GEN Z के प्यार-व्यार का नया ड्रामा! सिचुएशनशिप के बाद ये नैनोशिप क्या है भाई?
ये इश्क नहीं आसान बस इतना समझ लीजिए एक आग का दरिया है और GEN Z के डेटिंग टर्म से गुजरकर जाना है. GEN Z का प्यार इनकी तरह ही गड़बड़ है, जहां आए दिन रिश्ते में नए-नए शब्द इजात हो जाते हैं.;
GEN Z की दुनिया में अब प्यार शर्तों का मोहताज हो गया है. सिचुएशनशिप, बेंचिंग और ब्रेड क्रम्बिंग के बाद नया टर्म इजात हुआ है, जिसे नैनोशिप कहा जाता है. हाय रे दुनिया, जहां एक शब्द को समझना मुश्किल हो गया था, वहीं न जाने कहां से यह शब्द आ जाते हैं.
रिश्ते में सिचुएशनशिप के बाद नैनोशिप की एंट्री ने 90 के दशक के बच्चों को कंफ्यूज कर दिया है. इस शब्द ने सोशल मीडिया पर हाहाकार मचा दिया है. वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यह 2025 का डेटिंग ट्रेंड है. चलिए बिना किसी देरी के हम आपको बताते हैं आखिर क्या है ये नैनोशिप का माजरा.
क्या है नैनोशिप?
नैनोशिप में किसी भी तरह की कोई उम्मीद नहीं होती, जो फ्यूचर में पूरी हो सकती है. अब इस बात को उदाहरण के जरिए समझें. मान लें कि आप किसी पार्टी या पब्लिक प्लेस में गए और वहां किसी से आपकी निगाहें टकरा गई. इसके बाद बातें हुई. फिर मिलना-जुलना दोस्ती और आखिर में रिश्ते में रोमांस की एंट्री होती है. लेकिन यह रिश्ता चंद दिनों तक ही रहता है. इसे ही नैनोशिप कहा जाता है.
कैसे हुआ शब्द का इजात?
नैनोशिप का जन्म 'नैनोशिप' शब्द डेटिंग ऐप टिंडर 'ईयर इन स्वाइप' नाम की एनुअल रिपोर्ट से आया है, जो डेटिंग ट्रेंड के बारे में बताती है. टिंडर की 2024 की रिपोर्ट के जरिए इसने यूके, यूएसए, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के 18-34 साल के 8,000 सिंगल्स का सर्वे किया. इस सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई कि कोई भी रोमांटिक रिश्ता इतना छोटा नहीं होता कि वह फ्यूचर में मायने रखे.
कैसे है सिचुएशनशिप से अलग?
नैनोशिप सिचुएशनशिप और टेक्सटेशनशिप से काफी अलग है. नैनोशिप में फ्यचर की न सोचकर बस आज को इन्जॉय किया जाता है. अब ऐसे में ये नैनोशिप कहीं भी हो सकती है. इसमें पार्टी, ऑफिस और मैट्रो ट्रैवलिंग शामिल है.
आज, कई सिंगल्स को यह एहसास हो रहा है कि जिंदगी में छोटी-छोटी बातचीत या एक बार की मुलाकात भी गहरे रिश्ते और खुशी का मतलब हो सकती है.