सेना में जेंडर आरक्षण पर SC सख्त, ASG की दलील खारिज, कहा- पुरुषों के लिए...

Supreme Court On Gender Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने सेना के जेएजी शाखा में जारी पुरुष-महिला आरक्षण पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि किसी की भी भर्ती योग्यता के आधार पर होनी चाहिए. अपनी सुविधा के लिए आप मनमाने नियम नहीं बना सकते. उन्होंने जेएजी शाखा में आरक्षण की व्यवस्था को असंवैधानिक करार दिया.;

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Supreme Court News Today: जजमेंट्स सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सेना में 'जेंडर रिजर्वेशन' (पुरुष-महिला आरक्षण) के मुद्दे पर केंद्र की दलील को खारिज कर दिया. ASG की ओर से पेश तर्क को शीर्ष अदालत मानने से साफ इंकार करते हुए कहा कि पुरुषों के लिए आरक्षण को लेकर दी गई दलील कतई स्वीकार्य नहीं है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को भारतीय सेना की जज एडवोकेट जनरल (जेएजी) शाखा में पुरुष और महिला अधिकारियों के लिए 2:1 आरक्षण नीति को रद्द कर दिया.

शीर्ष अदालत ने कहा कि रिक्तियां पुरुषों के लिए आरक्षित या महिलाओं के लिए पूरी तरह से रिजर्व नहीं की जा सकतीं. अदालत ने इस प्रथा को "मनमाना" और समानता के मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया. जस्टिस मनमोहन ने कहा कि भारतीय सेना पुरुषों के लिए पद आरक्षित नहीं कर सकती.

संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है 'जेंडर रिजर्वेशन'

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मनमोहन और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा, "कार्यपालिका पुरुषों के लिए रिक्तियां आरक्षित नहीं कर सकती. पुरुषों के लिए छह और महिलाओं के लिए तीन सीटें मनमाना है और भर्ती की आड़ में इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती."

ASG की दलील खारिज, सवाल- जेएजी का पद लैंगिक-तटस्थ कैसे?

सुप्रीम कोर्ट ने ने कहा, "लैंगिक तटस्थता और 2023 के नियमों का सही अर्थ यह है कि सलेक्शन बोर्ड सबसे योग्य उम्मीदवारों का चयन करेगा. महिलाओं की सीटों को सीमित करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है." शीर्ष अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की इस दलील से सहमत होने से इनकार कर दिया कि जेएजी का पद लैंगिक-तटस्थ हैं. साल 2023 से 50:50 चयन अनुपात लागू है.

सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी से यह पूछा कि यदि भारतीय वायुसेना में महिलाएं राफेल लड़ाकू विमान उड़ा सकती हैं, तो JAG (जज एडवोकेट जनरल) शाखा में उनके चयन में बाधा क्यों? कोर्ट ने इस तर्क पर जोर दिया कि पदों को 'जेंडर न्यूट्रल' बताना पर्याप्त नहीं. जब रिक्तियों को लैंगिक आधार पर बांटा जा रहा हो. पीठ ने यह भी पूछा कि यदि मेरिट सूची में महिलाएं टॉप पर हैं, तो उन्हें चयन से वंचित करना जेंडर न्यूट्रल अप्रोच कैसे माना जा सकता है?

क्या है जेएजी शाखा?

दरअसल, भारतीय सेना में जेएजी शाखा या जज एडवोकेट जनरल्स कोर, सेना की कानूनी शाखा है. इसके सदस्य जिन्हें जज एडवोकेट के रूप में जाना जाता है, वकील होते हैं जो सेना में अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं. वे कमांडरों, सैनिकों और उनके परिवारों सहित सेना को कई तरह की कानूनी सेवाएं प्रदान करते हैं.

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