Shivraj Patil Death: कौन थे शिवराज पाटिल, जिनका 90 साल की उम्र में हुआ निधन? जानें कैसी रही पूर्व गृह मंत्री की पॉलिटिकल जर्नी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का महाराष्ट्र के लातूर में आज निधन हो गया. लोकतांत्रिक राजनीति में अनुशासन और सौम्य व्यवहार के लिए जाने जाने वाले पाटिल ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में लोकसभा अध्यक्ष, गृह मंत्री और राज्यपाल जैसे अहम पद संभाले. 26/11 के वक्त गृह मंत्री रहने को लेकर वे विवादों में भी आए थे, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उनके निधन पर कांग्रेस नेताओं समेत देशभर में शोक व्यक्त किया जा रहा है.;
Who was Shivraj Patil: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल का आज महाराष्ट्र के लातूर में निधन हो गया. 89 साल के पाटिल भारतीय राजनीति में अनुशासन, सरल स्वभाव और शांत नेतृत्व शैली के लिए जाने जाते थे. लातूर से उभरकर उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में एक लंबी यात्रा तय की और देश के महत्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व किया.
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कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने उन्हें याद करते हुए कहा कि पाटिल अत्यंत अनुशासित और सादगीपूर्ण नेता थे, जिनके व्यवहार की हमेशा प्रशंसा की जाती थी. उन्होंने कहा- मैं अपनी संवेदनाएं व्यक्त करना चाहता हूं, और मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वे दुखी परिवार को शक्ति दें.
कौन थे शिवराज पाटिल?
शिवराज पाटिल शुरुआत से ही वे कांग्रेस विचारधारा से जुड़े रहे और संगठन के मजबूत स्तंभ माने जाते थे. उनका जन्म 12 अक्टूबर 1935 तो लातूर में हुआ. शिक्षा के बाद वे वकालत से जुड़े, फिर सक्रिय राजनीति में आए.
राजनीतिक सफर (Political Journey)
शिवराज पाटिल 1980 के दशक में राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में आए. उन्होंने कई बार लातूर सीट से लोकसभा चुनाव जीता. पाटिल 1991 में कांग्रेस सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बने. बाद में उन्हें लोकसभा स्पीकर भी बनाया गया—जहां उनकी शालीनता और अनुशासन का सभी नेता सम्मान करते थे.
UPA सरकार में गृह मंत्री, फिर बने राज्यपाल
2004 में UPA की जीत के बाद पाटिल को केंद्रीय गृह मंत्री नियुक्त किया गया. यह उनके राजनीतिक करियर का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय था. उन्हें 'सॉफ्ट-स्पोकन' और 'डिसिप्लिन्ड' मिनिस्टर के रूप में जाना जाता था. गृह मंत्री पद छोड़ने के बाद वे पंजाब और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे.
बड़े विवाद (Major Controversies)
- 26/11 मुंबई हमला और इस्तीफा: शिवराज पाटिल के करियर का सबसे बड़ा विवाद 2008 का मुंबई 26/11 आतंकी हमला रहा. उन पर आरोप लगा कि वे सुरक्षा स्थितियों पर पर्याप्त नियंत्रण नहीं कर सके. लगातार हमलों पर उनकी प्रतिक्रिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस में शांत व्यवहार विरोधियों को रास नहीं आया. बढ़ते राजनीतिक दबाव के बीच उन्होंने गृह मंत्री पद से इस्तीफा दिया.
- मालेगांव ब्लास्ट बयान: 2018 में मालेगांव ब्लास्ट को लेकर एक भाषण में उन्होंने कहा था, “गीता, कुरान और बाइबल, तीनों लोगों को हिंसा की जगह युद्ध करने के लिए प्रेरित करती हैं.” यह बयान विवादों में घिर गया और बीजेपी नेताओं ने उन्हें निशाने पर लिया. बाद में उन्होंने कहा कि बयान का मतलब गलत समझा गया.
- कपड़ों पर ध्यान देने का विवाद: एक बार संसद सत्र के बीच कैमरों में कैद हुए कि वे लगातार परिधान बदल रहे हैं. यह बात मीडिया में उठी और विपक्ष ने इसे 'संवेदनशील समय में असंवेदनशीलता' बताया.
अनुशासन और शालीनता बनी पहचान
शिवराज पाटिल अपनी मृदुभाषी शैली, साफ़-सुथरी छवि और डिसिप्लिन के लिए पहचाने जाते थे. वे कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में एक संतुलित, समझदार और सम्मानित चेहरा थे. लोकसभा स्पीकर के रूप में उन्होंने हमेशा मर्यादा को प्राथमिकता दी.
विरासत (Legacy)
भारत की संसद, कांग्रेस और महाराष्ट्र की राजनीति में शिवराज पाटिल हमेशा सादगी, अनुशासन, मर्यादा और शांत नेतृत्व के प्रतीक के रूप में याद किए जाएंगे. उनका निधन कांग्रेस के लिए ही नहीं, बल्कि उस पीढ़ी के राजनेताओं के लिए भी एक बड़ा नुकसान है जो राजनीति में गरिमा और संतुलन को सबसे ऊपर रखते थे.