क्या होता है Nuclear Umbrella? क्या पाकिस्तान के चक्कर में भारत से दुश्मनी मोल लेगा सऊदी अरब?
न्यूक्लियर अंब्रेला एक सुरक्षा की गारंटी है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यह संतुलन बिगाड़ भी सकता है. पाकिस्तान-सऊदी रिश्ते भारत के लिए एक चुनौती हैं, पर भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और कूटनीति यह तय करेगी कि सऊदी अरब पाकिस्तान के चक्कर में भारत से रिश्ते खराब करे या नहीं. फिलहाल, यह समझौत शहबाज शरीफ के लिए राहत देने वाला जरूर है.;
न्यूक्लियर अंब्रेला (Nuclear Umbrella) एक सामरिक सुरक्षा व्यवस्था है, जिसमें परमाणु हथियार संपन्न कोई बड़ा देश अपने सहयोगी देशों को परमाणु हमले से बचने की गारंटी देता है. हाल ही में पाकिस्तान के साथ सऊदी अरब की बढ़ती नजदीकियों और परमाणु सुरक्षा की संभावनाओं ने भारत-सऊदी रिश्तों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या पाकिस्तान के चक्कर में सऊदी अरब भारत से दुश्मनी मोल लेगा?
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय राजनीति में 'न्यूक्लियर अंब्रेला' केवल हथियारों की बात नहीं करता, बल्कि भरोसे, सुरक्षा और शक्ति संतुलन का भी प्रतीक होता है. पाकिस्तान, जो खुद को इस्लामिक वर्ल्ड का न्यूक्लियर पावर बताता है, सऊदी अरब के साथ अपने रिश्तों का इस्तेमाल इसे ढाल बनाकर करना चाहता है.
न्यूक्लियर अंब्रेला क्या है?
'न्यूक्लियर अंब्रेला' उस सुरक्षा गारंटी को कहते हैं, जिसमें परमाणु शक्ति संपन्न देश अपने सहयोगियों को किसी भी परमाणु हमले से बचाने का भरोसा देता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण अमेरिका है, जो जापान, दक्षिण कोरिया और NATO देशों को अपने न्यूक्लियर अंब्रेला के तहत सुरक्षा देता है. छोटे या गैर-परमाणु देश इसके जरिए सामरिक सुरक्षा महसूस करते हैं.
पाकिस्तान लंबे समय से सऊदी अरब का सामरिक साझेदार रहा है. माना जाता है कि पाकिस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को सऊदी अरब ने आर्थिक मदद दी थी. अब जब वेस्ट एशिया में ईरान और इजरायल जैसे मुद्दे सऊदी के सामने खड़े हैं, तब वह पाकिस्तान से परमाणु सुरक्षा के रूप में 'न्यूक्लियर अंब्रेला' चाहता है.
भारत-सऊदी रिश्ते
भारत और सऊदी अरब के बीच आर्थिक, ऊर्जा और प्रवासी भारतीयों के कारण गहरे रिश्ते हैं. भारत सऊदी का बड़ा तेल ग्राहक है और लाखों भारतीय वहां काम कर रहे हैं. दोनों देश के बीच रक्षा और तकनीकी सहयोग भी बढ़ा है.
क्या सऊदी भारत से दुश्मनी मोल लेगा?
बदलते वैश्विक परिवेश में सऊदी अरब सीधे भारत से दुश्मनी मोल नहीं लेगा, क्योंकि भारत उसके लिए बड़ा आर्थिक पार्टनर है. पाकिस्तान के साथ न्यूक्लियर अंब्रेला का मतलब सऊदी की सामरिक सुरक्षा हो सकता है, लेकिन इसका असर भारत-सऊदी रिश्तों पर गहराई से पड़ेगा, यह तय नहीं है. इस मामले को भारत को अपनी 'बैलेंस्ड डिप्लोमेसी' से संभालना होगा.
भारत पर नहीं पड़ेगा असर
भारत और सऊदी अरब के बीच कुल व्यापार करीब 42 अरब डॉलर का होता है. भारत से सऊदी अरब को निर्यात इंजीनियरिंग सामान, चावल विशेषकर बासमती राइस, वाहन एवं उनसे जुड़े उपकरण, रसायन, वस्त्र, खाद्य उत्पाद, गहने और जौहरी उत्पाद का होता है. जबकि भारत सऊदी अरब से आयात कच्चा तेल, LPG (तरल पेट्रोलियम गैस), उर्वरक, रसायन तथा प्लास्टिक एवं उनसे बने उत्पाद का होता है.
इसके उलट पाकिस्तान की सऊदी अरब को निर्यात लगभग 734.36 मिलियन डॉलर और सऊदी अरब से पाकिस्तान को आयात लगभग US$ 4.47 बिलियन 2024 में हुई. दोनों देशों के बीच कुल व्यापार करीब US$ 700 मिलियन है. यानी भारत और सऊदी अरब के बीच कारोबार कई गुना ज्यादा है. ऐसे में सऊदी अरब भारत से रिश्ता खराब नहीं करना चाहेगा.