...तो ऐसे सिंधु नदी का पानी रोकने जा रहा भारत, पाकिस्तान को था इसी बात का डर; ये हैं 3 प्लान
सरकार ने पहलगाम में पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों द्वारा किए गए घातक हमले के प्रतिशोध में 1960 की सिंधु जल संधि को रद्द करने का निर्णय लिया है. इसके तहत, पाकिस्तान को सिंधु नदी के पानी की आपूर्ति को रोकने का फैसला किया गया है.;
सरकार ने पहलगाम में पाकिस्तान से जुड़े आतंकवादियों द्वारा किए गए घातक हमले के प्रतिशोध में 1960 की सिंधु जल संधि को रद्द करने का निर्णय लिया है. इसके तहत, पाकिस्तान को सिंधु नदी के पानी की आपूर्ति को रोकने का फैसला किया गया है. सूत्रों के अनुसार, सिंधु नदी पर स्थित बांधों की क्षमता को बढ़ाया जाएगा ताकि अधिक पानी का संग्रहण किया जा सके.
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में केंद्रीय मंत्रियों के बीच कई सुझावों पर विचार-विमर्श किया गया. सूत्रों ने यह भी कहा कि नई दिल्ली इस निर्णय को लागू करने के दौरान आने वाली किसी भी चुनौती, यहां तक कि कानूनी मुद्दों का भी सामना करने के लिए तैयार है. 'अगर पाकिस्तान विश्व बैंक का दरवाजा खटखटाता है, तो भारत ने अपनी प्रतिक्रिया तैयार कर ली है और प्रभावी तरीके से उसका मुकाबला करेगा,'
नहीं मिलेगा एक बूंद पानी!
भारत ने मंगलवार को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक रिश्ते कम करने और सिंधु जल संधि को निलंबित करने का एलान किया. इस हमले में 26 पर्यटकों को आतंकवादियों ने खुलेआम गोली मार दी थी. यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक में लिया गया.
भारत ने आधिकारिक रूप से इस निर्णय की सूचना दी गुरुवार को, नई दिल्ली ने पाकिस्तान के साथ जम्मू और कश्मीर को लक्षित करने वाली लगातार सीमा पार आतंकवाद की वजह से सिंधु जल संधि के तहत अपने अधिकारों को बाधित करने का हवाला देते हुए अपना निर्णय आधिकारिक रूप से नोटिफाई किया. भारत के जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के अपने समकक्ष, सैयद अली मर्तज़ा को एक पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान द्वारा जम्मू और कश्मीर को लक्षित करते हुए सीमा पार आतंकवाद भारत के सिंधु जल संधि के तहत अधिकारों में रुकावट डालता है.
'एक संधि को अच्छे विश्वास के साथ मानने का दायित्व उसकी बुनियादी शर्त है. लेकिन, जो हम ने देखा है वह पाकिस्तान द्वारा जम्मू और कश्मीर को लक्षित करके किया गया सीमा पार आतंकवाद है,' पत्र में लिखा था. पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने भारत के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यदि भारत ने सिंधु जल संधि के तहत नदी के पानी को अवरुद्ध या diverted करने का प्रयास किया, तो इसे "युद्ध का कृत्य" माना जाएगा. पाकिस्तान ने 1960 के इस समझौते को अपने 240 मिलियन नागरिकों के लिए जीवन रेखा बताते हुए कहा कि यह संधि एकतरफा निलंबित नहीं की जा सकती और इसके खिलाफ "राष्ट्रीय शक्ति के सभी स्तरों पर प्रतिक्रिया" की धमकी दी है.
ये है 3 प्लान
केंद्र सरकार द्वारा सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty, 1960) को स्थगित करने के बाद जो तीन स्तरीय योजनाएं बनाई गई हैं, उनका उद्देश्य पाकिस्तान को जाने वाली जल आपूर्ति को रोकना या नियंत्रित करना है. जल शक्ति मंत्रालय के सचिव उपेंद्र पाटिल के बयान के अनुसार, इन तीन योजनाओं को इस प्रकार समझा जा सकता है.
अल्पकालिक योजना (Short-term Plan)
उद्देश्य- तुरंत प्रभाव से पाकिस्तान को अतिरिक्त जल प्रवाह को रोकना.
जैसे कि डाइवर्जन और स्टोरेज- जो पानी सामान्यतः भारत से होकर पाकिस्तान में बहता है, उसे भारत के भीतर ही रोकने की कोशिशें, जैसे कि मौजूदा बांधों से जल प्रवाह को नियंत्रित करना. आंशिक मोड़- कुछ नदियों का बहाव सीमित मात्रा में डायवर्ट कर स्थानीय सिंचाई या बिजली परियोजनाओं में लगाना.
मध्यावधि योजना (Mid-term Plan)
उद्देश्य-अगले 2 से 5 वर्षों में ऐसी संरचनाएं विकसित करना जो दीर्घकालिक नियंत्रण की नींव रखें.
उदाहरण- नए जलग्रहण बांध (Reservoirs) बनाना. जल मार्गों में परिवर्तन ताकि भारत अपने हिस्से का अधिक से अधिक जल उपयोग कर सके.सिंधु प्रणाली की तीन पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) पर पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करना, जो भारत को पूर्ण उपयोग का अधिकार देती हैं.
दीर्घकालिक योजना (Long-term Plan)
उद्देश्य- भारत को सिंधु जल संधि की पूर्ण पुनर्कल्पना या निरस्तीकरण की ओर ले जाना.
संधि की पुनर्समीक्षा (review) या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके प्रावधानों को चुनौती देना. संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक और अन्य मध्यस्थों को यह दिखाना कि पाकिस्तान की हरकतें इस संधि की भावना के विरुद्ध हैं. राजनीतिक एवं कूटनीतिक दबाव बनाना कि भारत को इस संधि से बाहर निकलने का अधिकार है, खासकर जब पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन कर रहा है.