सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में ब्लॉकचेन तकनीक के इस्‍तेमाल का सुझाव, लॉ कमीशन से मांगी रोडमैप रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि भारत में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन सिस्टम को अब ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से जोड़ा जाना चाहिए ताकि यह पारदर्शी, सुरक्षित और छेड़छाड़-रोधी बने. जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने लॉ कमीशन ऑफ इंडिया से इस दिशा में एक रोडमैप तैयार करने को कहा है. अदालत ने बताया कि देश में 66% दीवानी मुकदमे संपत्ति विवादों से जुड़े हैं और मौजूदा ‘प्रेजम्पटिव टाइटलिंग सिस्टम’ खरीदारों के लिए जटिलता पैदा करता है.;

( Image Source:  sci.gov.in )
Edited By :  प्रवीण सिंह
Updated On : 8 Nov 2025 8:59 AM IST

भारत में जमीन-जायदाद की खरीद-फरोख्त के तरीके में जल्द ही एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिल सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि संपत्ति पंजीकरण (Property Registration) प्रक्रिया को तकनीकी रूप से उन्नत बनाया जाए और ब्लॉकचेन तकनीक (Blockchain Technology) को इसमें शामिल किया जाए. कोर्ट ने लॉ कमीशन ऑफ इंडिया को निर्देश दिया है कि वह इसका पूरा खाका तैयार करे और केंद्र व राज्यों से विचार-विमर्श के बाद एक रोडमैप रिपोर्ट पेश करे. यह फैसला समिउल्‍लाह बनाम बिहार राज्‍य केस में सुनाया गया.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि भारत में संपत्ति कानूनों में अब मूलभूत सुधार की जरूरत है ताकि पंजीकरण प्रक्रिया न केवल पारदर्शी बल्कि निर्णायक (conclusive titling) भी बने. अदालत ने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में रजिस्ट्री केवल एक सार्वजनिक रिकॉर्ड बनाती है, लेकिन यह स्वामित्व का प्रमाण नहीं होती. इस कारण खरीदारों को शीर्षक (title) की जांच में काफी समय और पैसा खर्च करना पड़ता है. कोर्ट ने टिप्पणी की, “देश में करीब 66 प्रतिशत दीवानी मुकदमे संपत्ति विवादों से जुड़े होते हैं, जिससे नागरिकों के लिए संपत्ति खरीदना या बेचना बेहद जटिल और थकाऊ प्रक्रिया बन गई है.”

भविष्य के लिए आदर्श प्रणाली

बेंच ने यह भी कहा कि ब्लॉकचेन तकनीक इस खाई को पाटने में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकती है. इस तकनीक की मदद से रजिस्ट्रेशन सिस्टम को “सिक्योर, ट्रांसपेरेंट और टैम्पर-प्रूफ” बनाया जा सकता है. कोर्ट ने बताया कि ब्लॉकचेन की ‘immutability’ यानी डेटा में छेड़छाड़ न हो पाना, ‘transparency’ यानी पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता और ‘traceability’ यानी हर बदलाव का डिजिटल रिकॉर्ड - ये तीनों विशेषताएं इसे भविष्य के लिए आदर्श प्रणाली बनाती हैं.

कई कानूनों की करनी होगी समीक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस सुधार प्रक्रिया में कई केंद्रीय कानूनों की समीक्षा करनी होगी, जैसे - Transfer of Property Act (1882), Registration Act (1908), Indian Stamp Act (1899), Evidence Act (1872), IT Act (2000) और Data Protection Act (2023). अदालत ने कहा कि इन सभी को मिलाकर एक एकीकृत कानूनी ढांचा बनाया जा सकता है जो भारत के बिखरे हुए संपत्ति रिकॉर्ड सिस्टम में पारदर्शिता और विश्वसनीयता लाएगा.

फैसला बिहार के उस मामले से जुड़ा था, जिसमें 2002 के बिहार रजिस्ट्रेशन नियमों के नियम 19 में किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई थी. इन संशोधनों के तहत यह शर्त रखी गई थी कि संपत्ति के म्यूटेशन का प्रमाण पत्र दिखाए बिना दस्तावेज़ रजिस्ट्री नहीं होगी. कोर्ट ने इस नियम को रद्द करते हुए कहा कि ऐसा कदम रजिस्ट्रेशन अधिनियम के उद्देश्य के विपरीत है, क्योंकि यह अधिनियम केवल दस्तावेज़ों के पंजीकरण से संबंधित है, न कि स्वामित्व के प्रमाण से.

रजिस्‍ट्रेशन बने स्वामित्व का निर्णायक प्रमाण

अंत में अदालत ने कहा कि भारत को अब ऐसे मॉडल की ओर बढ़ना चाहिए जहां रजिस्ट्रेशन अपने आप में स्वामित्व का निर्णायक प्रमाण बन जाए. कोर्ट ने सुझाव दिया कि ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए सरकार एक एकीकृत डिजिटल रजिस्ट्रेशन सिस्टम तैयार कर सकती है, जिसमें सर्वे डेटा, कैडस्ट्रल मैप और रेवेन्यू रिकॉर्ड एक ही पारदर्शी प्लेटफॉर्म पर जुड़ जाएं.

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल भूमि सुधारों की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है, बल्कि भारत की संपत्ति प्रणाली को डिजिटल और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम भी है.

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