मणिपुर हिंसा मामले में क्‍यों चर्चा में हैं पीवी नरसिम्‍हा राव, 1992-93 में क्‍या हुआ था?

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने जवाब में कहा कि 1992-93 में मणिपुर में भारी हिंसा और तनाव था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव मणिपुर क्यों नहीं गए थे? उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि पीवी नरसिम्हा राव और आईके गुजराल के समय मणिपुर में हिंसा थी, तो क्या उन्होंने मणिपुर का दौरा किया और माफी मांगी थी?;

Curated By :  नवनीत कुमार
Updated On : 2 Jan 2025 5:24 PM IST

मणिपुर में हालिया हिंसा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे पर एक बार फिर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रधानमंत्री मोदी से पूछा कि वह मणिपुर क्यों नहीं गए, जबकि वह देश और विदेश के अन्य हिस्सों का दौरा करते रहते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने जानबूझकर मणिपुर का दौरा नहीं किया. इस पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने जवाब में कहा कि 1992-93 में मणिपुर में भारी हिंसा और तनाव था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव मणिपुर क्यों नहीं गए थे? उन्होंने यह भी सवाल किया कि यदि पीवी नरसिम्हा राव और आईके गुजराल के समय मणिपुर में हिंसा थी, तो क्या उन्होंने मणिपुर का दौरा किया और माफी मांगी थी?

1992-93 में क्या हुआ था?

मणिपुर की सबसे भीषण हिंसा 1993 में हुई थी, जब कांग्रेस के राज कुमार दोरेन्द्र सिंह मणिपुर के मुख्यमंत्री थे. रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से दिसंबर तक कुकी और नागाओं के बीच हिंसा में करीब 750 लोग मारे गए थे और 350 गांव नष्ट हो गए थे. फरवरी 1994 में राज्यसभा में राष्ट्रपति शासन के लिए प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव और गृह मंत्री शंकर राव चव्हाण इस पर चर्चा में शामिल नहीं हुए थे. गृह राज्य मंत्री सईद ने उच्च सदन में जवाब दिया था.

रिपोर्ट के अनुसार, नरसिम्हा राव ने मणिपुर हिंसा पर किसी भी चर्चा में हिस्सा नहीं लिया और अगस्त 1993 में जब हिंसा अपने चरम पर थी, तब गृह राज्य मंत्री राजेश पायलट ने संसद में जवाब दिया. राज्यसभा की कार्यवाही से यह भी पता चलता है कि राष्ट्रपति शासन की मांग के दौरान भाजपा की सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री की उपस्थिति की मांग नहीं की थी.

मणिपुर में कब कब हुई घटना

  • 28 दिसंबर: थामनपोकपी और सानासबी में हुई गोलबारी में एक महिला और वीडियो जर्नलिस्ट घायल हो गए
  • 27 दिसंबर: सनसाबी में उग्रवादियों से मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी और एक स्थानीय युवक घायल
  • 15 दिसंबर: बिहार के दो मजदूरों की गोली मारकर हत्या, थौबल एनकाउंटर में एक उग्रवादी ढेर, छह गिरफ्तार
  • 17 नवंबर: जिरिबाम जिले में पुलिस की गोली से मैतेई प्रदर्शनकारी की मौत, जिसके बाद हालात बिगड़े
  • 11 नवंबर: सुरक्षाबलों ने जिरीबाम में 10 कुकी उग्रवादियों को मार गिराया, जिन्होंने छह मैतेई को किडनैप किया था

हिंसा में मारे गए 250 से ज्यादा लोग

मणिपुर में कुकी-मैतेई के बीच हिंसा अब 600 दिन से ज्यादा हो चुकी है, जिसमें 250 से ज्यादा लोग मारे गए और 1500 से अधिक घायल हुए हैं. 60 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. अब तक 11 हजार FIR दर्ज की जा चुकी हैं और 500 से ज्यादा लोग गिरफ्तार हो चुके हैं.

सीएम ने मांगी माफ़ी

2024 के आखिरी दिन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मणिपुर के लिए यह वर्ष बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा, लेकिन वे उम्मीद करते हैं कि आने वाले साल में शांति स्थापित होगी. उन्होंने मणिपुर के लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि पिछले तीन मई से मणिपुर में हिंसा के कारण कई लोग अपने प्रियजनों को खो चुके हैं और अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले कुछ महीनों में शांति की दिशा में जो प्रगति हुई है, उससे 2025 तक स्थिति सामान्य हो जाएगी.

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