हिल स्टेशन नहीं, इतिहास की विरासत है हिमाचल का धर्मशाला, जानें किस राजा ने रखा था इस जगह का नाम
हम अक्सर खूबसूरत जगहों की यात्रा करते हैं, लेकिन उनके नाम के पीछे की कहानी नहीं जानते. हिमाचल प्रदेश के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक धर्मशाला की उत्पत्ति एक दिलचस्प कहानी है.;
हिमाचल प्रदेश में धौलाधार पहाड़ों के नीचे बसा धर्मशाला सिर्फ एक सुंदर हिल स्टेशन नहीं है. यह जगह इतिहास, धर्म और संस्कृति से भरी हुई है. धर्मशाला को दुनिया में उस जगह के तौर पर जाना जाता है जहां तिब्बती सरकार का केंद्र है और बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाती है. हर साल लाखों लोग भारत और विदेशों से यहां आते हैं, ताकि वे इसकी प्राकृतिक खूबसूरती और शांति भरे माहौल का आनंद ले सकें. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसे धर्मशाला क्यों कहा जाता है?
हम जब भी किसी सुंदर जगह पर जाते हैं, तो वहां की खूबसूरती तो देखते हैं, लेकिन उसका नाम क्यों और कैसे पड़ा, ये अक्सर नहीं जानते. हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला भी ऐसी ही एक जगह है, बहुत ही खूबसूरत और खास है. ज्यादातर लोग मानते हैं कि 'धर्मशाला' नाम धर्म से जुड़ा है, क्योंकि इसका मतलब होता है, ऐसा ठिकाना जहां यात्री या तीर्थयात्री आराम कर सकें. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि इस नाम के पीछे एक शाही कहानी भी छुपी है, जो एक पुराने राजा से जुड़ी हुई है. हिमालय की गोद में बसे 'धर्मशाला' का शाही इतिहास, आखिर कैसे पड़ा था इस जगह का नाम?. हिल स्टेशन नहीं, इतिहास की विरासत है हिमाचल का धर्मशाला, जानें किस राजा ने रखा था इस जगह का नाम
क्या है रॉयल कनेक्शन?
बहुत कम लोग जानते हैं कि धर्मशाला का नाम एक पुराने राजा महाराजा धर्मचंद कटोच के नाम पर रखा गया था. ये राजा त्रिगर्त साम्राज्य के शासक थे, जो पुराने समय में आज के पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में फैला हुआ था. ऐसा माना जाता है कि ‘धरम’ शब्द उनके नाम से लिया गया और जब उसे ‘शाला’ (जिसका मतलब है ठहरने या आराम करने की जगह) के साथ जोड़ा गया, तो इस जगह का नाम ‘धर्मशाला’ पड़ गया. एक और दिलचस्प बात यह है कि धर्मशाला के पास ही एक गांव है, जिसका नाम है ‘धर्मकोट’, और वह नाम भी इन्हीं राजा के सम्मान में रखा गया है.
क्या कहते हैं इतिहासकार?
इतिहासकार राम चंद शर्मा के मुताबिक, महाराजा धर्मचंद कटोच त्रिगर्त नाम के पुराने राज्य के राजा थे. एक बार वह कांगड़ा किले से निकलकर पहाड़ों की सैर करने निकले. इस दौरान वह एक खूबसूरत और शांत जगह पर पहुंचे, जिसे आज हम धर्मकोट के नाम से जानते हैं. उन्हें ये जगह इतनी पसंद आई कि उन्होंने इसे गर्मी की छुट्टियां बिताने की जगह बना लिया. राजा ने वहां एक किला और एक धर्मशाला (ठहरने की जगह) बनाने का आदेश दिया, ताकि लोग गर्मियों में आराम से यहां आ सकें. इस तरह इस जगह को नाम मिला धर्मशाला, जो न सिर्फ इसकी आध्यात्मिक पहचान दिखाता है,बल्कि इसका राजघराने से जुड़ाव भी बताता है.