स्ट्रेस से कैसे खराब हो सकती है सेहत, जानें लिवर के साथ ये कनेक्शन

लिवर स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल के प्रोडक्शन प्रोसेस में शामिल होता है। ऐसे में हमारा मानसिक स्वास्थ्य लिवर के स्वास्थ्य से सीधा जुड़ा हुआ है।;

By :  स्टेट मिरर डेस्क
Updated On : 25 Sept 2024 7:01 PM IST

लिवर हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है और इसका स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। लिवर मुख्य रूप से डिटॉक्सिफिकेशन की प्रोसेस के लिए जिम्मेदार होता है। हम जो भी खाना, पीना या दवाइयां अपने शरीर में लेते हैं, उन सभी चीजों से शरीर में डेली टॉक्सिन जाते हैं। इसलिए इन्हें शरीर से बाहर निकालना बहुत जरूरी है।

लिवर स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल के प्रोडक्शन प्रोसेस में शामिल होता है। ऐसे में हमारा मानसिक स्वास्थ्य लिवर के स्वास्थ्य से सीधा जुड़ा हुआ है। स्ट्रेस लंबे समय तक रहने पर कोर्टिसोल का उत्पादन भी ज्यादा होता है। इससे शरीर के कई सिस्टम प्रभावित होते हैं, जिसमें लिवर भी मुख्य रूप से शामिल होता है। इस तरह लिवर और डिप्रेशन का एक कनेक्शन बनता है। आइए, समझते हैं कैसे हमारा खराब मानसिक स्वास्थ्य हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।

मेटाबोलिज्म

कोर्टिसोल की ज्यादा मात्रा फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के मेटाबोलिज्म को प्रभावित करता है। इससे इंसुलिन रेजिस्टेंस, फैट और शुगर लेवल बढ़ जाते हैं। इससे लिवर पर फैट जमा होने लगता है, जिससे फैटी लिवर की समस्या शुरू हो जाती है।

थकान

लिवर एनर्जी बनाने में मदद करता है और फैटी लिवर होने पर एनर्जी उत्पादन में बाधा उत्पन्न होती है। इससे लो एनर्जी महसूस होती है, काम करने की इच्छा नहीं होती है, डेली रूटीन के काम पूरे नहीं होते हैं और इससे स्ट्रेस पैदा होता है।

एडिक्शन

स्ट्रेस में अक्सर लोग अच्छा महसूस करने के लिए शराब, सिगरेट या ड्रग्स की लत लगा लेते हैं। इसका सीधा असर लिवर पर पड़ता है और ये जहर की तरह लिवर पर टॉक्सिन जमा करते हैं। ये एडिक्शन लिवर को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाते हैं और ये जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।

हार्मोनल इंबैलेंस

लिवर कई हार्मोन के उत्पादन में मदद करता है, लेकिन फैटी लिवर होने पर हार्मोनल असंतुलन होता है, जिससे स्ट्रेस रिस्पॉन्स बढ़ता है और भावनात्मक संतुलन बिगड़ता है। ये मूड स्विंग, एंग्जायटी और डिप्रेशन का कारण बनता है।

ऐसे में संपूर्ण तरह से स्वस्थ्य रहने के लिए हमें न सिर्फ अपने खानपान और शरीर पर ध्यान देना होगा, बल्कि अपनी इमोशनल हेल्थ का भी पूरा ध्यान रखना होगा।

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