इश्क़ का मक़बरा या वक्फ की जागीर? सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सवाल तो बोर्ड की हुई थी बोलती बंद; जानें पूरा मामला

जनवरी 2025 में वक्फ संशोधन कानून लागू होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में ताजमहल पर वक्फ स्वामित्व को लेकर सुनवाई शुरू हुई है. पहले 1998 में वक्फ बोर्ड ने इस पर दावा ठोका था, जिसे 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया था. अब नए कानून के चलते यह ऐतिहासिक विवाद दोबारा गरमाया है.;

Edited By :  नवनीत कुमार
Updated On : 17 April 2025 9:58 AM IST

संसद से पारित हुआ वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन चुका है. आज कई लोगों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. इसके बाद ताजमहल को लेकर पुराना विवाद फिर से चर्चा में आया है. कभी वक्फ बोर्ड ने इस पर मालिकाना हक जताने की कोशिश की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित करने की कोशिश पहली बार 1998 में सामने आई, जब फिरोजाबाद के व्यवसायी इरफान बेदार ने यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड से मांग की कि ताजमहल को वक्फ संपत्ति घोषित किया जाए और उन्हें मुतवल्ली (केयरटेकर) नियुक्त किया जाए. इसके बाद वक्फ बोर्ड ने 2005 में औपचारिक रूप से ताजमहल को वक्फ संपत्ति के रूप में रजिस्टर करने की प्रक्रिया शुरू की. लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), जो ताजमहल का प्रबंधन करता है, ने इसका विरोध किया और मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया.

SC ने 2010 में मांगा शाहजहां का वक्फनामा

2010 में सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी और यह पूछा कि क्या ताजमहल को वाकई शाहजहां ने वक्फ किया था? कोर्ट ने पूछा, जब शाहजहां अपने जीवन के अंतिम वर्षों में आगरा के किले में कैद थे, तब उन्होंने वक्फनामा पर दस्तखत कैसे किए? इस पर वक्फ बोर्ड कोई प्रमाण नहीं दे सका. ASI के वकील एडीएन राव ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि ताजमहल से संबंधित कोई वैध वक्फ दस्तावेज मौजूद नहीं है. अंततः बोर्ड को अपना दावा वापस लेना पड़ा.

आज़म खां ने फिर उठाई थी मांग

ताजमहल पर वक्फ बोर्ड के स्वामित्व की बहस को राजनीतिक मोड़ 2014 में तब मिला, जब सपा नेता और यूपी सरकार में उस वक्त के शहरी विकास मंत्री मोहम्मद आज़म खां ने सार्वजनिक रूप से कहा कि ताजमहल चूंकि शाहजहां और मुमताज की कब्रों पर बना है, इसलिए उसे वक्फ संपत्ति घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने दलील दी कि भारत में अधिकांश मुस्लिम कब्रें वक्फ बोर्ड के अधीन होती हैं, इसलिए यह स्मारक भी बोर्ड को सौंपा जाना चाहिए.

ताजमहल पर वक्फ का अधिकार नहीं

केंद्र और राज्य सरकारों ने ताजमहल पर किसी भी प्रकार के वक्फ स्वामित्व के दावे को सिरे से खारिज किया. सरकार का कहना था कि ताजमहल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अंतर्गत आने वाला एक संरक्षित राष्ट्रीय स्मारक है. इसका किसी धार्मिक संस्था के अधीन जाना संभव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश और ASI की रिपोर्ट के आधार पर ताजमहल पर वक्फ बोर्ड का कोई अधिकार नहीं बनता.

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