Mini Mathur अब महिलाओं की बनी हेल्थ कोच, मेनोपॉज के दौर से गुज़रती महिलाओं को दे रही हैं नई राह

मिनी का कहना है कि हमारे समाज में जहां आज भी पीरियड्स पर खुलकर बात नहीं होती, वहां मेनोपॉज जैसे विषय को लेकर जागरूकता की बहुत ज़रूरत है. उन्होंने यह भी बताया कि 40 की उम्र के बाद सिर्फ डाइट और विटामिन लेना काफी नहीं होता.;

( Image Source:  Instagram : minimathur )
Edited By :  रूपाली राय
Updated On : 4 July 2025 4:29 PM IST

टीवी की जानी-मानी होस्ट और पूर्व वीडियो जॉकी मिनी माथुर अब एक नई भूमिका में नज़र आ रही हैं. 30 साल तक लोगों का मनोरंजन करने के बाद अब वो महिलाओं की सेहत और उनकी ज़िंदगी से जुड़े अहम मुद्दों पर काम कर रही हैं. खासतौर पर उन महिलाओं के लिए, जो 40 की उम्र पार कर चुकी हैं और मेनोपॉज के दौर से गुज़र रही हैं. मेनोपॉज एक ऐसा समय होता है जब महिलाओं का मासिक धर्म हमेशा के लिए बंद हो जाता है. ये आमतौर पर 45 से 55 की उम्र के बीच होता है. लेकिन भारत में यह उम्र थोड़ी कम है, और इसके साथ कई शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं- जैसे गर्मी लगना, रात में पसीना आना, नींद न आना, जोड़ों में दर्द, याददाश्त कमज़ोर होना और मन का बेचैन रहना.

मिनी खुद भी इन बदलावों से गुज़रीं और उन्हें एहसास हुआ कि इस विषय पर ज़्यादा बात नहीं होती. कई डॉक्टर सिर्फ लक्षणों का इलाज करते हैं, न कि इसकी असली वजह का. तभी उन्होंने खुद पढ़ाई करने का फैसला किया और अमेरिका के एक मशहूर संस्थान से महिला स्वास्थ्य में ट्रेनिंग लेकर एक सर्टिफाइड हेल्थ कोच बन गईं. अब उन्होंने एक इंस्टाग्राम कम्युनिटी बनाई है – 'Pausitive', जिसका मकसद है 40+ उम्र की महिलाओं को सही जानकारी और सपोर्ट देना. मिनी चाहती हैं कि महिलाएं इस दौर से शर्म या डर के बिना गुज़र सकें, और अपने शरीर के बदलाव को समझते हुए खुशहाल ज़िंदगी जी सकें.

महिलाओं की जरुरत को बेहतर समझे 

मिनी कहती हैं, 'मैं सिर्फ अपने अनुभव के आधार पर सलाह नहीं देना चाहती थी. मैंने एक साल से ज़्यादा समय पढ़ाई, ट्रेनिंग, सेमिनार और सर्टिफिकेशन में बिताया ताकि मैं सही और सुरक्षित सलाह दे सकूं.' वो मानती हैं कि मेनोपॉज हर महिला के लिए अलग होती है, इसलिए किसी एक तरीके से सभी की मदद नहीं की जा सकती, इसलिए उन्होंने सीखा कि कैसे महिलाओं की ज़रूरतों को बेहतर समझा जाए. 

पीरियड्स पर खुलकर बात क्यों नहीं  

मिनी का कहना है कि हमारे समाज में जहां आज भी पीरियड्स पर खुलकर बात नहीं होती, वहां मेनोपॉज जैसे विषय को लेकर जागरूकता की बहुत ज़रूरत है. उन्होंने यह भी बताया कि 40 की उम्र के बाद सिर्फ डाइट और विटामिन लेना काफी नहीं होता, बल्कि लाइफस्टाइल में कई बदलाव ज़रूरी होते हैं – जैसे नींद, एक्सरसाइज़, स्ट्रेस मैनेजमेंट और सोचने के तरीके में सुधार. मिनी माथुर की यह नई शुरुआत कई महिलाओं को अपने लाइफ में बैलेंस और समझ पाने में मदद कर सकती है. वह चाहती हैं कि हर महिला अपने शरीर के बदलाव को समझे, उसे अपनाए और स्वस्थ ढंग से आगे बढ़े. 

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