क्या 150 साल पुरानी कोलकाता ट्राम सर्विस बन जाएगी इतिहास? बंगाल सरकार के इस फैसले के बाद खतरे में विरासत

Kolkata Tram Service: कोलकाता ट्राम को जल्द ही भीड़भाड़ के कारण बंद कर दिया जाएगा. अब मात्र एक रूट पर इसका परिचालन किया जाएगा. पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने कहा कि चूंकि कोलकाता में सड़कें संकरी हैं और वाहनों का दबाव बढ़ रहा है, इसलिए ट्रामों के लिए उसी मार्ग पर चलना मुश्किल हो रहा है.;

Kolkata Tram Service
By :  सचिन सिंह
Updated On : 26 Sept 2024 8:11 PM IST

Kolkata Tram Service: कोलकाता की ट्राम सिटी ऑफ़ जॉय की सांस्कृतिक विरासत है, लेकिन बंगाल सरकार के एक फैसले के बाद अब इस 150 साल पुरानी विरासत पर खतरा मंडरा रही है. इसे लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने एक मार्ग को छोड़कर बाकी सभी पर ट्राम सर्विस को बंद करने का फैसला किया है. जबकि शहर भर में कई मार्गों पर ट्राम सर्विस पहले ही बंद कर दी गई हैं. कोलकाता में घोड़ा-चालित ट्रामों की शुरुआत 1873 में हुई थी और तब से ये चल रही हैं.

पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री स्नेहाशीष चक्रवर्ती ने कहा, 'एस्प्लेनेड से मैदान तक हेरिटेज फॉर्म में एक सुसज्जित ट्राम होगी, जिसका उपयोग आनंद से भरी हुई यात्रा के लिए किया जाएगा. हालांकि, हम अन्य सभी मार्गों से इस ट्राम सर्विस को हटा रहे हैं.'

बंद करने का कारण

कोलकाता देश का एकमात्र ऐसा शहर था, जहां ट्राम अभी भी चल रही थी. पश्चिम बंगाल सरकार ने वाहनों की आवाजाही में दिक्कतों के कारण पुरानी ट्राम सेवा को बंद करने का फैसला किया. वाहनों और ट्रामों के लिए एक ही सड़क पर चलना चुनौतीपूर्ण था, जिससे भीड़भाड़ और ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो गई.

एक को छोड़कर सभी ट्राम रूट बंद किए जा रहे हैं. एस्प्लेनेड से मैदान तक का रूट अभी भी चालू रहेगा, ताकि पुरानी यादों को ताजा रखा जा सके. यह मार्ग खूबसूरत है, जिसमें विक्टोरिया मेमोरियल के शानदार नज़ारे और दूर-दूर तक फैली हरियाली है. मैदान में छोटे बच्चों अक्सर क्रिकेट और फुटबॉल खेलते नजर आते हैं, जो बेहद खूबसूरत नजारों का अनुभव देगा.

एक युग पुराना है ये विरासत

एक पूरे युग के अंत के बावजूद अभी भी लकड़ी की बेंचों पर बैठकर ट्राम के आगे बढ़ने के दौरान उसकी कोमल गति का आनंद लिया जा सकता है. ट्राम कारों के विशिष्ट सफेद-नीले रंग बंगाली दिल में एक तार को छूते हैं, क्योंकि परिवहन का यह तरीका बंगाली पहचान का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है. ट्राम के पहियों की लयबद्ध पैटर्न शहर की धड़कन की तरह लगती है.

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