पुतिन की यात्रा से पहले भारत आएंगे जेलेंस्की, क्या पीएम मोदी खत्म कर पाएंगे रूस-यूक्रेन युद्ध?

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर जेलेंस्की जल्द भारत की यात्रा पर आ सकते हैं. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भी भारत आने वाले हैं. पीएम मोदी और जेलेंस्की पहले भी कई बार मुलाकात कर चुके हैं और शांति वार्ता पर चर्चा कर चुके हैं. क्या भारत रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म कराने में बड़ी भूमिका निभा पाएगा?;

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Curated By :  नवनीत कुमार
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रूस-यूक्रेन युद्ध साढ़े तीन साल से जारी है और अब इस बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की जल्द ही भारत आने वाले हैं. इस दौरे की तारीख को लेकर अभी बातचीत चल रही है, लेकिन दोनों देशों के बीच यह तय माना जा रहा है कि मुलाकात जल्द होगी. खास बात यह है कि यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भी भारत दौरे की तैयारियां चल रही हैं. ऐसे में भारत एक साथ दोनों दुश्मन देशों की मेजबानी करने जा रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत पर आरोप लगा रहे हैं कि रूस से तेल खरीदने के कारण युद्ध लंबा खिंच रहा है. वहीं, यूक्रेन ने भारत से एक बार फिर सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की है. भारत की तटस्थ लेकिन प्रभावशाली स्थिति को देखते हुए, यह मुलाकात वैश्विक कूटनीति में अहम मोड़ साबित हो सकती है.

भारत क्यों आ रहे जेलेंस्की?

भारत में यूक्रेन के राजदूत ओलेक्सांद्र पोलिशचुक ने साफ किया कि दोनों देश यात्रा की तारीख और एजेंडा तय करने की प्रक्रिया में हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जेलेंस्की निश्चित तौर पर भारत आएंगे और यह दोनों देशों के लिए बड़ी उपलब्धि होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही जेलेंस्की को भारत आने का न्योता दे चुके हैं और अब यह मुलाकात द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा दे सकती है.

क्या पीएम मोदी खत्म कराएंगे रूस-यूक्रेन युद्ध?

यूक्रेन लगातार चाहता है कि भारत, रूस के साथ अपने मजबूत रिश्तों का इस्तेमाल शांति वार्ता में करे. पीएम मोदी कई बार साफ कह चुके हैं कि यह युद्ध सिर्फ दो देशों का मुद्दा नहीं बल्कि पूरी मानवता का सवाल है. मोदी ने जी7 समिट और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भी कहा कि युद्ध का हल बातचीत और कूटनीति से ही संभव है. ऐसे में जेलेंस्की का भारत दौरा इसी उम्मीद को लेकर है कि मोदी रूस पर दबाव डालकर शांति बहाली की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं.

भारत आने के मायने क्या हैं?

भारत और यूक्रेन के बीच संबंध बहुत पुराने हैं. यूक्रेन के तीन राष्ट्रपतियों ने भारत का दौरा किया है जबकि भारत के दो राष्ट्रपति भी यूक्रेन गए थे. 2021 तक दोनों देशों के बीच व्यापार 3.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. युद्ध से पहले की इस साझेदारी को अब फिर से मजबूत करने का मौका दोनों देशों के पास है. साथ ही भारत की वैश्विक छवि एक ऐसे देश की है जो युद्ध में सीधे पक्ष नहीं लेता, लेकिन शांति और कूटनीति का समर्थन करता है. यही वजह है कि जेलेंस्की इस दौरे को खास मानते हैं.

ट्रंप से नहीं मिला सपोर्ट?

जेलेंस्की को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन अब तक वहां से उन्हें निराशा ही मिली है. ट्रंप ने युद्ध रुकवाने के बड़े-बड़े दावे तो किए थे, मगर कोई ठोस कदम नहीं उठाया. अब यूक्रेन की नजरें भारत पर टिकी हैं. राजदूत पोलिशचुक ने साफ कहा कि भारत की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि रूस से उसके रिश्ते मजबूत हैं और वही शांति वार्ता में वास्तविक दबाव बना सकता है.

पहले भी हो चुकी हैं मोदी-जेलेंस्की मुलाकातें

युद्ध शुरू होने के बाद मई 2023 में जापान में जी7 समिट के दौरान पहली बार मोदी और जेलेंस्की की मुलाकात हुई थी. वहां मोदी ने कहा था कि यह युद्ध पूरी मानवता के लिए खतरा है. इसके बाद 2024 में इटली और फिर न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात हुई. हर बार मोदी ने बातचीत और कूटनीति को ही समाधान बताया. यह लगातार संपर्क इस दौरे की अहमियत को और बढ़ा देता है.

पुतिन भी आएंगे भारत

जेलेंस्की की भारत यात्रा से पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भी दौरा तय है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने मॉस्को में पुष्टि की थी कि पुतिन 2025 के अंत में भारत आएंगे. पहले यह यात्रा अगस्त में तय थी, लेकिन अब साल के आखिर में होगी. ऐसे में भारत एक ही साल में दोनों दुश्मन देशों की मेजबानी करेगा, जो उसकी कूटनीतिक ताकत और संतुलन को दिखाता है.

भारत की भूमिका पर टिकी दुनिया की नजर

जेलेंस्की की यात्रा केवल द्विपक्षीय रिश्तों का मामला नहीं है, बल्कि इसका असर वैश्विक राजनीति पर भी पड़ेगा. भारत की स्थिति तटस्थ होते हुए भी निर्णायक मानी जाती है. अगर मोदी रूस और यूक्रेन को किसी साझा मंच पर लाने में सफल होते हैं, तो यह न सिर्फ युद्ध की दिशा बदल देगा बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नई ऊंचाई देगा. यही वजह है कि दुनिया की निगाहें इस यात्रा पर टिकी हैं.

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