क्या शिंदे नहीं लेंगे सरकार में भाग? शपथ की तारीख से समझिए BJP का इशारा, कांग्रेस बोली- यूज कर फेंका
एकनाथ शिंदे दो दिन से गांव में हैं. वहीं, बीजेपी ने घोषणा की है कि राज्य में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को आजाद मैदान में होगा. कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक यह एकनाथ शिंदे के लिए सीधा संदेश है.;
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की बड़ी सफलता के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में महागठबंधन की सरकार बनेगी, लेकिन मुख्यमंत्री का चेहरा अभी तक तय नहीं हो पाया है. एक तरफ एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद न मिलने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है, जिससे महागठबंधन की सरकार गठन में बड़ी बाधा उत्पन्न हो गई है. शिंदे की नाराजगी के कारण सात दिन बाद भी सरकार का गठन नहीं हो पाया है.
उन्होंने मुख्यमंत्री पद नहीं मिलने पर उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री पद की मांग की है. उनका यह भी कहना है कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तो ये दोनों पद भाजपा के पास थे. माना जा रहा है कि एकनाथ शिंदे ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से कहा है कि उन्हें अभी हमारे पास आना चाहिए, जिससे सरकार बनाने की प्रक्रिया में विलंब हो रहा है.
शपथ ग्रहण की तारीख के बाद उठ रहे सवाल
एकनाथ शिंदे दो दिन से गांव में हैं. वहीं, बीजेपी ने घोषणा की है कि राज्य में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को आजाद मैदान में होगा. कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों के मुताबिक यह एकनाथ शिंदे के लिए सीधा संदेश है. दावा किया जा रहा है कि यह उन्हें पहले से यह बताने की रणनीति है कि वे सरकार में भाग लेना चाहते हैं या नहीं. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चन्द्रशेखर बावनकुले ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है.
शिंदे को मिल रही धोखेबाजी की सजा
इस बीच कांग्रेस ने एकनाथ शिंदे पर तीखा हमला करते हुए उन्हें धोखेबाजी की सजा मिल रही है, ऐसा दावा किया है। पार्टी नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि महायुति गठबंधन की पूरी कहानी राजनीतिक पतन और धोखेबाजी से भरी हुई है. उन्होंने आरोप लगाया कि शिंदे ने अपने राजनीतिक गुरु के परिवार के साथ धोखा किया था, जिसके बाद भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया और उनका खूब उपयोग किया. अब, जब उनका काम खत्म हो चुका है, तो भाजपा उन्हें इस्तेमाल कर फेंक रही है.
महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा
भाजपा ने मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण की तारीख का ऐलान कर दिया है, लेकिन इसके बाद सियासी ड्रामा और अपमान की चर्चाएं तेज हो गई हैं. कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे से बिना चर्चा किए ही यह तारीख तय की गई, जिससे यह माना जा रहा है कि भाजपा ने शिंदे को एक सांकेतिक चेतावनी दी है. विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद राज्य में कई विकास कार्य हुए, और दिल्ली से दारेगांव तक कई महत्वपूर्ण घटनाएं घट चुकी हैं. राजनीति हमेशा मांग, आग्रह, नाराजगी और जिद के इर्द-गिर्द घूमती है.