AI अब खतरा नहीं, हकीकत बन चुका है? TCS में बड़े स्तर पर छंटनी! 12000 से ज्यादा कर्मचारियों की जाएगी नौकरी

TCS (Tata Consultancy Services) ने 2026 तक अपनी ग्लोबल वर्कफोर्स में से करीब 12,000 कर्मचारियों की छंटनी करने का एलान किया है, जो कुल कर्मचारियों का लगभग 2 फीसदी है. यह कदम मुख्यतः मिड और सीनियर मैनेजमेंट स्तर पर उठाया गया है, जहां कंपनी के अनुसार, पुनर्नियोजन प्रभावी नहीं रहा. CEO के. कृतिवासन ने कहा कि यह छंटनी AI के कारण नहीं, बल्कि भविष्य की स्किल्स और ऑपरेटिंग मॉडल में बदलाव के चलते की जा रही है. इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर चिंता और नाराजगी दोनों दिख रही है.;

( Image Source:  AI )

TCS layoffs 2025 12000 employees fired AI impact: देश की सबसे बड़ी IT सेवा प्रदाता कंपनी Tata Consultancy Services (टीसीएस) ने एलान किया है कि वह वित्त वर्ष 2026 में अपनी वैश्विक वर्कफोर्स का करीब 2 फीसदी यानी 12,000 से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाएगी. यह छंटनी मुख्य रूप से मिड और सीनियर मैनेजमेंट स्तर पर की जाएगी. AI, नई टेक्नोलॉजी और बिजनेस मॉडल में बदलाव के चलते कंपनी अपने कर्मचारियों को नए स्किल्स में री-ट्रेन और री-डिप्लॉय कर रही है.

हालांकि, CEO के. कृतिवासन के मुताबिक, कई मामलों में री-डिप्लॉयमेंट प्रभावी नहीं रहा, जिसकी वजह से यह कठिन निर्णय लेना पड़ा. उन्होंने कहा, “यह फैसला लेना मेरे लिए बतौर CEO सबसे मुश्किल फैसलों में से एक रहा.” सीईओ ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम AI की वजह से नौकरियों की कमी के कारण नहीं, बल्कि भविष्य की स्किल जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है.

कंपनी ने यह भी कहा कि क्लाइंट सर्विस डिलिवरी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. छंटनी की प्रक्रिया को सावधानीपूर्वक अंजाम दिया जाएगा.

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

एक X यूजर ने लिखा, “अगर TCS जैसी स्टेबल कंपनी 12,000 लोगों को निकाल रही है, तो बाकी IT कंपनियों का क्या होगा? डरावनी स्थिति है.” दूसरे यूजर ने कहा, “AI अब खतरा नहीं, हकीकत बन चुका है. TCS की यह घोषणा इंडियन IT सेक्टर पर गहरा असर डालेगी.”

Reddit पर एक यूजर ने कहा, “छंटनी किसी भी कंपनी में अच्छा संकेत नहीं है. यह साफ है कि AI ऑटोमेशन के चलते नौकरी पर खतरा अब वास्तविक है.” एक Redditor ने TCS के आंतरिक सिस्टम पर ही सवाल उठाते हुए लिखा, “कई टैलेंटेड इंजीनियर्स जो अच्छे कोडर्स हैं, उन्हें टेक्निकल काम की जगह सपोर्ट या सर्विस डेस्क में डाल दिया जाता है. असल में समस्या इंजीनियर्स में नहीं, बल्कि मैनेजमेंट, HR और RMG में है.”

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