सुप्रीम कोर्ट का यूट्यूब चैनल हैक, क्रिप्टोकैरेंसी से जुड़ा वीडियो किया पोस्ट

Supreme Court YouTube channel hacked: सुप्रीम कोर्ट का यूट्यूब चैनल हैक कर लिया गया है. इसके साथ ही चैनल पर क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने वाला एक वीडियो भी शेयर किया गया है. चैनल और इसकी वीडियो को फिर से लाने की कोशिश की जा रही है. इसे अमेरिकी बेस्ड कंपनी ने हैक किया है.;

Supreme Court YouTube channel hacked
Edited By :  सचिन सिंह
Updated On : 20 Sept 2024 2:47 PM IST

Supreme Court YouTube channel hacked: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आधिकारिक यूट्यूब चैनल को शुक्रवार 20 सितंबर 2024 को हैक कर लिया गया है, जिसमें अदालती कार्यवाही के बजाय क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अनधिकृत वीडियो अपलोड कर दी गई है. इस चैनल पर कोर्ट की कुछ मुख्य सुनवाई का लाइव स्ट्रीमिंग की जाती है. हैकर्स ने यूएस-आधारित रिपल लैब्स में विकसित क्रिप्टोकरेंसी XRP को बढ़ावा देने वाले वीडियो पोस्ट किए.


चैनल पर 'सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया' की जगह 'रिपल' नाम दिखाई दे रहा है. इस खतरनाक साइबर हमले में, देश के सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण की सामान्य कानूनी वीडियो की जगह क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित वीडियो पोस्ट कर दिया गया है. इस हैक ने सरकारी डिजिटल संपत्तियों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं. हालांकि, चैनल और इसकी वीडियो को फिर से लाने की कोशिश की जा रही है. इस बीच अधिकारी इस घटना के पीछे अपराधियों की पहचान करने के लिए उल्लंघन की जांच कर रहे हैं.

कुछ ऐसा दिख रहा है हैक के बाद सुप्रीम कोर्ट का यूट्यूब चैनल


SC के यूट्यूब चैनल पर यूजर्स को क्या मिला?

भारत के सुप्रीम कोर्ट के YouTube चैनल पर हाल में ही कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई को लाइव किया गया था. यह चैनल साइबर हमले का शिकार हो गया है. जब लोगों ने सुनवाई देखने के लिए चैनल को खोला तो पिछली वीडिया गायब थी और उनकी जगह एक लाइव स्ट्रीम शुरू कर दी गई थी, जिसका टाइटल 'ब्रैड गार्लिंगहाउस: रिपल ने SEC के $2 बिलियन के जुर्माने का जवाब दिया! XRP मूल्य भविष्यवाणी' था. ये हैकिंग डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है.

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का लाइवस्ट्रीम

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ साल पहले संविधान पीठ के समक्ष महत्वपूर्ण मामलों की कार्यवाही का लाइवस्ट्रीम करने का एक ऐतिहासिक फैसला किया था. न्यायालय ने माना कि न्यायिक कार्यवाही का लाइवस्ट्रीमिंग संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत न्याय तक पहुंचने के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट के लाइवस्ट्रीम में राष्ट्रीय महत्व के मामलों की सुनवाई शामिल है.

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