तेलंगाना बना ट्रेंडसेटर! SC आरक्षण को तीन भागों में बांटा, ऐसा करने वाला पहला राज्य बना
तेलंगाना ने डॉ. आंबेडकर जयंती पर ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अनुसूचित जाति (SC) आरक्षण में उप-वर्गीकरण लागू कर दिया. 59 उप-जातियों को तीन समूहों में बांटकर 15% कोटे को 1%, 9% और 5% में विभाजित किया गया. यह निर्णय सामाजिक न्याय की दिशा में एक नया मॉडल प्रस्तुत करता है और देशभर में राजनीतिक व नीति बहस को नई दिशा दे सकता है.;
तेलंगाना ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के दिन अनुसूचित जातियों (SC) के भीतर उप-वर्गीकरण लागू कर सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. ऐसा करने वाला तेलंगाना देश का पहला राज्य बन गया है. यह पहल न केवल प्रतीकात्मक रूप से बल्कि नीतिगत रूप से भी गहन है, क्योंकि यह लंबे समय से चली आ रही उस मांग को पूरा करती है. जिसमें कहा गया था कि आरक्षण का लाभ सभी उप-जातियों तक समान रूप से नहीं पहुंच पा रहा है. यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के 2024 के निर्णय के बाद संभव हो पाया, जिसने एससी-एसटी उप-वर्गीकरण को संवैधानिक वैधता दी थी.
सरकार ने एक न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के आधार पर एससी वर्गीकरण को तीन समूहों में बांटा है, सबसे पिछड़े, मध्यम रूप से लाभान्वित और अपेक्षाकृत समृद्ध उप-जातियां. इन समूहों को क्रमशः 1%, 9% और 5% आरक्षण दिया गया है, जो कुल 15% आरक्षण में बांटा गया है. यह वर्गीकरण 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर आधारित है और सरकार ने 2026 की जनगणना के बाद कोटा पुनर्मूल्यांकन का भी आश्वासन दिया है. इससे स्पष्ट होता है कि यह कदम केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि डेटा-संचालित और दीर्घकालिक सोच का हिस्सा है.
कांग्रेस सरकार की रणनीतिक बढ़त
उत्तम रेड्डी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार ने इसे सामाजिक न्याय के एजेंडे में अपनी दृढ़ता के रूप में प्रस्तुत किया है. मंत्री रेड्डी ने जोर देकर कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों ने केवल घोषणाएं कीं, जबकि कांग्रेस ने इसे कानूनी प्रक्रिया के तहत लागू कर दिखाया. ऐसे समय में जब अन्य राज्यों में जातीय जनगणना और उप-वर्गीकरण को लेकर बहस चल रही है, कांग्रेस ने इसे लागू कर के खुद को सामाजिक न्याय की पक्षधर पार्टी के रूप में पेश किया है.
महिलाओं के लिए है 33% आरक्षण
सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि यह आरक्षण ढांचा स्थायी नहीं, बल्कि लचीला है. इस वर्गीकरण में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण कोटे के भीतर सुनिश्चित किया गया है. सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि योग्य SC उम्मीदवार नहीं मिलते हैं, तो कोटे की सीटें किसी अन्य समुदाय को नहीं दी जाएंगी. बल्कि उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा. यह एक समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है, जो आरक्षण की भावना के अनुरूप है. इसके अलावा, सरकार की मंशा है कि जल्द से जल्द खाली पदों को भरकर इस नीति का व्यावहारिक प्रभाव दिखाया जाए.
अन्य राज्य भी कर सकते हैं पहल
डॉ. आंबेडकर की जयंती पर इस निर्णय को लागू करके, कांग्रेस सरकार ने एक मजबूत सामाजिक-सांस्कृतिक संदेश देने की कोशिश की है कि वह केवल सत्ता की राजनीति नहीं कर रही, बल्कि नीति में संरचनात्मक न्याय को भी प्राथमिकता दे रही है. यह निर्णय न केवल तेलंगाना की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि अन्य राज्यों पर भी दबाव डालेगा कि वे अपने-अपने स्तर पर एससी उपवर्गीकरण की दिशा में कदम उठाएं. यह पहल अब सामाजिक न्याय की राजनीति में एक नया मानक बनने की ओर बढ़ रही है.