जब बाल ठाकरे ने नितिन गडकरी को की थी ऑफर शराब; पढ़ें पांच अनसुने किस्से
बाल ठाकरे को उनके हिंदुत्ववादी एजेंडे के लिए जाना जाता था, लेकिन उनकी मानवता की झलक एक किस्से में दिखती है. उनके पास काम करने वाले एक मुस्लिम ड्राइवर ने बताया कि ठाकरे ने कभी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया. उन्होंने कहा, "बालासाहेब ने हमेशा हमें परिवार का हिस्सा माना.";
बाल ठाकरे भारतीय राजनीति के एक करिश्माई और विवादित नेता थे. उन्होंने मराठी मानुष और हिंदुत्व के मुद्दों को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी पहचान बनाई. पहले वे एक कार्टूनिस्ट थे. उनके भाषणों में साहस, स्पष्टता और तीव्रता दिखती थी.
उन्होंने मुंबई के स्थानीय लोगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई. उनके किस्से और कहानियां आज भी लोगों के बीच चर्चित हैं. उनकी शैली और भाषण देने का तरीका जनता से गहरा जुड़ाव पैदा करता था. यहां उनके पांच किस्से हैं, जो उनकी लोकप्रियता और प्रभाव को समझने में मदद करते हैं.
नितिन गडकरी को शराब का ऑफर
शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की राजनीतिक शैली में दोस्ताना व्यवहार शामिल था. एक बार नितिन गडकरी ने बताया कि जब वे ठाकरे से मिलने गए, तो उन्होंने गडकरी को शराब का ऑफर किया. गडकरी ने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया और कहा कि वे शराब नहीं पीते. इस पर ठाकरे ने हंसते हुए कहा, "अच्छा, तो तुम्हारे लिए जूस मंगवाते हैं." इस बात का जिक्र नितिन गडकरी ने एक इंटरव्यू में किया था.
मुस्लिम ड्राइवर का समर्थन
बाल ठाकरे को उनके हिंदुत्ववादी एजेंडे के लिए जाना जाता था, लेकिन उनकी मानवता की झलक एक किस्से में दिखती है. उनके पास काम करने वाले एक मुस्लिम ड्राइवर ने बताया कि ठाकरे ने कभी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया. उन्होंने कहा, "बालासाहेब ने हमेशा हमें परिवार का हिस्सा माना."
किसान और मराठी मानुष की लड़ाई
ठाकरे ने हमेशा मराठी लोगों और किसानों के अधिकारों की बात की. एक बार उन्होंने कहा, "अगर कोई मराठी मानुष की जमीन छीनने की कोशिश करेगा, तो हम अपनी पूरी ताकत से उसका विरोध करेंगे." उनकी यह बात ग्रामीण और शहरी मराठी जनता को बहुत अच्छी लगी.
बाल ठाकरे की प्रेम कहानी
बाल ठाकरे और सरला वैद्य की पहली मुलाकात साल 1947 में एक रिश्तेदार के घर पर हुई थी, वहां पर सरला अपने परिवार के साथ आई हुई थीं. 13 जून 1948 के दिन बाल ठाकरे और सरला वैद्य ने शादी कर ली. शादी के बाद सरला वैद्य ने अपना नाम बदलकर मीना ठाकरे रख लिया. बाल ठाकरे जब भी अपने संघर्ष में कमजोर दिखे, उनकी पत्नी ने ही आगे बढ़कर उनका हौसला बढ़ाया. मीना ठाकरे आज भी शिवसैनिकों के लिए पूजनीय हैं.
मुंबई का नाम बदलने का प्रस्ताव
बाल ठाकरे का सबसे बड़ा योगदान मुंबई को 'बॉम्बे' से बदलकर 'मुंबई' करना था. उन्होंने इसे मराठी संस्कृति और गौरव से जोड़ते हुए कहा कि यह बदलाव मराठी पहचान को मजबूत करेगा. इस फैसले ने उन्हें महाराष्ट्र के लोगों के दिलों में खास जगह दिलाई. बाल ठाकरे का जीवन और उनकी शैली उन्हें एक ऐसा नेता बनाती है, जिनका जुड़ाव आम जनता से बहुत गहरा था.