UGC, AICTE, NCTE हो जाएंगे खत्म, HECI लेगी जगह, मोदी सरकार के Viksit Bharat Shiksha Adhikshan Bill में क्या है?
केंद्र सरकार ने विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल को मंजूरी दे दी है. इससे UGC, AICTE और NCTE जैसी उच्च शिक्षा संस्थानों का एक नया एकीकृत नियामक में विलय होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय HECI बिल का मसौदा तैयार कर रहा है, जानिए बिल में क्या है, क्यों यह बदलाव जरूरी माना जा रहा है. NEP 2020 में इसका क्या मकसद है?;
भारत के हायर एजुकेशन के ढांचे में 12 दिसंबर का दिन एक ऐतिहासिक बदलाव का पड़ाव साबित हुआ. मोदी कैबिनेट ने ‘Viksit Bharat Shiksha Adhikshan Bill’ को मंजूरी दे दी है, जो वर्तमान UGC, AICTE और NCTE जैसे नियामक निकायों को बदलकर एक एकल उच्च शिक्षा नियामक संस्था के रूप में स्थापित करेगा. यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के विजन का मुख्य हिस्सा है और इससे भारतीय उच्च शिक्षा में नियम, मानकीकरण, गुणवत्ता और प्रशासनिक तिकड़ी को हटाकर एक समन्वित ढांचे का निर्माण होगा.
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दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में एक नियामक ढांचे की बात कही गई है. इसका मकसद ऑडिट और ट्रांसपेरेंसी के जरिए शैक्षिक प्रणाली मजबूत बनाना है. साथ ही स्वायत्तता, सुशासन और सशक्तिकरण के माध्यम से नवाचार और लीक से हटकर विचारों को प्रोत्साहित करना भी शामिल है. NEP 2020 में रेगुलेशन, प्रमाणीकरण, फंडिंग और एकेडमिक स्टैंडर्ड निर्धारित करने के साथ अलग-अलग कार्यों को करने के लिए स्वतंत्र वर्टिकल के साथ एक छत्र निकाय के रूप में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) की स्थापना की परिकल्पना की गई थी. NEP 2020 के इसी दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय HECI बिल का मसौदा तैयार कर रहा है, जिसे विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल नाम दिया गया है.
Viksit Bharat Shiksha Adhikshan Bill में क्या है?
विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण बिल एक एकीकृत नियामक आयोग बनाने का प्रस्ताव करता है, जो उच्च शिक्षा संस्थानों का नियम और मान्यता प्रदान करेगा, शैक्षिक मानकों और कोर्स का निर्धारण करेगा और मानकीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करेगा. यह नया नियामक पूरे उच्च शिक्षा (except medical & law) क्षेत्र को देखेगा, जिससे अब तीन अलग-अलग संस्थाओं की जगह एक ही संस्था निर्णय लेगी.
UGC, AICTE, NCTE क्यों हो जाएंगे खत्म?
जहां तक UGC, AICTE, NCTE की है तो इससे संबंधित नियमों का अंत हो जाएगा. अभी तक UGC यूनिवर्सिटी और कॉलेजों का नियम, AICTE तकनीकी, इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट शिक्षा और NCTE शिक्षक शिक्षा नियमन करते आए हैं. तीनों के अलग-अलग नियम अक्सर ओवरलैप करते थे, जिससे कॉलेज/यूनिवर्सिटी को एक से अधिक अनुमति/अनुशासन से गुजरना पड़ता था.अब नई शिक्षा नीति के अनुसार एकल नियंत्रक से एक ही नियम, एक ही मानक लागू होगा, जिससे अति-नियमन, देरी और असंगति कम होगी.
NEP 2020 में क्या है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने कहा था कि देश की उच्च शिक्षा को सिल्ट-आधारित, ढोंगी नियमों से मुक्त करना है और गुणवत्ता, नवाचार व पारदर्शिता को बढ़ावा देना है. NEP 2020 ने स्पष्ट किया कि वर्तमान नियामक ब्यूरोक्रेटिक और बोझिल, नियमों में मतभेद और नवाचार-गुणवत्ता में रुकावट साबित होता आया है.
Higher Education Commission of India) का विचार इसी लक्ष्य की ओर पहला कदम था. अब उसी की विकसित रूप भारत शिक्षा अधिक्षण बिल को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है.
बदलाव के संभावित फायदे
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इस बदलाव से अकादमिक व्यवस्था में सरल और पारदर्शी नियम, नए एकल नियामक से संस्थानों का संचालन और उसे शुरू करने की प्रक्रिया आसान होने की संभावना है.
नियमों में अस्पष्टता कमी आएगी. बार-बार अलग-अलग निकायों के पास नहीं जाना पड़ेगा. गुणवत्ता और मानकीकरण का काम एक ही संस्था द्वारा तय होंगे. मूल्यांकन और मान्यता संयुक्त रूप से होगा.
इससे क्या चुनौतियां आ सकती हैं?
नये नियामक के प्रभावी संचालन से संस्थानों की हेरिटेज autonomy और academic freedom सुनिश्चित करना व राजनीतिक/प्रशासनिक संतुलन बनाए रखना संभव होगा. विशेषज्ञों के अनुसार यह महत्वपूर्ण बदलाव है, लेकिन लागू होने पर इसके प्रभाव समय के साथ स्पष्ट होंगे.
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस बिल में 65 संशोधन कानून हैं और 6 मूल कानून हैं. जिन कानूनों को हटाने का प्रस्ताव है, उनमें एक ब्रिटिश काल का कानून भी शामिल है. इस विधेयक का उद्देश्य औपनिवेशिक कानूनों को निशाना बनाना नहीं बल्कि उन अधिनियमों को हटाना है, जिनकी अब कोई उपयोगिता नहीं है.
कुल मिलाकर Viksit Bharat Shiksha Adhikshan Bill भारत की उच्च शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बुनियादी बदलाव है, जो NEP के सिंगल, सरल और गुणवत्तापूर्ण नियमन के लक्ष्य की दिशा में एक निर्णायक कदम हो सकता है. UGC, AICTE, NCTE के स्थान पर अब एक नया नियामक तंत्र तैयार होगा, जिसका लक्ष्य भारत को वैश्विक शिक्षा मानकों से और अधिक जोड़ना है.