विपक्ष का मिलेगा साथ, तभी ONOE पर बनेगी बात! मोदी सरकार के सामने क्या है सबसे बड़ा टास्क?

One Nation One Election बिल 2024 को 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश कर दिया गया. इसके जरिए संविधान में संशोधन किए जाएंगे. हालांकि, मोदी सरकार के सामने ONOE बिल को संसद में पास कराना बहुत जरूरी है, जोकि मुश्किल होता दिखाई दे रहा है. बिना विपक्ष के सरकार के लिए बिल को पास कराना लगभग नामुमकिन है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, आइए आपको बताते हैं...;

( Image Source:  ANI )
By :  अच्‍युत कुमार द्विवेदी
Updated On : 17 Dec 2024 7:41 PM IST

One Nation One Election: एक देश एक चुनाव यानी वन नेशन वन इलेक्शन की तरफ मोदी सरकार ने एक कदम और बढ़ा दिया है. लोकसभा में आज वन नेशन वन इलेक्शन से जुडा बिल पेश कर दिया गया. बिल का 269 सांसदों ने समर्थन किया, जबकि 198 सांसदों ने इसका विरोध किया. हालांकि, लोकसभा में बिल को स्वीकार कर लिया गया है.

केंद्रीय विधि व न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दो बिल संविधान (129वां) संशोधन विधेयक 2024 और संघ राज्य क्षेत्र कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 लोकसभा में पेश किया. इस बिल को कुछ दिन पहले कैबिनेट ने मंजूर दी थी. माना जा रहा है कि इस बिल को अब संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के पास भेजा जाएगा.

वन नेशन वन इलेक्शन (ONOE) को लेकर पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी की गठन किया गया था. इस कमेटी ने मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसे सितंबर में कैबिनेट ने मंजूरी दी. हालांकि, देश में एक साथ लोकसभा और राज्यसभा विधानसभा चुनाव कराने के लिए बिल को संसद में पारित कराना जरूरी है, जोकि सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी.

आसान नहीं होगा बिल पास कराना

दरअसल, लोकसभा में वन नेशन वन इलेक्शन बिल को पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत यानी 362 वोटों की जरूरत है, जबकि एनडीए के पास 292 सांसद ही हैं. इसी तरह, राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए 164 वोटों की जरूरत है, जबकि एनडीए के पास केवल 112 सांसद हैं. वहीं, बिल का विरोध करने वाली पार्टियों के पास लोकसभा में 205 और राज्यसभा में 85 सीटें हैं. ऐसे में बिना विपक्ष के बिल को पास कराना नामुमकिन है.

62 दलों से कोविंद समिति ने किया संपर्क

बता दें कि कोविंद समिति ने 62 दलों से वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर संपर्क किया था. इसमें से 32 दलों ने ONOE का समर्थन किया था, जबकि 15 दलों ने विरोध जताया था. वहीं, 15 दलों ने कोई जवाब नहीं दिया था. जिन दलों ने ONOE का समर्थन किया है, उनमें बीजेपी, जेडीयू, शिवसेना, एनसीपी, बसपा, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, एलजेपी और असम गण परिषद समेत अन्य दल शामिल हैं.

वहीं, जिन दलों ने ONOE बिल का विरोध किया है, उनमें कांग्रेस, सपा, NCP(SCP), शिवसेना (UBT), TMC, AIMIM, आरजेडी, AAP, डीएमके, PDP, JMM और (CPM) पार्टी समेत अन्य दल शामिल हैं. टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि हमने बिल का विरोध किया है. हम चाहते हैं कि बिल वापस लिया जाए.

संविधान में करना होगा यह संशोधन

कोविंद समिति ने एक देश एक चुनाव के लिए संविधान में अनुच्छेद 82 (ए) को जोड़ने की सिफारिश की है. इससे एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. अगर यह अनुच्छेद 2029 से पहले जुड़ जाता है तो सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक रहेगा.

'बिल देश को तानाशाही की ओर ले जाएगा'

आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर और संविधान निर्माताओं ने केंद्र और राज्य को अलग-अलग शक्तियां दीं. आप संविधान के संघीय ढांचे को कमजोर नहीं कर सकते. यही कारण है कि हमने बिल का विरोध किया. यह बिल देश को तानाशाही की ओर ले जाएगा. मैं केंद्र सरकार से बिल वापस लेने का आग्रह करता हूं.

'विपक्ष की नकारात्मक भूमिका सामने आई है'

बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि विपक्ष की नकारात्मक भूमिका सामने आई है. वन नेशन वन इलेक्शन से देश की जीडीपी बढ़ती है. बार-बार चुनाव होने से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ता है और विकास प्रक्रिया बाधित होती है. उन्होंने कहा कि जो लोग केवल फिलिस्तीन का दर्द देखते हैं, बांग्लादेश के हिंदुओं का दर्द नहीं, उनका देश के लिए सकारात्मक सोच से कोई लेना-देना नहीं है.

'हम समय और पैसा दोनों बचाएंगे'

शिवसेना सांसद नरेश म्हास्के ने कहा कि आज राहुल गांधी सदन में मौजूद नहीं थे. उन्हें क्या कहना है? वन नेशन वन इलेक्शन से हम समय और पैसा दोनों बचाएंगे. कांग्रेस इसका विरोध इसलिए कर रही है क्योंकि ONOE से उनका भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा. यह बिल देश के हित में है.

'देश के मूल ढांचे और संघवाद पर बड़ा असर पड़ेगा'

समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन ने कहा कि यह बहुत अफसोस की बात है कि देश की विविधता को भुलाकर यह बिल लाया जा रहा है. इससे हमारे देश के मूल ढांचे और संघवाद पर बड़ा असर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि छोटी पार्टियों का संचालन भी प्रभावित होगा. मुझे लगता है कि आम लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाले छोटे मुद्दे बड़े मुद्दों पर हावी हो जाएंगे. हम इस बिल के पूरी तरह खिलाफ हैं. 

Similar News