Su-57E India: भारत के लिए कैसे गेमचेंजर बन सकता है रूस का Su-57 फाइटर जेट? चीन-पाक का हो जाएगा 'Game Over'
भारत के रक्षा हलकों में इन दिनों एक चर्चित सवाल गूंज रहा है कि क्या भारतीय वायुसेना (IAF) रूसी Su-57E फिफ्थ जनरेशन स्टील्थ फाइटर को अपने बेड़े में शामिल कर सकती है? 21 जून 2025 तक यह सिर्फ एक अटकल है, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो यह दक्षिण एशिया में वायु शक्ति संतुलन को पूरी तरह बदल सकता है.;
दक्षिण एशिया में बदलते सामरिक संतुलन और चीन-पाकिस्तान की बढ़ती एयर पावर के बीच एक बड़ा सवाल अब तेजी से उठ रहा है कि क्या भारत रूस के अत्याधुनिक Su-57E स्टेल्थ फाइटर को अपनी वायुसेना में शामिल कर सकता है? हाल ही में ऐसी अटकलें तेज हुई हैं कि भारत इस पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान को भारतीय ऑपरेशनल ज़रूरतों और स्वदेशी तकनीकों के साथ अपनाने पर विचार कर रहा है.
अगर ऐसा होता है, तो यह कदम न केवल भारतीय वायुसेना को एक नई रणनीतिक धार देगा, बल्कि चीन के J-20 और पाकिस्तान के संभावित J-35 जैसे स्टेल्थ जेट्स को भी टक्कर देने में अहम भूमिका निभाएगा. Su-57E की स्टील्थ तकनीक, सुपरक्रूज़ और डीप-स्ट्राइक क्षमता भारत के दो-फ्रंट वॉर डॉक्ट्रिन को मजबूती दे सकती है. आई जानते हैं कि कैसे यह विमान भारतीय वायुसेना के लिए गेमचेंजर न सकता है.
क्या है Su-57E और क्यों है खास?
Su-57E, रूस का एक्सपोर्ट वर्जन है जो स्टील्थ तकनीक, सुपरक्रूज़, 3D थ्रस्ट वेक्टरिंग और लंबी दूरी तक गहराई से हमले की क्षमता जैसी खूबियों से लैस है. चीन के J-20 और पाकिस्तान के भविष्य के J-35 जैसे स्टील्थ फाइटर से मुकाबले में Su-57E भारत को तकनीकी बढ़त दे सकता है. अगर इसमें भारत का Uttam AESA Radar, भारतीय मिशन कंप्यूटर और हथियार प्रणाली फिट की जाती है, तो यह एक 'सॉवरेन एयरपावर' की पहचान बनेगा.
दो मोर्चों पर युद्ध में बन सकता है तुरुप का इक्का
भारत को हमेशा चीन और पाकिस्तान के साथ संभावित दो-मोर्चा युद्ध की आशंका रहती है. Su-57E की स्टील्थ क्षमताएं इसे दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर एयरबेस, रडार और मिसाइल सिस्टम पर पहले हमले की ताकत देती हैं. इसकी सुपरक्रूज़ और एयर डॉगफाइट क्षमता इसे पहाड़ी क्षेत्रों जैसे LAC में भी ज्यादा असरदार बनाती हैं.
सटीक स्ट्राइक और ब्रह्मोस-एनजी का भविष्य
Su-57E के आंतरिक वेपन बे में ब्रह्मोस-एनजी, रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल और भविष्य की हाइपरसोनिक मिसाइल फिट की जा सकती हैं. इससे बिना दुश्मन की रडार रेंज में आए रणनीतिक ठिकानों पर सटीक हमला किया जा सकता है.
चीन-पाक स्टील्थ विमानों से तुलना
- J-20: स्टील्थ के दावे पर विवाद, कम चपलता, सीमित डॉगफाइट क्षमता
- J-35: अभी प्रोटोटाइप स्तर पर, इंजन और हथियार प्रणाली परीक्षण अधूरा
- Su-57E: बेहतर गतिशीलता, 300 किमी तक BVR (बियॉन्ड विजुअल रेंज) क्षमता, अधिक हथियार क्षमता
क्या है राजनीतिक हकीकत?
भारत ने Su-57E या F-35 को लेकर कोई औपचारिक बातचीत नहीं की है. रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने हाल में स्पष्ट किया कि भारत की प्राथमिकता अभी AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट है, जिसकी पहली उड़ान 2028 और तैनाती 2032 तक संभावित है. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि तब तक एक 'कैपेबिलिटी गैप' यानी क्षमता की कमी हो सकती है. ऐसे में सीमित Su-57E स्क्वाड्रन भारत की तत्काल ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं.
Su-57E की तैनाती सिर्फ ताकत की बात नहीं है, यह एक रणनीतिक संदेश भी होगा कि भारत किसी भी उच्चस्तरीय वायु युद्ध में मुकाबला करने को तैयार है. यदि इसे स्वदेशी सिस्टम के साथ इंटीग्रेट किया जाए, तो यह छठी पीढ़ी के भविष्य के फाइटर प्लेटफॉर्म के लिए भी रोडमैप बन सकता है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत Su-57E को कैपस्टोन की तरह अपनाता है या AMCA के भरोसे ही आगे बढ़ता है.