'हल्दी और नींबू पानी ने खत्म किया कैंसर', नवजोत सिंह सिद्धू के दावे पर आखिर क्यों भड़के डॉक्टर?

राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू ने एक बयान दिया है जिसके बाद से सोशल मीडिया से लेकर मेडिकल तक हलचल मच गई है. उनके बयान ने मेडिकल क्षेत्र में कई सवाल खड़े कर दिए हैं. डॉक्टरों ने कहा कि कैंसर के किसी भी लक्षण के बारे में पता चले तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से एडवाइस लें. जल्दी पहचान और सही इलाज से ही कैंसर का खत्म होना संभव है.;

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Edited By :  संस्कृति जयपुरिया
Updated On : 24 Nov 2024 1:59 PM IST

भारत के पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया. जैसा की सभी को पता है कि उनकी पत्नी कैंसर से पीड़ित हैं. राजनेता का कहना था कि उनकी पत्नी नवजोत कौर ने अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करके कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को हराया. यह दावा इतना चौंकाने वाला था कि इसने न केवल सोशल मीडिया बल्कि मेडिकल क्षेत्र में भी हलचल मचा दी. सिद्धू ने कहा कि उनकी पत्नी का कैंसर स्टेज-4 तक पहुंच चुका था, लेकिन अब डॉक्टरों ने उन्हें पूरी तरह स्वस्थ घोषित कर दिया है.

नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने बयान में यह कहा कि उनकी पत्नी ने एक शानदार लाइफस्टाइल अपनाई, जिसमें कुछ खास चीजे और घरेलू उपाय शामिल थे. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी ने नींबू पानी, कच्ची हल्दी, सेब साइडर विनेगर, नीम के पत्ते और तुलसी जैसे नेचुरल चीजों का सेवन किया. इसके अलावा, उनका आहार एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-कैंसर तत्वों से भरपूर था. कद्दू, अनार, आंवला, चुकंदर और अखरोट जैसे खाद्य पदार्थों से बने जूस का सेवन नियमित रूप से किया जाता था.

इन उपाय से सही हुआ कैंसर- नवजोत सिंह सिद्धू

इसके साथ ही, सिद्धू ने यह भी बताया कि उनकी पत्नी के खाने में नारियल तेल, कोल्ड प्रेस्ड तेल या बादाम तेल का इस्तेमाल किया जाता था. उनकी सुबह की चाय में दालचीनी, लौंग, गुड़ और इलायची होती थी. सिद्धू का दावा था कि इन सब उपायों और आहार के वजह से ही उनकी पत्नी को कैंसर से निजात मिली, न कि किसी दवा के वजह से.

क्या यह दावा साइंस के आधार पर सही है?

सिद्धू के इस बयान ने मेडिकल क्षेत्र में कई सवाल खड़े कर दिए हैं. खासकर डॉक्टरों के समुदाय में चिंता का माहौल बन गया है. टाटा मेमोरियल अस्पताल के 262 डॉक्टरों ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने सिद्धू के दावों का विरोध किया. डॉक्टरों ने कहा कि हाल में इन नेचूरल उपायों या लाइफस्टाइल में बदलावों को कैंसर के इलाज के रूप में साबित करने के लिए कोई ठोस डेटा नहीं है.

डॉक्टरों का चेतावनी

टाटा मेमोरियल अस्पताल के एक्सपर्ट ने यह भी बताया कि हल्दी और नीम जैसे नेचूरल उत्पादों पर अभी रिसर्च चल रही है, लेकिन इनका उपयोग एंटी-कैंसर एजेंट के रूप में करने के लिए कोई साइंटिफिक रीजन नहीं हैं. डॉक्टरों ने सभी से अपील की कि वे बिना प्रमाणित उपचारों पर विश्वास न करें और कैंसर के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

विशेषज्ञों ने दूध और चीनी के सेवन को कैंसर को खत्म करने के दावे को भी खारिज किया और कहा कि इसका कोई साइंटिफिक रीजन नहीं है. इसके बजाय, उन्होंने कहा कि पारंपरिक उपचार, जैसे सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी, कैंसर के इलाज के सबसे प्रभावी तरीके हैं.

कैंसर का समय पर इलाज जरूरी

डॉक्टरों ने कहा कि कैंसर के किसी भी लक्षण के बारे में पता चले तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से एडवाइस लें. जल्दी पहचान और सही इलाज से ही कैंसर का खत्म होना संभव है. कैंसर से लड़ने के लिए मेडिकल क्षेत्र में कई प्रभावी तरीके हैं, और बिना साइंटिफिक रीजन के उपायों पर निर्भर रहना जानलेवा साबित हो सकता है.

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