न फेयरवेल स्पीच न चेयर पर आए, कैसे कहा जाए All Is Well? धनखड़ की साइलेंट पॉलिटिक्स और इस्तीफे के पीछे होगी ये वजहें
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा केवल स्वास्थ्य कारणों तक सीमित नहीं दिखता. न फेयरवेल, न अंतिम भाषण और न ही संसद में विदाई. इस चुप्पी में सत्ता के भीतर गहराती खामोशी है. न्यायपालिका पर टिप्पणी, विपक्षी प्रस्ताव को स्वीकारना और सरकार से टकराव, इन संकेतों ने इस्तीफे के पीछे बड़ी राजनीतिक पटकथा को जन्म दिया है.;
देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारों में सन्नाटा और सरगर्मी दोनों ला दी. खास बात यह रही कि न तो कोई औपचारिक विदाई हुई, न फेयरवेल स्पीच और न ही संसद में चेयर पर उनकी अंतिम उपस्थिति. उन्होंने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया, लेकिन विपक्ष से लेकर सत्ता पक्ष तक सबको यह बात अधूरी और संदिग्ध लग रही है.
सूत्रों की मानें तो बीते कुछ महीनों से सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच संवाद में ठंडापन आने लगा था. राज्यसभा की कार्यवाही में विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार करने, न्यायपालिका पर सार्वजनिक टिप्पणियों और BAC की बैठक में सरकार की गैरहाजिरी जैसी घटनाएं सरकार की नाराजगी को बढ़ा रही थीं. बताया जा रहा है कि इन्हीं बिंदुओं पर पहले भी उन्हें संकेत दिया गया था, लेकिन हालात नहीं सुधरे.
सिर्फ मोदी बोले, बाकी सब चुप क्यों?
धनखड़ के इस्तीफे के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर एक औपचारिक और सीमित टिप्पणी की. उन्हें 'किसान पुत्र' और 'प्रेरणादायक नेता' बताया. लेकिन पार्टी के बाकी नेताओं या सरकार की ओर से कोई विस्तृत बयान नहीं आया. यह चुप्पी और भी कई संकेत देती है कि मामला सिर्फ व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि अंदरूनी राजनीति से जुड़ा कोई गहरा बदलाव सामने आ सकता है.
सत्ता के समीकरण बदलने की तैयारी?
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि बीजेपी अब एक बड़े संगठनात्मक फेरबदल की ओर बढ़ रही है और इसके लिए पहले से कई पदों को खाली किया जा रहा है. उपराष्ट्रपति का पद भी इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है. कुछ नेता इसे 2024 और 2025 की चुनावी रणनीति से जोड़ रहे हैं, जिसमें एनडीए के अंदर नए समीकरण गढ़े जाएंगे और पुराने चेहरे किनारे होंगे.
विपक्ष ने उठाए सवाल, मांगी पारदर्शिता
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने संसद परिसर में सरकार से पूछा कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की असली वजह क्या है और सरकार को कम से कम उनका सार्वजनिक रूप से आभार व्यक्त करना चाहिए था. वहीं, जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि एक किसान पुत्र को सम्मानजनक विदाई नहीं दी गई, और प्रधानमंत्री की पोस्ट ने केवल रहस्य को और गहरा कर दिया.
इस्तीफे के पीछे ये कारण
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर जो "स्वास्थ्य कारण" बताया गया, उसे लेकर राजनीतिक गलियारों में गहरा संदेह है. सूत्रों और जानकारियों के आधार पर, इस इस्तीफे के पीछे ये वजहें मानी जा रही हैं, जो केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं हैं. नीचे इन वजहों को समझिए...
- सरकार के फैसलों से असहमति और बार-बार टकराव
- राज्यसभा में विपक्षी प्रस्ताव को स्वीकार करना
- सरकार की योजना से अलग दिशा में कार्यवाही
- बीएसी बैठक में सरकार की अनुपस्थिति- टकराव का संकेत
- न्यायपालिका पर बार-बार सार्वजनिक टिप्पणी
- सुप्रीम कोर्ट और न्यायाधीशों पर खुले मंचों से आलोचना
- संवैधानिक मर्यादा से बाहर जाकर बयानबाजी
- सरकार के साथ बढ़ती गई असहमति
- बीजेपी की नई सियासी रणनीति का संकेत
- 2024 और 2025 के चुनावों को लेकर पार्टी में बदलाव
- पुराने चेहरों की विदाई की शुरुआत
- नए समीकरणों के लिए पद रिक्त करना
इन वजहों को जोड़कर देखें, तो साफ है कि धनखड़ का इस्तीफा कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक संविधानिक पद से संयमित विदाई की कहानी है, जिसके पीछे असंतोष, रणनीतिक मतभेद और सत्ता समीकरणों की जटिल परतें हैं.
नीतीश एंगल भी आया सामने
राजद नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि धनखड़ के इस्तीफे से बिहार की राजनीति भी प्रभावित होगी. उन्होंने कहा कि बीजेपी अब जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को एनडीए में नेता बनाए रखने को लेकर फिर से सोचने पर मजबूर हो सकती है. इस बयान से साफ है कि इस्तीफे की गूंज सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है, बिहार की राजनीतिक जमीन भी खिसक सकती है.