वक्फ बिल में ऐसा क्या है, जिसका विरोध कर रहा विपक्ष? ये हैं बड़ी वजहें
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर जेपीसी की रिपोर्ट को 13 फरवरी को संसद में पेश किया गया, जिस पर लोकसभा और राज्यसभा में भारी हंगामा देखने को मिला. विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया है. उसका कहना है कि जेपीसी रिपोर्ट में उसके असहमति नोटों को शामिल नहीं किया गया. आइए, जानते हैं कि वक्फ बिल का विपक्ष क्यों विरोध कर रहा है...;
Waqf (Amendment) Bill 2024: संसद में 13 फरवरी को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट पेश होने के बाद जमकर हंगामा देखने को मिला. लोकसभा हो या राज्यसभा, विपक्षी सांसदों ने विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने आरोप है कि वक्फ विधेयक पर जेपीसी पक्षपाती और एकतरफा है.
विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया है कि पैनल के सदस्यों की तरफ से पेश किए गए असहमति नोटों को जेपीसी रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया. वहीं, इन आरोपों पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर विपक्ष के असहमति नोट जेपीसी रिपोर्ट में जोड़ दिए जाएं तो सरकार का कोई विरोध नहीं है.
वक्फ बिल का विपक्ष क्यों कर रहा विरोध?
वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 40 वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति पर दावा करने का अधिकार देती है और उस भूमि का दावेदार केवल ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है, लेकिन प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक दावेदारों को न्यायाधिकरण के अतिरिक्त राजस्व न्यायालय, सिविल न्यायालय या उच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति देता है.
पहले वक्फ न्यायाधिकरण का निर्णय अंतिम माना जाता है तथा उसे किसी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थी, लेकिन संशोधन में वक्फ न्यायाधिकरण के निर्णय के विरुद्ध हाईकोर्ट में अपील की अनुमति दी गई है.
पहले यदि किसी भूमि पर मस्जिद है या उसका उपयोग इस्लामी धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, तो उसे वक्फ संपत्ति माना जाता है. वहीं, संशोधन में कहा गया है कि भूमि को तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा, जब तक कि वह वक्फ को दान न कर दी गई हो.
पहले महिलाओं और अन्य धर्मों के लोगों को वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने की अनुमति नहीं थी, लेकिन नये संशोधन में वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं और अन्य धर्मों के दो सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान है.
वक्फ अधिनियम का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 किया जाएगा,
- कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार जेपीसी की रिपोर्ट को जल्दबाजी में पारित कर रही है. इस पर कोई खंड दर खंड चर्चा नहीं हुई. बिल पर चर्चा के लिए वास्तविक हितधारकों को नहीं बुलाया गया. उन्होंने कहा कि हम चाहते थे कि जेपीसी सभी विचारों को ध्यान में रखें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 665 पेज की रिपोर्ट पेश की गई, लेकिन सदस्यों के पास अपनी आपत्तियां प्रस्तुत करने के लिए केवल एक रात थी.
- डीएमके सांसद मोहम्मद अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी वक्फ बिल पर जेपीसी की रिपोर्ट को कभी स्वीकार नहीं करेगा. इस रिपोर्ट से विपक्ष के असहमति नोटों के कुछ हिस्सों को हटा दिया गया है.
- कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने आरोप लगाया है कि सरकार विधेयक के जरिए देश के प्रमुख स्थानों पर वक्फ बोर्ड की जमीन लूटना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जेपीसी में विपक्ष द्वारा दिए गए नोट को हटा दिया गया.
- सपा सांसद इकरा हसन ने आरोप लगाया कि बिल में विपक्ष के असहमति वाले नोटों को संपादित कर रिपोर्ट में डाला गया है. यह बिल असंवैधानिक और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ है. इसमें उनकी चिंताओं को शामिल नहीं किया गया है.
- सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि बिल के बारे में विपक्ष के सुझावों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया. देश के महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए यह बिल पेश किया गया है. हमने न केवल बिल का विरोध किया है, बल्कि इसका बहिष्कार भी किया है. हम इसे किसी भी हालत में पारित नहीं होने देंगे.
- सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि विपक्षी सदस्यों द्वारा दिए गए असहमति नोटों को वक्फ संशोधन विधेयक में शामिल नहीं किया गया. सरकार मनमाने तरीके से यह बिल ला रही है. वे ध्यान भटकाने के लिए सत्र के आखिरी दिन बिल लेकर आए हैं.
- एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया कि वक्फ मुस्लिम प्रॉपर्टी में गैर- मुस्लिम सदस्यों को क्यों रखा जाएगा. कलेक्टर कैसे यह फैसला करेगा कि कोई प्रॉपर्टी वक्फ बोर्ड की है या नहीं.
ओवैसी ने कहा कि यह बिल संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 29 का उल्लंघन करता है. यह वक्फ को बचाने के लिए नहीं, बल्कि इसे बर्बाद करने के लिए लाया गया है.
- झामुमो सांसद महुआ माझी का आरोप है कि जेपीसी पक्षपातपूर्ण रही है. आज सरकार की नजर वक्फ की जमीन पर है, कल वे दूसरे धर्मों की संपत्ति हड़प लेंगे.
सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने कहा कि यह बिल देश के हित में नहीं है. भाजपा इसे थोपना चाहती है और मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए राजनीति करना चाहती है.
छह महीने पहले जेपीसी का हुआ गठन
बता दें कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य डिजिटलीकरण, उन्नत ऑडिट, बेहतर पारदर्शिता और अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को पुन: प्राप्त करने के लिए कानूनी तंत्र जैसे सुधारों को लागू करके इन चुनौतियों का समाधान करना है. बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने बताया कि छह महीने पहले जेपीसी का गठन किया गया था. हमने छह महीनों में पूरे देश का दौरा करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है. हमने 14 खंडों में 25 संशोधनों को अपनाया है. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि विपक्षी नेताओं के साथ बैठक के बाद सभी असहमति नोटों को शामिल कर लिया है.