करने का विकल्प दिया गया। नतीजे चौंकाने वाले थे –90% कर्मचारियों ने बेहतर मानसिक स्थिति, बेहतर नींद और तनाव में कमी की बात कही. औसतन हर व्यक्ति ने 38 मिनट एक्स्ट्रा नींद ली, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर हुआ. उन्होंने अपने पर्सनल लाइफ में भी सुधार और ज़्यादा फिजिकल एक्टिविटी  का अनुभव किया. एक कर्मचारी तभी अपने सबसे अच्छे प्रदर्शन की स्थिति में होता है जब वह मेंटली और इमोशनली बैलेंस सही हो. दिन में लंबे समय तक काम करने से थकान, बोरियत, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और काम से ऊब पैदा हो सकती है.

छोड़ रहे हैं जॉब 

आज के समय में बहुत से यंग प्रोफेशनल केवल अच्छी सैलरी के लिए काम नहीं करते, वे ऐसी नौकरी चाहते हैं जो मन की शांति, खुद को आराम और पर्सनल लाइफ के लिए समय दे सके. इसीलिए कई लोग ऐसे फैसलों के विरोध में आवाज़ उठा रहे हैं और कुछ लोग नौकरियां छोड़ने तक का मन बना रहे हैं.

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