कब पेश हुआ था पहला बजट? एक बार तो पहले ही हो गया था लीक; एक फरवरी से पहले जान लें ये 15 बातें

Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को देश का बजट पेश करेंगी. बजट में आम जनता के लिए बड़े एलान किए जा सकते हैं. हर साल बजट पेश करने से पहले हलवा सेरेमनी तैयार की जाती है. बजट बनाने की तैयार कई महीने पहले शुरू हो जाती है. आर्थिक सर्वे के बाद नया बजट बनाया जाता है.;

( Image Source:  @beatsinbrief, )
Edited By :  निशा श्रीवास्तव
Updated On : 28 Jan 2025 5:41 PM IST

Budget 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को देश का बजट पेश करेंगी. इस बजट से देश की जनता को बहुत उम्मीदें हैं, खासकर मिडिल क्लास टकटकी लगाकर बैठा है कि सरकार इस बार उनके लिए क्या एलान करने वाली हैं. इस बार के बजट में इनकम टैक्स में राहत मिल सकती है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार नए बजट में टैक्स पेयर्स को छूट दे सकते है. इसमें टैक्स सीमा बढ़ाने और स्लैब में फेरबदल जैसी रियायतें शामिल हैं. बजट से पहले हलवा सेरेमनी मनाई जाती है, जिसमें वित्त मंत्रालय के कर्मचारी शामिल होते हैं. आज हम आपको बजट से जुड़ी कुछ रोचक फैक्ट्स बताएंगे.

बजट से जुड़े 5 फैक्ट्स

  1. देश का पहला बजट 1947 में आर.के. शानमुखम चेट्टी ने पेश किया था. यह एक अंतरिम बजट था, जो देश की आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए 31 मार्च 1948 तक साढ़े सात महीने के लिए था.
  2. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2020 में सबसे लंबा बजट भाषण दिया था. उन्होंने 2.42 घंटे का बजट घोषित किया था.
  3. बजट पेश करने से पहले हलवा सेरेमनी की परंपरा है. इसे वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को परोसी जाती है जो बजट तैयार करने में शामिल होते हैं. यह सरकार द्वारा अभी भी पालन की जाने वाली सबसे पुरानी परंपराओं में से एक है.
  4. वर्ष 1950 में केंद्रीय बजट छपाई के दौरान लीक हो गया था. तब वित्त मंत्री जॉन मथाई थे. लीक के बाद छपाई की प्रक्रिया राष्ट्रपति भवन से मिंटो रोड पर ट्रांसफर कर दी गई थी. बाद में 1980 में इसे नॉर्थ ब्लॉक बेसमेंट में ट्रांसफर कर दिया गया.
  5. वर्ष 1955 तक केंद्रीय बजट पूरी तरह से अंग्रेजी में होता था, लेकिन 1955-56 के बाद यह अंग्रेजी और हिंदी दोनों में पेश किया जाने लगा. इस परंपरा की शुरुआत वित्त मंत्री सीडी देशमुख ने की थी.

बजट के 15 शब्द

बजट अनुमान (बीई)- इसमें किसी मंत्रालय को आवंटित की जाने वाली राशि का अनुमान लगाया जाता है. इसमें एक निर्धारित अवधि के दौरान खर्च और लागत पर तय किए जाते हैं.

कैपेक्स- यह कुल राशि है जिसे सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उपयोग करने की योजना बनाती है.

उपकर- यह स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे उद्देश्यों के फंड के लिए टैक्स में जोड़ा गया एक एक्स्ट्रा चार्ज है.

डायरेक्ट टैक्स- यह टैक्स लोगों और कंपनियों पर इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स के रूप में लगाया जाता है.

विनिवेश- यह एक प्रक्रिया है जो सरकार अपनी मौजूदा परिसंपत्तियों को बेचने के लिए करती है.

इकोनॉमिक सर्वे- आर्थिक सर्वेक्षण एक दस्तावेज है जो वित्तीय वर्ष में देश के प्रदर्शन पर प्रकाश डालता है और आगामी बजट तय करता है.

राजकोषीय घाटा- राजकोषीय घाटा पिछले वित्तीय वर्ष में किसी राष्ट्र के कुल व्यय और कुल राजस्व के बीच का अंतर है।

राजकोषीय नीति- यह नीतिगत उपाय है जिसका उपयोग देश की आर्थिक स्थिति की निगरानी करने तथा टैक्स और सरकारी खर्च का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है.

अप्रत्यक्ष कर- अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं और सेवाओं के माध्यम से टैक्सपेयर्स पर लगाए जाते हैं. इसमें जीएसटी, वैट और सीमा शुल्क भी शामिल हैं.

मुद्रास्फीति- मुद्रास्फीति का अर्थ है किसी देश में वस्तुओं और सेवाओं की कुल कीमतों में वृद्धि.

न्यू टैक्स पॉलिसी- इसमें 7 टैक्स स्लैब आयकर है जो कर कटौती को समाप्त करके दरों को कम करती है.

ओल्ड टैक्स पॉलिसी- पुरानी कर व्यवस्था में केवल 4 आयकर स्लैब थे, जिसमें 10 लाख रुपये से अधिक की सैलरी पर टैक्स 30 प्रतिशत देना पड़ता था.

छूट- छूट कुल आयकर में कटौती है, जिससे लोगों पर टैक्स का बोझ कम होता है.

TCS- टीसीएस वह कर मूल्य है जो विक्रेता द्वारा माल या सेवाओं की बिक्री के समय सेलर से लिया जाता है.

टैक्स कटौती- कर कटौती एक छूट के समान है, जो किसी व्यक्ति या संस्था की कर योग्य राशि को कम करती है.

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