ऑफिस का प्रेशर नहीं, ये है युवाओं में तनाव का सबसे बड़ा कारण

तनाव-अवसाद के गंभीर लक्षण कई मामलों में खतरनाक हो जाते हैं, जिसपर समय रहते ध्यान दिए जाने की जरूरत है। आज के अधिकांश युवा गंभीर मानसिक बीमारियों और तनाव से गुजर रहे हैं।;

By :  स्टेट मिरर डेस्क
Updated On : 22 Sept 2024 4:00 AM IST

अक्सर हम लोग शरीर को स्वस्थ रखने के उपाय तो कर लेते हैं, पर मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते। यह खतरनाक हो सकता है क्योंकि कई मानसिक बीमारियों को गंभीर शारीरिक रोगों का प्रमुख कारण माना जाता है।

अगर आप अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक माने जाते हैं, इनमें से एक में भी गड़बड़ी का असर दूसरी सेहत पर सीधे तौर पर पड़ सकता है।

तनाव-अवसाद के गंभीर लक्षण कई मामलों में खतरनाक हो जाते हैं, जिसपर समय रहते ध्यान दिए जाने की जरूरत है। आज के अधिकांश युवा गंभीर मानसिक बीमारियों और तनाव से गुजर रहे हैं। इसके कारणों पर कई अध्ययन किए गए हैं।

सोशल मीडिया है सबसे बड़ी वजह

सिंगापुर के इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (आईएमएच) द्वारा किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि जिन युवाओं की साइबर बुलिंग हुई, जिनका रोज सोशल मीडिया पर तीन घंटे से अधिक समय बीतता है या फिर जो लोग अपनी शरीर की बनावट या किसी शारीरिक समस्या से परेशान हैं उनमें लक्षण और भी अधिक देखे गए हैं।

पिछली पीढ़ियों की तुलना में आज के युवा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के ज्यादा जूझ रहे हैं। सोशल मीडिया उनमें लगातार तुलना करने वाली सोच भरता जा रहा है। लोगों को अपने शरीर की बनावट जैसे मोटापा, कद, रंग, बालों की दिक्कत को लेकर चिंताएं सता रही हैं। इसका मन पर नकारात्मक असर होता है।

कोरोना के बाद इस समस्या में और भी तेजी आई है। समय के साथ लोगों का आपसी मेल-जोल कम होना, वर्चुअल दुनिया को हकीकत मानना, सोशल मीडिया का अधिक इस्तेमाल इसका कारण माने जा रहे हैं। गरीबी और सामाजिक-आर्थिक असमानताएं इन विकारों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

सबसे चिंताजनक बात ये है कि बड़ी संख्या में लोग तो ऐसे हैं जिन्हें वर्षों से मानसिक विकार होगा पर कभी निदान ही नहीं हो पाया। जिन्हें पता भी है उनमें से भी कई लोग सामाजिक कलंक के भाव से इलाज नहीं ले रहे हैं। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण देश में आत्महत्या के मामले भी बढ़ गए हैं।

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