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पांच साल बाद फिर खुले कैलाश मानसरोवर के द्वार, 30 जून से शुरू होगी यात्रा, जानें आवेदन से लेकर रूट तक

पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होगी, यह तीर्थयात्रा नेपाली हिंदुओं और दुनिया भर के अन्य श्रद्धालुओं के लिए गहरा आध्यात्मिक महत्व रखती है. यह कोरोना काल से बंद थी जो अब पांच साल बाद खुलने जा रहे हैं. यह यात्रा कुल 22 दिनों की होगी, जिसकी शुरुआत दिल्ली से होगी.

पांच साल बाद फिर खुले कैलाश मानसरोवर के द्वार, 30 जून से शुरू होगी यात्रा, जानें आवेदन से लेकर रूट तक
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रूपाली राय
Edited By: रूपाली राय

Updated on: 24 April 2025 12:50 PM IST

कोविड-19 महामारी और बदलते ग्लोबल हालातों के कारण लंबे समय तक बंद रही पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल फिर से शुरू होने जा रही है. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से होकर लिपुलेख दर्रे के माध्यम से यह आध्यात्मिक यात्रा 30 जून 2025 से फिर चालू होगी. यह यात्रा न सिर्फ भारत बल्कि नेपाल और विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक आस्था और आत्मिक शांति का केंद्र रही है.

इस साल कुल 250 श्रद्धालुओं को 50-50 लोगों के ग्रुप में यात्रा की अनुमति दी जाएगी. इस यात्रा को खास बनाने वाली बात यह है कि तवाघाट से लेकर लिपुलेख दर्रे तक अब पूरी यात्रा सड़क मार्ग से संभव है, जो 2022 में सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा बनाए गए मार्ग की वजह से संभव हुआ है. यह सुविधा यात्रा को और अधिक सुरक्षित, आरामदायक और सुगम बनाने में मदद करेगी.

यात्रा का रूट और कार्यक्रम

यह यात्रा कुल 22 दिनों की होगी, जिसकी शुरुआत दिल्ली से होगी. इसके बाद यात्री टनकपुर, धारचूला और फिर गुंजी होते हुए लिपुलेख दर्रे तक जाएंगे. रास्ते में हर महत्वपूर्ण स्थान पर रात में रुकने की व्यवस्था होगी. गुंजी पहुंचने पर यात्रियों को पहाड़ी इलाके की जलवायु के अनुसार खुद को ढालने के लिए दो दिन का अनिवार्य आराम करना होगा, ताकि शरीर ऊंचाई पर ठीक से काम कर सके. 10 जुलाई 2025 को पहला जत्था लिपुलेख दर्रे पार कर चीन सीमा में प्रवेश करेगा और वापसी की यात्रा 22 अगस्त के आसपास तय की गई है. भारत लौटते समय यात्रियों के लिए अल्मोड़ा, चौकोरी और बूंदी में विश्राम का इंतजाम किया गया है.

भुगतान और आवेदन प्रक्रिया

2025 की यात्रा के लिए अभी शुल्क तय नहीं किया गया है, पर अनुमान है कि अगले दो-तीन हफ्तों में आवेदन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. इच्छुक श्रद्धालुओं को विदेश मंत्रालय और कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) की आधिकारिक घोषणाओं पर नजर बनाए रखने की सलाह दी गई है. यात्रा का संचालन और व्यवस्थाएं इन दोनों संस्थाओं द्वारा की जाएंगी.

तैयारी और सुझाव

पिथौरागढ़ के डीएम और अन्य प्रशासनिक अधिकारी यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से संचालित करने की तैयारियों में जुटे हैं. इसमें मेडिकल सुविधा, रुकने की व्यवस्था और आपातकालीन सेवाओं की तैयारी पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. चूंकि यह यात्रा फिजिकली रूप से चैलेंजिंग होती है, इसलिए आवेदन करने से पहले इच्छुक श्रद्धालुओं को अपनी हेल्थ और स्टैमिना का टेस्ट करना बेहद जरुरी है. अच्छी हेल्थ इस पवित्र यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करने की पहली शर्त है. कई लोगों के लिए यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि स्पिरिचुअल अवरेनेस और मैडिटेशन का जरिया है. पांच साल बाद इसका दोबारा शुरू होना श्रद्धालुओं के लिए एक भावनात्मक और आध्यात्मिक प्रेरणा का कारण बना है.

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